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बांद्रा वेस्ट से महाराष्ट्र चुनाव में काँग्रेस प्रत्याशी आसिफ ज़कारिया का इंटरव्यू

आसिफ ज़कारिया

आसिफ ज़कारिया

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सत्ता पर काबिज़ होने के लिए सभी पार्टियां एडी-चोटी का ज़ोर लगा रही है। बीजेपी के साथ हुए गठबंधन में शिव सेना 124 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों में पहली बार शिवसेना इतनी कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

वहीं, एनसीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी है काँग्रेस। काँग्रेस पार्टी विधानसभा की 288 सीटों में से 125 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। एनसीपी भी इतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जबकि 38 सीटें सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ी गई है। इसी दौरान हमने मुंबई के बांद्रा वेस्ट विधानसभा से काँग्रेस पार्टी की टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे आसिफ ज़कारिया से बात की। पेश हैं उनके साथ बातचीत के अंश-

प्रिंस- पहली बार आप विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं और आपके अगेन्सट्स बीजेपी से मौजूदा विधायक आशीष शेलार हैं, जो स्कूली शिक्षा और खेल मंत्री भी रह चुके हैं। इस मुकाबले को आप कैसे देखते हैं?

आसिफ ज़कारिया- चुनाव में हर प्रत्याशी को गंभीरता से लड़ना पड़ता है। मैं बांद्रा से तीन बार लगातार तीन अलग-अलग वार्ड से नगर सेवक चुनकर आया हूं। यहां तक कि कठिन परिस्थियों में भी मैं अच्छे मार्जिन से जीतकर आया हूं। मेरा आउटरीच, मेरे काम करने का तरीका और लोगों से संपर्क की वजह से ही मैं तीन बार जीत कर आया हूं इसलिए मैं उम्मीद करता हूं विधानसभा चुनाव के लिए जिस तरह से मैं घर-घर जाकर लोगों से बात कर रहा हूं, लोग मेरा सपोर्ट करेंगे।

जन-संपर्क के दौरान बांद्रा वेस्ट से काँग्रेस उम्मीदवार आसिफ ज़कारिया।

मेरा कैंपेन बहुत सादा कैंपेन है, क्योंकि मैं डोर-टू-डोर जा रहा हूं। मैं समझता हूं कि कैंपेन का यह सबसे अच्छा माध्यम होता है, जहां आप लोगों के पास जाकर उनसे संपर्क करते हैं और लोगों के पास भी स्कोप होता है कि वे आपके समक्ष अपनी बात रख पाएं। कई प्रत्याशी बड़ी-बड़ी रैलियां करते हैं, जिसमें मैं यकीन नहीं रखता हूं।

मैं रास्ते में चलते हुए लोगों से मिल-जुलकर बात करता हूं और मुझे काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि लोग मुझे जानते हैं। मेरे काम करने का तरीका, क्षेत्र में मेरी उपलब्धता और मेरी ईमानदारी के बारे में लोग जानते हैं।

प्रिंस- आपके पास नगर सेवक का लंबा तजुर्बा रहा है। यानी कि स्थानीय मुद्दों से आप अच्छी तरह से वाकिफ हैं। यदि आप चुनाव जीतते हैं, तो आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?

आसिफ ज़कारिया- अगर मैं चुनाव जीतता हूं तो विधि निर्माण में नागरिक भागीदारी पर ज़ोर दूंगा। आज की तारीख में जिस तरीके से लेजिसलेचर पास होते हैं, आम जनता को कुछ पता ही नहीं चल पाता है। इसलिए मैं विधि निर्माण को नागरिक केन्द्रित बनाना चाहता हूं।

दूसरा यह कि बांद्रा विधानसभा मतदार संघ काफी विकसित वार्ड है, वहां गार्डन और प्लेग्राउंड जैसी सुविधाएं मुहैया कराने पर ज़ोर होगा। इसके अलावा ट्रैफिक और सिक्योरिटी का मसला भी अहम है।

2014 में जब हमारी सरकार थी, तब हमने अनेक इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। पिछले चार सालों में मुंबई पुलिस ने सिर्फ कुछ-कुछ मुख्य सड़कों पर कैमरे लगाए हैं लेकिन अंदर की गलियों में सिक्योरिटी की दिक्कते हैं। ईव-टीज़िंग जैसी चीज़ों को रोकने के लिए यह सब बेहद ज़रूरी है।

कैंपेन के दौरान बांद्रा वेस्ट से काँग्रेस उम्मीदवार आसिफ ज़कारिया।

कई स्थानीय मसले हैं जिनका हल बेहद ज़रूरी है। जैसे एक मुद्दा है NA टैक्स का। ‘Co-Operative Societies Act’ में कई ऐसे पहलु हैं, जिनका समाधान जनता चाह रही है। पीएमसी बैंक का जो मसला है, वह भी हमारी प्राथमिकता होगी।

‘Co-Operative Societies Act’ के तहत लोगों को अपनी जमा पूंजी Co-Operative बैंक में रखना पड़ता है और अगर वे नैशनलाइज़्ड बैंक में रखते हैं, तो उन्हें टैक्स देना पड़ता है। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसका असर कहीं ना कहीं हर सोसाइटी पर पड़ता है।

हमारे इलाके में बरियल ग्राउंड और सिमिट्री का मसला भी काफी अहम है, क्योंकि हर समाज को इसकी ज़रूरत होती है। हमारी तमाम प्राथमिकताओं में एक प्राथमिकता यह भी है कि इसे विकसित करना है। हेल्थ केयर का मसला भी काफी अहम है, जिस पर हर संभव हमें काम करना है।

प्रिंस: आपने कई साक्षात्कार में वोट बैंक को लेकर कहा है कि ऐसी चीज़ें हम नहीं मानते हैं मगर क्या मतदाता भी इन चीज़ों को नहीं मानते हैं?

आसिफ ज़कारिया: मैं समझता हूं कि मुंबई शहर और बांद्रा मतदाता संघ के मतदाता ना सिर्फ जागरूक हैं, बल्कि काफी जानकार भी हैं। वे कहीं ना कहीं उम्मीदवार को देखकर ही वोट देंगे। उम्मीदवार अच्छी छवि वाला हो, नॉन करप्ट हो, लोगों के बीच उनकी उपलब्ध्ता हो और सबसे ज़रूरी बात यह कि जनता की समस्याओं के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाला नेता हो।

स्थानीय लोगों को संबोधित करते बांद्रा वेस्ट से काँग्रेस उम्मीदवार आसिफ ज़कारिया।

प्रिंस: काँग्रेस ने इस बार देवेंद्र फडणवीस को टक्कर देने के लिए बीजेपी के पूर्व विधायक रहे आशीष देशमुख को चुनाव मैदान में उतारा है। क्या अशीष, फडणवीस को टक्कर दे पाएंगे?

आसिफ ज़कारिया: टक्कर देने की पूरी कोशिश है। वह संघर्ष करते हुए जी-जान लगाकर लड़ रहे हैं। जनता यह तय करेगी कि क्या सही है और क्या गलत है। आशीष देशमुख बढ़िया जन-संपर्क अभियान कर रहे हैं, लोगों के बीच जा रहे हैं और अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है उन्हें। फिर भी मैं कहूंगा कि जनता ही इसका फैसला करेगी।

प्रिंस: आपने कई दफा कहा है कि काँग्रेस ने आप जैसे सादा नेता को मौका दिया है मगर विलासराव देशमुख के दो बेटे अमित और धीरज काँग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। आपको नहीं लगता कि ऐसी चीज़ों से काँग्रेस पर लगने वाले वंशवाद के आरोप और मज़बूत हो जाते हैं?

आसिफ ज़कारिया: वंशवाद तो आज कल हर राष्ट्रीय दल में है और मैं समझता हूं कि इन चीज़ों को वंशवाद कहना गलत होगा, क्योंकि उन्होंने भी ग्रास रूट पर काम किया है फिर उन्हें यह अवसर दिया गया है।

उनके एक बेटे ज़िला परिषद से चुनाव लड़ चुके हैं और उन्हें ग्रास रूट की बारीकियों के बारे में पता है। कोई भी शख्स जो ग्रास रूट पर काम करते-करते ब्लॉक लेवल तक आते-आते अगर राष्ट्रीय राजनीति में आना चाहता है, तो इसमें मैं समझता हूं कि कोई बुराई नहीं है।

एक और बात वो यह कि उम्मीदवार अगर शिक्षित है फिर तो हमें यह नहीं देखना चाहिए कि उनके पिताजी या कोई रिश्तेदार राजनीति में क्या ओहदा रखते हैं।

विलासराव देशमुख के बेटे को पता है कि महाराष्ट्र के क्या मुद्दे हैं फिर ऐसे में उन्हें मुख्य धारा की राजनीति से जुड़ने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। मैं समझता हूं कि जो भी अच्छे और शिक्षित लोगों की कमतरता राजनीति में है, उसे खत्म करने के लिए तो युवाओं की भागीदारी ज़रूरी है। वंशवाद के पक्ष में कोई नहीं है मगर हां ऐसे युवा अगर राजनीति में आएंगे, तो मैं समझता हूं कि और बेहतर काम होगा।

प्रिंस: 2014 के चुनाव में राज्य सरकार ने महाराष्ट्र को 2019 तक टैंकर मुक्त करने का दावा किया था। सरकार ऐसा कर नहीं पाई। यदि आपकी सरकार बनती है तो जल संकट से निपटने के लिए आप क्या करेंगे?

आसिफ ज़कारिया: जल संकट से निपटने के लिए हमारी सरकार ने पहले भी काम किया था और आगे भी काम करेगी। यह एक ऐसी समस्या है, जिसका हल एक रात में संभव नहीं है। मौजूदा सरकार ने पहले भी ऐसे कई वादे किए थे, जो पूरे ना हो सके। शायद बदलाव की वजह से ही लोगों ने इन्हें वोट दिया था मगर आज बदलाव की बयार दिखाई नहीं पड़ रही है।

डोर टू डोर कैंपेन के दौरान बांद्रा वेस्ट से काँग्रेस उम्मीदवार आसिफ ज़कारिया।

मैं समझता हूं कि पांच सालों में जनता को सिर्फ झूठे वादे किए गए और सपने दिखाए गए मगर वास्तव में कुछ हुआ नहीं। हम पूरी कोशिश करेंगे कि झुग्गियों में रहने वाले लोग और वहां की महिलाओं को आज जिस तरीके से टैंकर के सामने पानी लेने के लिए लाइन लगाना पड़ता है, उससे उन्हें मुक्ति मिले।

प्रिंस: काँग्रेस और एनसीपी से कई कद्दावर नेता बीजेपी और शिवसेना का रुख कर चुके हैं। इतनी तादाद में ऐसा पलायन महाराष्ट्र में कभी नहीं हुआ। क्या इसका मतलब यह मान लिया जाए कि विपक्षी दल कमज़ोर हो चुके हैं।

आसिफ ज़कारिया: ऐसा तो नहीं कहूंगा। वे फिरकापरस्त लोग हैं, जो मौका देखकर दल बदल करते हैं। जिन लोगों ने भी राजनीतिक फायदे के लिए काँग्रेस पार्टी को छोड़ा है, उन्हें मैं केवल शुभकामनाएं ही देना चाहूंगा।

काँग्रेस पार्टी पिछले 70 सालों से ज़िदा है और आगे भी रहेगी। पुराने लोग जाएंगे तभी तो नए लोगों को मौका मिलेगा। जो लोग पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, यह उनकी मर्ज़ी है मगर संगठन को मज़बूत करने के लिए ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को जोड़ने का काम किया जा रहा है।

प्रिंस: केन्द्रीय राजनीति में देखा जाता है कि बीजेपी के विरोध में अन्य दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश होती है। यदि महाराष्ट्र में आपकी सरकार बनती है, तो क्या प्रकाश आंबेडकर और ओवेसी जैसे नेताओं को फिर से एक मंच पर लाने की कोशिश होगी?

आसिफ ज़कारिया: मैं फिर एक बार कह रहा हूं कि सभी सेक्युलर विचारधार की पार्टियों को एक मंच पर आना ही होगा, क्योंकि देश में आज की तारीख में जिस तरीके के हालात हैं, ज़ाहिर तौर पर मज़बूत विपक्ष की ज़रूरत है। लोगों में काफी ज़्यादा दहशत है, इसलिए मैं समझता हूं कि सेक्युलर दलों के साथ आने से किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

आसिफ ज़कारिया

सेक्युलर माइंडेड पार्टियों के लिए यह ज़रूरी है कि आपसी छोटे-मोटे मतभेदों को भुलाकर वे एक साथ आएं। जहां तक ओवेसी और प्रकाश आंबेडकर के अलग होने की बात है, तो इस पर मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा।

प्रिंस: महाराष्ट्र का एक हिस्सा, मराठवाड़ा, सूखे की चपेट में है और दूसरा हिस्सा पश्चिम महाराष्ट्र हाल में आई बाढ़ से उबर रहा है। इसके लिए काँग्रेस पार्टी के पास कौन सी रणनीति है?

आसिफ ज़कारिया: आज की तारीख में राज्य और राष्ट्रीय मुद्दों को मोदी सरकार भूल गई है। आज आप देखिए किसान आत्महत्या कर रहे हैं। उन्हें ऋण माफी का जो वादा किया गया था, वह भी पूरा नहीं हुआ। मुंबई और महाराष्ट्र की जनता में इसका आक्रोश है। कहीं बाढ़ तो कहीं सुखाड़ की वजह से हालात बिगड़े हुए हैं। इन मुद्दों को राज्य स्तर पर हम लगातार उठाते और उभारते रहेंगे।

प्रिंस: युवाओं की दिलचस्पी वोट में बढ़ रही है। यदि आप चुनाव जीतते हैं, तो युवाओं के लिए आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?

आसिफ ज़कारिया- आज कल के वोटरों में युवाओं की संख्या काफी अधिक है, जो बढ़-चढ़कर वोट में हिस्सा लेते हैं। आज कल के युवा बहुत अभ्यासु होते हैं, जिन्हें पता होता है कि क्या करना है और क्या नहीं करना है। यूथ डेवलपमेंट को ध्यान में रखते हुए हमें अनेक योजनाओं पर काम करने की ज़रूरत है, जिसके लिए हमारी सरकार आने पर हम प्रतिबद्ध हैं।

युवाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या मार्गदर्शन की है, उन्हें सही वक्त पर करियर के लिए कोई गाइड नहीं करते हैं, जिस कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दिशा में हम ज़रूर काम करेंगे।

प्रिंस: कोई डॉक्टर बनना चाहता है, कोई इंजीनियर तो कोई साइंटिस्ट मगर शायद ही कोई कहता है कि मुझे नेता बनना है। इस पर्सेप्शन को आप कैसे बदलेंगे?

आसिफ ज़कारिया: इस पर्सेप्शन को बदलने के लिए मैं एक जीता जागता सबूत हूं, ग्रांस रूट से आया हूं और आम कार्यकर्ता हूं। काँग्रेस पार्टी ने मुझे चुनाव लड़ने का मौका दिया। इसी तरीके से लोग अपने स्तर पर उम्दा प्रदर्शन के ज़रिये मुख्य धारा की राजनीति में ज़रूर आ सकते हैं।

लोग कहते हैं कि राजनीति से दूर रहिए लेकिन मुझ जैसे साफ छवि वाले आम लोग अगर राजनीति में आना शुरू करेंगे, तो ज़ाहिर तौर पर समाज में परिवर्तन की कल्पना की जा सकती है।

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