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सऊदी के राजकुमार का हुक्म, एक पत्रकार की हत्या और दुनिया की अनदेखी

जमाल खशोगी

जमाल खशोगी

क्या आपने किसी ऐसे कत्ल के बारे में सुना है, जो दूतावास में हुआ हो और उसकी उंगली मुल्क के बड़े नेता पर उठी हो? 2 अक्टूबर 2018 को मशहूर पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या तुर्की की राजधानी इस्तांबुल के सऊदी एम्बेसी में हुई थी। इस हत्याकांड के मुख्य दोषियों में मोहम्मद बिन सलमान का नाम आया था, जो सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस यानि अगले राजा हैं।

कौन थे जमाल खशोगी?

जमाल खशोगी , मशहूर अंतरराष्ट्रीय हथियार विक्रेता अदनान खशोगी के भतीजे और डोडी फायदा (इंग्लैंड की रॉयल फैमिली की पूर्व बहू प्रिंसेस डायना के बॉयफ्रेंड थे, जो उन्हीं के साथ कार हादसे में मारे गए थे) के कज़िन थे। जमाल की शुरुआती पढ़ाई सऊदी अरब में हुई थी फिर अमेरिका की इंडिआना स्टेट यूनिवर्सिटी से बिज़नेस मैनेजमेंट में उन्होंने ग्रैजुएशन करके के बाद सऊदी गजज़ते और कई अखबारों में उन्होंने बतौर पत्रकार काम किया था।

कहते हैं कि उन्होंने कई बार ओसामा बिन लादेन का इंटरव्यू भी लिया था मगर 9/11 के बाद उन्होंने ओसामा से दूरी बना ली थी। वह 2002 में अल वतन नाम के एक सऊदी अखबार में संपादक बने मगर वहां वह मुश्किल से 54 दिन ही रहे और उन्होंने सऊदी सरकार के वहाबी नीतियों की आलोचना करते हुए इस्तीफा दे दिया। 

2007 में वह पुनः उस अखबार के संपादक बने और 2010 में उन्होंने फिर इस्तीफा दे दिया। इसी बीच अपने कई लेखों के ज़रिये सऊदी सरकार की नाक में उन्होंने दम कर दिया, जिसमें मोहम्मद बिन सलमान प्रमुख थे।

चाहे सऊदी प्रेस की आज़ादी का मामला हो या फिर गलत तरीके से कुछ मंत्रियों को भ्रष्ट्राचार में फंसाना हो, यमन की जंग में सऊदी सरकार का दखल हो या फिर कतर पर पाबंदी का मसला हो। इन सब मुद्दों पर जमाल खशोगी ने जमकर सलमान साहब का विरोध किया मगर बाद में जब उन्हें लगा कि उनकी जान को खतरा हो सकता है, तो वह अपने चार बच्चे और दूसरी बीवी को लेकर अमेरिका के वर्ज़िनिया में जाकर रहने लगे। 

वहां वह वॉशिंगटन पोस्ट में एक कॉलमिस्ट के तौर पर लिखने लगे मगर तब भी उन्होंने सऊदी सरकार और सलमान साहब का विरोध जारी रखा। कहते हैं कि 2017 में सऊदी सरकार ने उनको धमकी दी थी अगर उन्होंने सऊदी आकर माफी नही मांगी, तो उनको गोली मार दी जाएगी क्योंकि सऊदी में प्रेस की आज़ादी ना के बराबर है। वहां आप सऊदी रॉयल फैमिली के खिलाफ नहीं लिख सकते, क्योंकि ऐसे में देश छोड़कर भागना पड़ सकता है या जेल में डाल दिया जाता है।

जमाल खशोगी की हत्या

कहते हैं कि जमाल खशोगी अपनी पत्नी से तलाक के बाद तीसरी शादी करने वाले थे, हटीज़ नाम की एक तुर्किश महिला से जिससे उनकी सगाई भी हो चुकी थी इसलिए अपनी पहली पत्नी से तलाक से संबंधित कुछ दस्तावेज़ों की उन्हें ज़रूरत थी। इसके लिए उन्होंने तुर्की में सऊदी एम्बेसी में कॉल किया, जिसके बाद उन्हें अप्वाइंटमेंट मिला था।

2 अक्टूबर 2019 के दोपहर 1 बजे वह हटिस के साथ वहां गए मगर हटिस गाड़ी में रहीं और जमाल अपने दोनों फोन गाड़ी में रखकर एम्बेसी के अंदर गए। जब शाम 5:30 के बाद भी वह वापिस नहीं आए, तब उनकी गर्लफ्रेंड ने पुलिस को फोन किया।

पुलिस को सऊदी एम्बेसी के अंदर जाने की इजाज़त नहीं मिली मगर वह वीडियो फुटेज उनके हाथ में आ गया, जिसमें जमाल अंदर जाते दिख रहे थे लेकिन बाहर आते नहीं, जो एक बड़ा सबूत था।

सऊदी दूतावास के खिलाफ अलजज़ीरा, वॉशिंगटन पोस्ट, न्यूयॉर्क टाइम और दुनिया के कई अखबारों ने मुहिम छेड़ी, जिसकी वजह से तुर्की और सऊदी सरकार की बहुत फज़ीहत हुई और दोनों सरकारों ने बयान जारी किया, जिसमें तुर्की सरकार ने जमाल की हत्या और सऊदी सरकार ने जमाल के गायब होने की बात कही।

तुर्की पुलिस की रिपोर्ट, जिसने दुनिया को हिला दिया

बाद में सऊदी सरकार ने मजबूरन तुर्की पुलिस को अपने दूतावास में जाने की इजाज़त दे दी। इसके बाद जो पुलिस की रिपोर्ट सामने आई उसने दुनिया को हिला डाला। रिपोर्ट में बताया गया था कि एम्बेसी की एक दीवार पर 2-3 अक्टूबर को खून के धब्बे छुपाने के लिए सादा पेंट करवाया गया था। 

बाद में अलजज़ीरा ने एक आदमी को दुनिया के सामने लाया, जिसने यह कुबूल किया कि उसे एम्बेसी वालों ने 1000 टेम्परेचर की गर्मी वाला ओवन बनाने के लिए कहा था, जिसमें उन्होंने जमाल खशोगी को मारने के बाद किए गए टुकड़ों को 7 बैग्स में रखकर जला दिया था।

कैसे आया मोहम्मद बिन सलमान का नाम?

कहते हैं कि तुर्की पुलिस ने एक ऑडियो टेप दुनिया को सुनाया गया, जिसमें एक आदमी कह रहा था, “ऐसे काटते हैं आदमी को।” और दूसरी तरफ जमाल कह रहे थे, “मुझे छोड़ दो सांस नहीं आ रही है।” उसी वक्त वहां से एक फोन सऊदी के रयाद में किया गया था। उस फोन पर जो आदमी था, वह जमाल खशोगी की चीखें सुनकर खुश हो रहा था। कहा जाता है कि यह आदमी सऊदी के खुफिया विभागों का प्रमुख था, जिस पर बाद में मुकदमा भी चला और वह आदमी मोहम्मद बिन सलमान का करीबी था।

फिर यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट आई जिसमें सीधी उंगली मोहम्मद बिन सलमान पर उठी। सीआईए ने भी सबूत दिया कि इसमें सलमान का हाथ है मगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी से अपने रिश्तों और व्यापारों की मजबूरी में इन रिर्पोट्स को खारिज़ कर दिया।

क्या पैसों से किया परिवार का मुंह बंद?

जब अदनान खशोगी और जमाल खशोगी के बच्चों ने इस हत्याकांड पर सवाल उठाए, तब खुद को बचाने के लिए सऊदी सरकार ने अदनान खशोगी के परिवार को मिलियन डॉलर्स दिए और हर महीने हज़ारों डॉलर्स देने की बात हुई। वहीं, अमेरिका की मीडिया का कहना है कि जमाल के 4 बच्चों को वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार जेद्दाह शहर में 40 लाख डॉलर का एक घर और लाखों डॉलर दिए गए हैं। 

मुकदमे का हाल

सऊदी सरकार ने जब यह माना कि उनके कुछ एम्बेसी और इंटेलेजेंस के लोगों ने आपसी खुंदक में जमाल खशोगी की हत्या की है, तब उन्होंने 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें 5 को सज़ा-ए-मौत देने की वह सोच रहे हैं।

हालांकि सबका कहना है कि यह एक नाटक है, क्योंकि किसी को सज़ा हुई नहीं है और संयुक्त राष्ट्र के 5 स्थाई सदस्यों के लोग मुकदमे की पैरवी में सऊदी सरकार के कहने पर आते हैं, तो जानबूझ कर उनके सामने अरबी भाषा में मुकदमा करवाते हैं और ट्रांसलेटर मशीन भी नहीं देते ताकि वह समझ ना पाए कि मुकदमे में क्या हो रहा है और कभी-कभी तो ऐसे हालात खड़े कर देते हैं कि वे 5 लोग पहुंच ही ना पाएं।

खैर, देखते हैं कि आगे क्या होता है मगर यह दुःख की बात है कि एक पत्रकार का कत्ल दुनिया की सबसे सुरक्षित जगहों में गिने जाने वालों में से एक दूतावास में होता है, जिसमें सऊदी के अगले राजा मोहम्मद बिन सलमान का नाम आता है।

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