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क्या देशभक्ति का डिबेट करने से देश की भुखमरी मिट जाएगी?

भारत को आज़ाद हुए 73 साल होने को है, कभी सोने की चिड़िया कहे जाने वाला भारत आज भुखमरी की मार झेल रहा है। इतिहास की मानें तो गुलामी के कारण भारत की अर्थिक स्थिति खराब हुई थी। पर अब क्या कारण है जो देश की आज़ादी के इसने साल बाद हमारा देश ग्लोबल हंगर इंडेक्स में फिसलता जा रहा है?

भुखमरी के मामले में भारत 117 मुल्कों में  102वें स्थान पर फिसल चुका है। जबकी अर्थव्यवस्था के मामले में हमसे पीछे रहने वाले पड़ोसी देश नेपाल, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश की रैंकिंग हमसे बेहतर है। आयरिश एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मन संगठन वेल्ट हंगर हिल्‍फे द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई रिपोर्ट ने भारत में भुखमरी के स्तर को गंभीर करार दिया।

भारत मे भुखमरी का इतिहास

ध्यान देने वाली बात यह है कि केंद्र की मोदी सरकार में भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में लगातार पिछड़ता जा रहा है। इस मामले में साल 2014 में भारत 99वें स्थान पर था। वहीं साल 2015 में थोड़े सुधार के साथ भारत 80वें स्थान पर जा पहुंचा। इसके बाद साल 2016 में 97वें और साल 2017 में 100वें और वर्ष 2018 में 103 पायदान पर पहुंच गया।

हैरत की बात तो यह है कि भारत में हर दिन 244 करोड़ रुपए का भोजन व्यर्थ हो रहा है। अगर आंकड़ों की मानें तो हर साल भारत में  2.1 करोड़ टन गेहूं नष्ट हो जाता है। जबकि देश में सालाना 23 करोड़ टन के भोजन की आवश्यकता है। कई सारे अनाज, फल और खाद्य पदार्थों के उत्पादन में जहां हम नंबर 1 हैं वहीं सच्चाई यह है कि 40% भोजन वार्षिक उत्पादन में ही बेकार हो रहा है।

सिर्फ यही नहीं 88,800 करोड़ रुपए का भोजन हर साल बेकार हो जाता है और 1 लाख करोड़ की फसल कटाई के बाद खराब हो रही है। भोजन की बर्बादी और उनके भंडारण के पुख्ता इंतज़ाम ना होने के कारण करोड़ों टन का भोजन बर्बा चला जाता है और इसकी वजह से देश के लाखों बच्चे भूखे सोते हैं।

आंकड़ें बताते हैं कि हमारे देश में 14.5 % आबादी कुपोषण का शिकार है। 37.9% 5 वर्ष से छोटे बच्चों का वज़न लंबाई से कम है और 51.4% महिलाएं अनीमिया की शिकार हैं।

फोटो साभार- Flicker

क्या राष्ट्रवाद की बातों से भुखमरी खत्म होगी?

विगत 6 वर्ष में देश मे लागातार भुखमरी का स्तर बढ़ता चला जा रहा है। पर हमारी वर्तमान सरकार और ज़्यादातर लोग राष्ट्रवाद, देशभक्ति की बातें करते नज़र आ रहे हैं।

सोशल मीडिया हो या न्यूज़ चैनल हमें बस देशभक्ति की डिबेट ही देखने को मिल रही है। हम आज इसी बात में व्यस्त हैं कि कौन देश भक्त है, कौन देश विरोधी और देश से किसको खतरा है। बची-कुची कसर हिन्दू मुसलमान की डिबेट पूरा कर देती है।

पाकिस्तान का आलाप गाने वाला मीडिया अब यह नहीं दिखाएगा कि भारत भुखमरी में पाकिस्तान से भी आगे है। भुखमरी के कई कारण हैं पर प्रमुख है देश की अर्थव्यवस्था। अर्थव्यवस्था जितनी अच्छी होगी देश उतना ही प्रगति करेगा और देश ले लोगों को रोज़गार से लेकर जीवन यापन करने के अवसर मिलेंगे। पर आज अर्थव्यवस्था की स्थिति भी बहुत खराब है ।

विगत वर्षों में देश का राजनीतिक स्तर गिरता ही चला जा रहा है। देश के प्रमुख मुद्दों पर किसी का ध्यान नहीं। खैर, नेताओं से उम्मीद भी नहीं है। पर मीडिया और जनता को तो समझना होगा।

मगर राष्ट्रवाद की आड़ में हर कुछ छिपता चला जा रहा है, ना कोई देखने को तैयार है और ना सुनने को। मुझे तो लगता है कि हम आज गाँधी के 3 बंदरो के समान हो चुके हैं ना कुछ देखो ना बोलो और ना ही सुनो।

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