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भारतीय संस्कृति ज़िंदा है इसे यूंही बनाए रखें

दिसम्बर 2016 का वो दिन जब माननीय प्रधानमंत्री जी भाषण देते वक्त लगभग 4 मिनट के लिए रुक गए और माइक नीचे कर दिया एवं साथ ही लोगों को लगाते हुए नारों को भी हाथ से इशारा कर रोकने को कहा था । लोगों में उत्सुकता बढ़ गयी कि आखिर हुआ क्या, ये क्या था क्यों हुआ?

3-4 मिनट के बाद मोदी जी पुनः माइक ऊपर उठाकर कहते हैं

क्षमा करें, अज़ान चल रही थी हमारे कारण किसी की पूजा प्रार्थना में तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए और इसलिए मैंने कुछ पल विराम ले लिया।

मोदी जी की बात दिल छू गई थी, वे सामाजिक समरसता, समानता और सभी भारतीयों को एकजुट होने वाले संदेश के कई लोग मुरीद हो गए थे।

ट्रेन पर नमाज़ पढ़ते युवक, फोटो साभार- शोभित

एक दूसरे के धर्म के प्रति सम्मान

अभी मैं आनन्द विहार-भुवनेश्वर सप्तक्रांति एक्सप्रेस में हूं जिसमें 2 मुस्लिम भाईयों ने कुछ समय पहले सीट के बीचों-बीच सफाई की, सब जूते चप्पल हटाए, हमसे भी कहा,

भाई आप साइड वाली सीट पर बैठ जाओ।

मैंने पूछा क्यों? तब उन्होंने कहा,

नमाज़ पढ़नी है।

तभी दूसरे ने कहा,

कोई नहीं आप वहींं पैर ऊपर करके बैठ जाइए ।

मैं पैर ऊपर करके बैठ गया। अच्छा, यह केवल मेरे तक ही नहीं था। लगभग 4-5 मिनट तक उन दोनों लोगों ने एक साथ नमाज़ पढ़ी। उस दौरान चाय वाला भी चिल्लाते हुए आया परन्तु उन्हें नमाज पढ़ता देख चुप हो गया और आगे जाकर चाय-चाय आवाज़ देने लगा ।

तभी ऑन्टी एक बच्चे(लगभग 5-6साल का) को वाशरूम लेकर जा रही थीं, बच्चा ज़ोर से रो रहा था और ऑन्टी उसे चुप करा रही थी और कह रही थी,

बेटा हम ले चल रहे ना आपको वॉशरूम, चुप हो जाओ देखो ये लोग पूजा कर रहे हैं, चुप हो जाओ ।

तभी मुझे मोदी जी की वो स्पीच याद आई और मुझे लगा मोदी जी हमारी (भारतीयता की) इसी संस्कृति का जिसमें ‘सद्भाव व सामंजस्य’ हो का संदेश देना चाह रहे थे लेकिन उसमें भी हमारे कुछ भाई लोग, जो कट्टरता को बढ़ावा दे रहे हैं, उन्हें यह एकदम नागवार गुज़र रहा है।

जान लीजिएगा कट्टरता हमेशा घातक होती है चाहे वह मुस्लिम वर्ग की हो या हिन्दू वर्ग की ही क्यों ना हो।

इस लेख में प्रयोग की गई तस्वीरें मेरे द्वारा ही ली गई हैं, अगर आपने भी ऐसा दृश्य देखा हो तो ज़रूर बताएं।

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