पावर ग्रिड ट्रांसमिशन लिमिटेड तथा जे.पी.कंपनी द्वारा बीते वर्षों मध्यप्रदेश के सतना ज़िले के राम नगर मैहर नागौद उचेहरा तहसील के सैकड़ों किसानों के खेतों में विकास की आड़ में उच्च वोल्टेज टावर गाड़ दिए गए। किसान आज भी मुआवजे़ के लिए भटक रहे हैं। हालांकि विंध्याचल से जबलपुर लाइन में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा 500 भुअर्ज़न 2018 आदेश जारी किया गया था।
सतना से चमराडोल लाइन एवं जे.पी. कंपनी द्वारा निर्मित लाइन में 12 लाख प्रति टावर तार के नीचे 3000 प्रति रनिंग मीटर के हिसाब से मुआवज़ा निर्धारण किया गया था मगर सभी किसानों ने आरोप लगाया कि आज तक उन्हें मुआवज़ा नहीं मिला।
इसके साथ ही जे.पी.कंपनी द्वारा लाइन दूसरे ग्रामों से निकलनी थी मगर ऐसा नहीं हुआ, जिसपर किसानों द्वारा ज्ञापन सौंपकर टावर पर चढ़कर प्रदर्शन भी किया गया था।
पेयजल आपूर्ति के लिए कार्य
हाल ही में सतना बाणसागर ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना के अंतर्गत सतना ज़िले के पांच विकास खंडों रामनगर, अमरपाटन, उचेहरा, रामपुर और बघेलान के 1019 ग्रामों में पेयजल आपूर्ति के लिए मध्यप्रदेश की पी.आई.यू कंपनी को जल निगम मर्यादित बोर्ड द्वारा काम मिला है, जिसे एल एंड.टी. प्राइवेट को सौंपा गया है।
यह विगत एक वर्ष पूर्व से कार्य कर रही है। इसमें मार्कण्डेय घाट से पानी लेकर शुकवारी स्थित ट्रीटमेंट प्लांट से मोटी पाइपों के माध्यम से जल उपलब्ध करवाया जाएगा।
मुआवज़े का प्रावधान
प्राइवेट भूमि पर मुआवज़े का प्रावधान राजस्व विभाग मध्यप्रदेश द्वारा जारी नियम मध्यप्रदेश भूमिगत पाइप लाइन केबल एवं डक्ट अधिनियम 2012 की धारा 17 की उपधारा 1 के अंतर्गत प्राइवेट भूमि में मुआवज़ा देने का प्रावधान दिया गया है, जिसमें कार्यकारी संस्था को प्राइवेट भूमि में कार्य करने से पूर्व में सक्षम अधिकारी को जानकारी देकर तथा मुआवज़े का 80% राशि जमा कर कार्य प्रारंभ किया जाता है।
साथ ही भूमि के साथ-साथ फसल परिसम्पत्तियों का मुआवज़ा दिए जाने का प्रावधान है लेकिन यह आजतक नहीं मिला जबकि राष्ट्रीय किसान मज़दूर महासंघ के सुभाष पांडेय द्वारा मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली में शिकायत दर्ज़ कराई गई, जिसमें आयोग द्वारा कलेक्टर सतना को आठ सप्ताह के अंदर मुआवज़ा भुगतान के निर्देश दिए गए थे।
किसानों के साथ किया जा रहा भेदभाव
रामनगर तहसील के विभिन्न ग्रामों में सिंचाई परियोजना के अंर्तगत पाइप डाली जा रही है, जिस पर नियमानुसार किसानों को मुआवज़ा दिया जा रहा है।
वहीं, जल निगम बोर्ड मार्यादित कंपनी द्वारा जारी कार्य में किसानों को मुआवज़ा नहीं दिया जा रहा है। जबकि इस संबंध में ज्ञापन आवेदन के माध्यम से अनुविभाग तथा ज़िला प्रशासन को निर्देश दिए जा चुके हैं।
नोट: YKA यूज़र सुभाष पांडेय ने इलाके में भ्रमण के आधार पर रिपोर्ट लिखी है।