लंबे वक्त से चल रहे अयोध्या राम मंदिर जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पूरी हो गई है। आज शाम 5 बजे तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी मगर कोर्ट ने 4 बजे ही सुनवाई पूरी कर दी है। अभी कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
चीफ जस्टिस ने कहा है कि 23 दिन के बाद इस पूरे मामले पर फैसला आएगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मामले की सुनवाई के लिए 17 अक्टूबर तय किया गया था मगर बहस के लिए अंतिम दिन 16 अक्टूबर ही था।
सुनवाई के दौरान विवादित मोड़ तब आया, जब बफ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने विरोध में नक्शा फाड़ दिया, जिसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि यदि ऐसा ही रवैया रहा तो इसे ही फैसला मान लिया जाएगा। अपडेट्स पर एक नज़र-
सुनवाई शुरू होते ही क्या कहा पीठ ने?
16 अक्टूबर को सुबह-सुबह सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने कहा कि अंतिम दिन हम इस बात पर विचार करेंगे कि क्या इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पक्षों के आवेदनों को मोड़ना सही था?
पक्षों ने विवादित स्थल का टाइटल मांगा था लेकिन उच्च न्यायालय ने उसका बंटवारा कर दिया। इससे पूर्व दशहरा अवकाश से पहले पीठ ने संकेत दे दिया था कि सुनवाई बुधवार को भी समाप्त की जा सकती है। हालांकि, सुनवाई का समय कोर्ट ने गुरुवार तक किया था।
किन अपीलों पर हुई सुनवाई?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। गौरतलब है कि इलाहबाद उच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश साल 2010 में दिया गया था।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय में पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ 6 अगस्त से लगातार अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही है।
हिन्दू पक्ष की दलील
सुनवाई के39वें दिन हिन्दू पक्ष ने कहा कि अयोध्या में 50-60 मस्जिद हैं, तो मुसलमान कहीं पर भी नमाज पढ़ सकते हैं। हिंदू पक्ष के वकील के. परासरण ने दलील देते हुए कहा कि यह राम का जन्मस्थान है, जिसे नहीं बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसी को भी भारत के इतिहास को तबाह करने की अनुमति नहीं है। न्यायालय को इतिहास की गलती को ठीक करने की ज़रूरत है। एक विदेशी भारत में आकर अपने कानून नहीं लागू कर सकता है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आस-पास भारी मात्रा में सुरक्षाबलों की तैनाती कर दी गई थी। यहां तक कि सादी वर्दी में भी पुलिस का घेरा बढ़ा दिया गया था।
किताब के पन्ने फाडे़ गए
महंत धर्मदास और विशराद की बहस समाप्त होने के बाद कोर्ट में काफी ड्रामा भी हुआ और मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने एक किताब में राम मंदिर पर छपे नक्शे को फाड़ दिया। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि ऐसा चलेगा तो हम 2 बजे सुनवाई समाप्त कर देंगे।
हिन्दू महासभा ने 40वें दिन की सुनवाई में कहा, “1858 गवर्मेंट ऑफ इंडिया एक्ट में ब्रिटिश सरकार ने बोर्ड ऑफ कंट्रोल समाप्त कर दिया था, तो ऐसे में अक्टूबर 1860 मस्जिद को ग्रांट देने का सवाल नहीं उठता, सुन्नी बोर्ड ने गलत बयानी की है।”
निर्मोही अखाड़े ने क्या कहा?
निर्मोही अखाड़े ने कहा इसमें कोई शक नहीं है कि 1885 से हम कब्ज़े में हैं। राजस्व रिकॉर्ड में अखाड़े का नाम है। 1885 में हमने संघर्ष करके उन्हें बाहर कर दिया था, उसके बाद उनका कोई कब्ज़ा नहीं रहा। वास्तविक रूप में मस्जिद को प्रयोग करने और मुतवल्ली का कोई सबूत नहीं है।
इस बीच लंच ब्रेक के दौरान सुनवाई स्थगित हुई, जिसके बाद कहा गया कि लंच ब्रेक के बाद कभी भी सुनवाई समाप्त हो सकती है।
लंच के बाद शुरू हुई सुनवाई
लंच ब्रेक के बाद सुनवाई में जन्मस्थान पुनरोद्धार समिति की बहस शुरू हुई। कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका के केस को हटा दिया। उन्होंने स्थल पर पूजा का अधिकार मांगा था।
Varun Sinha, Hindu Mahasabha’s lawyer: Supreme Court has reserved the order and has made it clear that the decision will come, in this case, within 23 days. #AyodhyaCase pic.twitter.com/FOM574Osig
— ANI (@ANI) October 16, 2019
उल्लेखनीय है कि लंच के बाद कुछ ही देर में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई, जिसके बाद कोर्ट ने 23 दिन के लिए फैसले को सुरक्षित रख लिया। अब जनता को कोर्ट के अंतिम फैसले का इंतज़ार रहेगा।