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बच्चों ने कैसे मनाई प्रदूषण मुक्त दिवाली

दीपावली आ रही है, बस यह सोचकर मोहल्ले के सारे बच्चे मन ही मन खुश हैं कि नए-नए कपड़े, ढेर सारी मिठाईयां और अनेक प्रकार के उपहार के साथ साथ ढेर सारे पटाखे फोडेंगे। हर साल की तरह इस भी साल एक बड़े कार्टून में भरकर राजेश चाचा पटाखे ले आए।

उसमें तरह-तरह के पटाखे जैसे- बिजली, चकरी, अनार, रॉकेट, आलू बम और फुलझरी इत्यादि शामिल थे l राजू, गोलू, संदीप, रश्मि, स्नेहा और बंटी सारे बच्चे साल भर से इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं कि कब चाचा पटाखे लाएं और वे उसे आपस में बराबर-बराबर बांट लें ताकि किसी तरह का कोई अनबन ना होने पाए और सब मिलकर भरपूर मस्ती करें।

जैसे ही बच्चों ने कार्टून खोला, बरामदे में चारपाई पर बैठी दादी अम्मा बोल पड़ी, “अभी कार्टून मत खोलो, अभी तो दिवाली के पूरे आठ दिन बचें हैं और हां सुनो इस बार तुम्हारे मामा के बच्चे भी दिवाली मानाने गाँव ही आ रहे हैं। इसलिए कुछ पटाखे राजेश और मानसी के लिए भी ज़रूर रख देना, समझे…??”

सारे बच्चे मन ही मन परेशान हो गए और आपस में कहने लगे कि हम कम थे क्या? पटाखें भी तो उतने ही हैं, जितने चाचा हर साल लाते हैं। इस बार तो कम पड़ना ही है। तभी उधर से चाचा आए और बोले, “अरे हां, राजेश और मानसी भी आ रहे हैं।”

यह बोलते हुए वह बाहर चले गए। बंटी बोला हां…हां पता है । इस बार पटाखे पहले आ गए थे, बच्चों से रहा नहीं जा रहा था, तो वे चार दिन पहले से ही पटाखे फोड़ने लगे, जिससे उनके हिस्से के पटाखे कम ही रह गए। अब सारे बच्चों को इस बात की चिंता होने लगी कि दिवाली के दिन हम क्या करेंगे?

वे सोचने लगे कि पता नही राजेश और मानसी हमें पटाखे देंगे या नहीं? बच्चों का नेता यानी बंटी ने शाम को सारे बच्चों के साथ इस मसले पर बात करने के लिए एक मीटिंग रखने का फैसला किया। मीटिंग शुरू हुई और बंटी ने कहा, “जैसा कि आप सबको पता है कि हमारे सारे पटाखे खत्म हो गएं हैं।”

तभी एकाएक गोलू जो कि सबसे छोटा है, बोल पड़ा, “मैंने तो बोला ही था पटाखे अभी मत फोड़ो, तो लो।”

इसी बीच रश्मि कहती है, “भाई तू छोटा है, तू तो चुप ही रहा कर। बंटी तू बोल अब करना क्या है?”

सारे बच्चे मिलकर प्लान बना ही रहे थे कि तभी गाड़ी की पीं.पीं..पीं…. की आवाज़ बाहर दरवाजे की तरफ से आई। दादी एकाएक शोर मचाने लगीं, “बच्चों देखो-देखो लगता है वे लोग आ गए” (मामा और उनके बच्चे)

सारे बच्चे यह बोलते हुए उठे, “लो मुसीबत आ ही गए।” तभी राजेश और मानसी दौड़कर घर के अंदर आए और सबसे पहले दादी अम्मा से आशीर्वाद लिया फिर जल्दी- जल्दी चाचा, बुआ, भैया…. से फिर बंटी, गोलू, रश्मि….. बोलते शोर मचाते सारे बच्चों से गले मिले और सबको ‘हैप्पी दिवाली’ बोला।

फिर आगे की बातें होने लगीं लेकिन सब कुछ ठीक नहीं लग रहा था। कोई अच्छे से बात नहीं कर रहा था। राजेश और मानसी समझ गए कि कुछ तो दिक्कत है। दोनों फ्रेश होने चले गए। सारे बच्चे अभी भी परेशान थे, थोड़ी देर में ही वे दोनों आए और बात करना शुरू किया और यह जानने की कोशिश करने लगे कि आखिरकार बात क्या है?

बहुत पूछने पर गोलू ही बोल पड़ा, “ये बात है।” मानसी समझाते हुए बोली, “बस इतनी सी बात? बचे हुए सारे आपलोग ले लो और हां आपलोगों को पता है कि पटाखे से उठने वाला धुआं हमारे वातावरण तथा हमारे स्वास्थ पर कितना बुरा प्रभाव डालता है। आज पूरी दुनिया भारी प्रदूषण की चपेट में है। मानो जैसे हम एक गैस चैम्बर में हों, खासकर विश्व के अधिकतर शहर।”

बेतहाशा बढ़ती गाड़ियां, फैक्टरियां, इलेक्ट्रॉनिक कचरा तथा हवाई जहाज़ और एसी इन सबसे कार्बन उत्सर्जन होता है। ये सारे प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। इसलिए हम पटाखे का उपयोग ना करके अपने वातावरण को कुछ खराब होने से बचा सकते हैं।

ये सारी बातें सुनने के बाद बच्चों ने यह शपथ ली कि अब से कभी भी हम पटाखे का उपयोग नहीं करेगें और दूसरे बच्चों को भी समझाएंगे। सारे बच्चों ने एक बार फिर एक दूसरे को दिवाली कि शुभकामनाएं दीं और गले मिले। दूसरे दिन सारे बच्चों ने मिलकर रंगोली बनाई और ढेर सारे दिये जलाए। इस दिवाली बच्चों ने खूब सारे नए-नए खेल खेले और खूब मस्ती की। यह दिवाली बाकी सारे दीपावलियों से अच्छी बीती।

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