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जब सत्यार्थी जी ने दीप प्रज्वलन के लिये बच्चों का किया इंतज़ार

यह घटना चंडीगढ़ में 11 सितम्बर 2019 को आयोजित नोबल प्राइज़ सीरीज़ इंडिया 2019 के कार्यक्रम की है। सत्यार्थी जी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे थे। सारा का सारा कार्यक्रम सत्यार्थी जी व बच्चों पर ही केन्द्रित था।

नोबल प्राइज़ सीरीज़ का उद्देश्य दुनिया भर से आए हुए विशेषज्ञों और नोबल विजेताओं को एक मंच पर लाकर रचनात्मक विचारधारा को प्रोत्साहित करना था। इस कार्यक्रम में विद्यार्थी, शिक्षक,पॉलिसी मेकर, ओपिनियन लीडर व विज्ञान समुदाय के श्रोता बड़ी संख्या में मौजूद थे।

कैलाश सत्यार्थी के निमंत्रण

कार्यक्रम का आयोजन नोबल प्राइज़ सीरीज़ इंडिया 2019 तथा मिनिस्ट्री ऑफ साइन्स एंड टेक्नोलोजी भारत सरकार ने संयुक्त रूप से किया था। नोबल प्राइज़ सीरीज़ समय-समय पर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इस तरह के आयोजन करती रहती है। गौरतलब है कि सत्यार्थी जी को अपने कार्यक्रमों में बुलाने के लिये पूरी दुनिया से आए हज़ारों निमंत्रण पत्र उनके ऑफिस में अपनी बारी आने का इंतज़ार कर रहे हैं।

अगर उनका ऑफिस सभी निमंत्रण पत्रों को स्वीकार कर ले तो सत्यार्थी जी को इस जनम में अपनी तय-शुदा उम्र के अतिरिक्त सैकड़ों साल और जीना पड़ेगा, जो संभव नहीं है। इसलिए उनका ऑफिस विनम्रतापूर्वक बहुत सारे निमंत्रणों के लिये माफ़ी मांग लेता है लेकिन जहां पर बच्चों और नौजवानों का सवाल आता है, तो सत्यार्थी जी अपनी व्यस्ततम दिनचर्या में से उनके लिए समय निकाल ही लेते हैं।

चंडीगढ़ के उपरोक्त कार्यक्रम के संदर्भ में भी ऐसा ही हुआ। इस कार्यक्रम के लिए दुनिया भर से कई नोबल विजेताओं को आमंत्रित किया गया था लेकिन श्री सत्यार्थी जी के अलावा फ्रांस के रहने वाले 2012 में, फिजिक्स में नोबल प्राइज़ प्राप्त करने वाले प्रोफेसर सार्ज हरोशे ( prof Serge Haroche ) ही शामिल हुये थे।

फोटो साभार – शिव कुमार

अतिथियों द्वारा मंच पर स्थान ग्रहण करने के उपरांत कार्यक्रम के औपचारिक उदघाटन हेतु नोबल प्राइज़ सीरीज़ के आयोजनकर्ता व पंजाब सरकार के मंत्री श्री बलबीर सिंह सिंधु, कई वरिष्ठ अधिकारी दीप प्रज्वलित कराने के लिये सत्यार्थी जी के साथ बड़े उत्साह में आगे बढ़े तथा आदत के अनुसार दीप प्रज्वलित करने लगे।

आयोजन में दीप जलाते हुए रुक गए सत्यार्थी

तभी यकायक सत्यार्थी जी ने इधर-उधर देखा और दीप प्रज्वलित करने के बजाय जलती हुई मोमबत्ती हाथ में लिये खड़े रहे जबकि बाकी अतिथिगण दीप प्रज्वलित करने में व्यस्त थे।

स्टेज पर मौजूद सभी लोग यह देखकर हक्के-बक्के रह गए कि सत्यार्थी जी जलती हुई मोमबत्ती लिए हुए अभी तक क्यों खड़े हुए हैं? दीप प्रज्वलित क्यों नहीं कर रहे हैं ? सत्यार्थी जी ने आयोजकों से  पूछा कि बच्चे कहाँ हैं ? गौरतलब है कि सत्यार्थी जी का कोई कार्यक्रम ऐसा नहीं होता जिसमें बच्चे शामिल ना हों लेकिन इस प्रोग्राम में स्टेज पर  दीप प्रज्वलन के कार्यक्रम में कोई बच्चा शामिल नहीं था।

स्टेज पर मौजूद सभी लोग एक दूसरे की बगलें झांकने लगे। तभी सत्यार्थी जी ने खुद ही पीछे की लाइनों में बैठे हुए बच्चों को दीप प्रज्वलित करने के लिए आमंत्रित किया  फिर क्या था स्टेज पर कई बच्चे दौड़े चले आये और सत्यार्थी जी के साथ खुशी-खुशी दीप प्रज्वलित करने लगे। तब जाकर उदघाटन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस प्रकार बच्चों व सत्यार्थी जी के दीप प्रज्वलन करने तक सभी अतिथियों को मंच पर ही  इंतज़ार करना पड़ा।

फोटो साभार – शिव कुमार

उपरोक्त घटना से पता चलता है कि सत्यार्थी जी के जीवन में बच्चों की क्या अहमियत है। वास्तव में सत्यार्थी जी की ज़िंदगी बच्चों के बिना अधूरी है तथा उनके हर छोटे-से-छोटे काम में बच्चों की शिरकत होती है।

बच्चे सत्यार्थी जी की जान हैं, बच्चे ही सत्यार्थी जी का ईमान हैं, बच्चे ही सत्यार्थी जी की सुबह-ओ-शाम हैं। सत्यार्थी जी की सुबह बच्चों से ही शुरू होती है और शाम भी बच्चों के साथ पूर्ण होती है । सारी दुनिया के बच्चों के अलमबरदार श्री कैलाश सत्यार्थी जी को नमन।

 

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