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“सरकार प्रोजेक्ट हिन्दू लाई है”

इंदिरा गाँधी ने शुरू किया प्रोजेक्ट टाइगर

वैसे ही सरकार प्रोजेक्ट हिन्दू लाई है।

जल्द ही वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी,

नेशनल पार्क के जैसे ही दिखेंगे

हिंदू प्रोटेक्टेड एरिया, हिन्दू सैंक्चुअरी।

 

आजकल के दौर में एक बात मानिए

एक फैमिली फोटो ज़रूर खिंचा के रखिए

क्या पता किस जगह सरकार की लिस्ट में

आपके चार साल के बेटे का नाम ना हो

सुकून लिए वह फोटो ही होगा

एनआरसी की लिस्ट से बाहर हुआ बेटा नहीं।

 

सरकार कब क्या कह दे पता नहीं,

जैसे

सरकार ने कह दिया है, आरे जंगल नहीं है।

हो सकता है आने वाले समय में

अबूझमाल के जंगलों में लगे

पेड़ को पेड़ ना माना जाए।

 

अभी जिन नॉर्थ-ईस्ट वालों को

हम नेपाली, भूटानी कह कर हंस देते हैं।

आदिवासी जिनके पुराने पहनावे

बोली, खाने, चलने, बोलने के तरीको से

घिन आने जैसा मुंह बना लेते हैं।

उन्हें हो सकता है सरकार,

अर्मेनिआ के शासक की तरह

अपने यहा के लोगों को ही खत्म करवा दे।

 

मलयाली, तमिल, कश्मीरी, बंगाली, बिहारी,

इनमें से कुछ हो सकता लिस्ट से बाहर हो जाएं।

इसलिए सबसे मिलते जुलते रहिए

सरकार के घर में अंधेर है, देर नहीं।

 

अब की सरकार काम की पक्की है,

चित्रगुप्त से इंसानों की पोथी ले ली है।

नौकरी मे जैसे कुछ को समय से पहले रिटायर

तो किसी का कार्यकाल बढ़ा रही है।

 

सरकार को बनाने वाले लोग फ्री थे 

तो सरकार ने उन्हें काम दिया है 

तय करो किसकी लिंचिंग करनी है

किसको गोली मारनी है,

किसे ज़िंदा फूंक देना है,

किसको जेल में मारना है,

किसको एक्सीडेंट में मारना है।

ये लोग अपना काम ज़िम्मेदारी से कर रहे हैं।

 

सरकार तब्दीली की ओर बढ़ रही है,

जगह, सड़क, इमारतों के नाम बदल रहे हैं।

‘नो स्मोकिंग’, ‘नो पर्किंग ज़ोन’ के साथ,

नो सिंगल यूज़ प्लास्टिक की तरह,

‘नो मुस्लिम एरिया ज़ोन’ भी जोड़ दे।

नो फॉरेस्ट एरिया के बोर्ड लगा दे।

 

तब जंगल, पहाड़, नदी की जगह दिखाई देंगें

मेट्रो, सीमेंट फैक्ट्री, तेल रिफाइनरी।

क्या पता किसी “विकास” के लिए

तब्दील कर दिए जाएंगे, इंसान लाशों में।

वैसे ही जैसे काट दिए गए

सैकड़ों पेड़ आरे के जंगल में,

डुबो दिए तमाम गाँव नर्मदा के बांध ने

ये सरकार की नज़र में विकास है

चित्रगुप्त, यमराज सब सरकार के साथ है

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