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आखिर क्यों दिल्ली के सोनिया विहार को पिछड़े इलाकों में गिना जाता है?

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

आपने दिल्ली की तारीफें बहुत सुनी होगी एवं बड़े-बड़े इतिहास के बारे में भी काफी पढ़ा और देखा होगा। दिल्ली की झुग्गी-बस्तियों के बारे में पढ़ना एवं उन पर लिखना बहुत आसान है परंतु उनकी गहराइयों को समझना उतना ही कठिन है। इसी बीच कुछ क्षेत्र ऐसे निकलकर आते हैं, जो ना झुग्गी बस्तियों में आते हैं और ना ही उच्च श्रेणी में। इन्हीं में से एक क्षेत्र हैं दिल्ली का सोनिया विहार।

सोनिया विहार की खूबसूरती

पहले सोनिया विहार, बिहारीपुर गाँव नाम से जाना जाता था। यह यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। सोनिया गाँधी के नाम पर क्षेत्र का नाम सोनिया विहार पड़ गया। इस इलाके की आबादी 3 लाख से अधिक है। यहां की खूबसूरती यही है कि लोग यहां मिल जुलकर रहते हैं।

सोनिया विहार में जलजमाव। फोटो साभार- संदीप सिंह

यह इलाका उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद के काफी करीब है और आए दिन यहां बाढ़ का खतरा मंडराता रहता है। यहां अच्छे-अच्छे बैंक्स,  पिज्ज़ा पार्लर, जलेबी, चिकन सूप और चिली पोटेटो की काफी दुकानें भी हैं। पूरे क्षेत्र की आन, बान, शान कहे जाने वाले टीन का सरकारी स्कूल अब भी उसी हालत में है।

सोनिया विहार की राजनीति

यह इलाका दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत करावल नगर विधानसभा के वार्ड न. 60 ई में आता है। यहां के सांसद मनोज तिवारी, विधायक कपिल मिश्रा और निगम पार्षद सुषमा मिश्रा हैं। बाकी की राजनीति लोकल नेताओं द्वारा चलती रहती है।

अब चाहे वे भाजपा के अनुपम पांडे, विक्रम सिंह, लवलेश शर्मा हो या आम आदमी पार्टी के नेता सीपी शर्मा, प्रियरंजन, नीरज गुप्ता हो या बसपा के मास्टर मेघ सिंह, कुलप्रकाश या फिर काँग्रेस के रामजी मिश्रा।

इन्हीं के बीच सामाजिक कार्यकर्ता सूर्य प्रकाश नामक युवक भी मौजूद हैं। कुछ आर.एस.एस. और बजरंग दल हिंदू युवा वाहिनी जैसे संगठन भी मौजूद हैं, जिनके द्वारा सोनिया विहार की सारी राजनीति चलाई जा रही है। इस राजनीति पर पूर्ण रूप से ब्राह्मण हावी हैं। सारा क्षेत्र पूर्वांचलियों का गढ़ माना जाता है।

सोनिया विहार का विकास

लगातार सोनिया विहार पिछड़े इलाकों में गिना जाता रहा है और आज तक इसे पिछड़ा ही कहा जाता है। दिल्ली का यह सबसे आखिरी इलाका माना जाने वाला क्षेत्र है। दिल्ली की राजनीति यहां के विकास को कभी समझ नहीं पाई और लगातार यह क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़ता ही चला जा रहा है।

सोनिया विहार इलाके की तस्वीर। फोटो साभार- संदीप सिंह

मैंने शुरुआत में आपको बैंकों से लेकर चिकन सूप की जो बातें बताई, वह सब एक सिंगल रोड पर ही है। बाहर जाने और अंदर आने वाले इसी एक रोड का इस्तेमाल करते हैं, जिसका नाम पृथ्वीराज चौहान मार्ग रख दिया गया है।

आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि बस सर्विस के नाम पर सिर्फ 258, 258 ‘A’ और 33 ‘A’ ही मौजूद हैं और वे भी उसी सिंगल रोड से गुज़रते हैं।

सोनिया विहार अभी तक अनाधिकृत कॉलोनियों में गिना जाता है। यहां के लोगों को उसी सिंगल रोड के कारण दो-दो घंटे ट्रैफिक जाम में खड़ा होना पड़ता है। कुछ गलियों को मिलाकर एक टंकी लगाई गई है, जहां से पीने का पानी आता है। गलियों की नालियां हमेशा उफान पर रहती हैं।

यह पूरा का पूरा इलाका गंदगी से भरा हुआ है। यहां ना कोई  समय पर कूड़ा निकालने आता है और ना ही सफाई की कोई अच्छी व्यवस्था है।स्वास्थ्य सुविधाएं भी दुर्लभ हैं। रोज़गार का कोई साधन सोनिया विहार में मौजूद नहीं है।

सोनिया विहार की मांग

रोज़गार, मेट्रो, डबल रोड, नालियों के पानी का निकास, पीने के पानी की घर-घर सुविधा, नए सरकारी स्कूल, सरकारी हॉस्पिटल आदि यहां के लोगों की मागें हैं। मुख्य रूप से ट्रैफिक जाम से मुक्ति चाहते हैं यहां के लोग।

अंत मे यही लिखूंगा कि सोनिया विहार क्यों कनॉट प्लेस नहीं बन पाता? यहां के लोगों को कब तक धर्म की आड़ में बहकाया जाएगा? बंद कीजिए यह सब और मांगें पूरी कीजिए जनता की। अन्यथा विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान ना झेलना पड़े।

नोट: YKA यूज़र संदीप सिंह ने सोनिया विहार इलाके में भ्रमण के आधार पर यह स्टोरी लिखी है।

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