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“यूपी के विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में मोबाइल बैन करना तानाशाही है”

स्टूडेंट्स

स्टूडेंट्स

आधुनिकता की दौड़ में मनुष्य आज विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। आज पूरी दुनिया में विज्ञान का बोलबाला है। नई दुनिया तार्किक आधार पर सवालों के जवाब ढूंढने में लगी है। विज्ञान और तकनीक ने जो आयाम स्थापित किया है, उसने पूरी दुनिया को अपने वश में कर लिया है। उसी दुनिया का एक साधन सेल फोन भी है, जिसने प्राचीन काल से चली आ रही संवाद प्रणाली को नया रूप दिया है।

ऐसे समय में उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में फोन के प्रयोग पर पाबंदी की खबर सामने आई है, जो वाकई में शर्मनाक है। सरकार का इस फैसले को लागू करने का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा के वातावरण को सही तरीके से सुनिश्चित करना है।

मोबाइल फोन के बारे में इन तथ्यों को जानना ज़रूरी है

जब इतने लोग तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, तो शिक्षा के क्षेत्र में फोन का उपयोग होना अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा के क्षेत्र में फोन से मिलने वाली सामग्री किताबों की जगह लेती जा रही है। आज हर विषय की जानकारी हमें फोन के ज़रिये अच्छे और सस्ते दामों पर मिल जा रही है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

वहीं, दूसरी तरफ आपातकालीन स्थिति में स्टू़डेंट्स अपने पेरेन्ट्स तथा पुलिस को कॉल करके सहायता प्राप्त कर सकते हैं। यह होम वर्क पूरा करने का सबसे अच्छा साधन भी है। फोन के ज़रिये क्लास में पढ़ाए जाने वाले लेक्चर का ऑडियो या वीडियो बनाकर प्रमुख बिन्दुओं को सेव किया जा सकता है।

स्टूडेंट्स के लिए मददगार है मोबाइल फोन

आज कल भूलने की आदत स्टूडेंट्स की बड़ी समस्या बन गई है। इसमें फोन का इस्तेमाल बहुत ही कारगर उपाय है। नए स्टूडेंट्स को अपने शिक्षण संस्थानों का सही रास्ता ना पता होने से वे वहां तक गूगल मैप के ज़रिये पहुंच सकते हैं मगर योगी जी द्वारा यूपी में स्टूडेंट्स के लिए मोबाइल फोन बैन करने से उनके समक्ष समस्याएं खड़ी होने वाली हैं।

यह सूचना का सबसे अच्छा साधन है और मैं मानती हूं कि आधुनिक समय में शिक्षा के क्षेत्र में फोन ले जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। वहीं, आधुनिक तकनीक का सही तरीके से इस्तेमाल करना भी बताया जाना चाहिए।

फोन के ज़रिये स्टूडेंट्स खबरों की दुनिया से भी जुड़े रहते हैं। आज के समय में छोटा बच्चा भी आपको फोन के ज़रिये स्कूल में दिए गए प्रोजेक्ट्स की जानकारी प्राप्त करता दिख जाएगा। हां, एक बात ज़रूर कहूंगी कि एक निश्चित आयु के बाद ही स्टूडेंट्स को सेल फोन देना चाहिए।

शिक्षा के स्तर में सुधार की है ज़रूरत

आज शिक्षण संस्थानों की प्रमुख समस्या टीचर्स और स्टूडेंट्स के बीच बढ़ती राजनीति है। विश्वविद्यालयों में हो रहे चुनावों की वजह से मैनेजमेंट के कार्यों में बाधा उत्पन्न होती हैं। इस वजह से समय रहते विषय का कार्य पूरा नहीं हो पाता है। आलम यह होता है कि स्टूडेंट्स ज़्यादातर प्रदर्शन ही करने में लगे रहते हैं।

कहीं ना कहीं स्टूडेंट्स और टीचर्स के बीच संवाद की कमी भी देखी जा रही है। समय से क्लास का ना चलना और टीचर्स का उपस्थित ना होना भी फोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहा है। आज कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां फोन का इस्तेमाल नकल के लिए भी किया जा रहा है। आधुनिक स्मार्ट तकनीक से लैस स्मार्ट फोन वाले स्टूडेंट्स को देखकर सामान्य फोन का उपयोग करने वाले स्टूडेंट्स के बीच असमानता का भाव बढ़ रहा है। इन चीज़ों पर मंथन करने की ज़रूरत है।

कई स्टूडेंट्स ऐसे भी हैं, जो अपने विषय की किताबें नहीं खरीद पाने के कारण फोन का उपयोग करते हैं। उनके लिए फोन वरदान साबित हो रहा है। उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में फोन के इस्तेमाल पर रोक लगाने से बेहतर है कि हम ऐसे नियम-कानून बनाएं जिससे शिक्षा के स्तर में सुधार हो। मोबाइल फोन बैन करना एक तानाशाही भरा फैसला है।

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