माननीय प्रधानमंत्री जी,
मैं भारत देश का एक नागरिक खत के ज़रिये आपसे संवाद स्थापित करने की कोशिश कर रहा हूं। देश में आज जो कुछ भी हो रहा है, उसे लेकर हमें देश की काफी चिंता हो रही है। हमें लगता है कि जिस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं, यह देश के वर्तमान और भविष्य के लिहाज से अत्यंत ही घातक साबित हो रहा है।
यदि जल्द ही सब कुछ ठीक नहीं किया गया, तो भविष्य में देश के हालात और भी बदतर हो जाएंगे। देश के उज्ज्वल भविष्य के मद्देनज़र सवाल की शक्ल में निम्नलिखित मसलों पर हम आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहते हुए इसके उत्तर की अपेक्षा रखते हैं-
- देश में अल्पसंख्यकों-दलितों की मॉब लिंचिंग आखिर क्यों नहीं थमने का नाम नहीं ले रही है? यौन हिंसा व बलात्कार की घटनाएं क्यों नहीं थम रही हैं?
- लगभग दो माह बीत जाने के बाद भी कश्मीर के आम अवाम के लोकतांत्रिक अधिकारों की गारंटी क्यों नहीं हुई है?
- नागरिकता संशोधन कानून के ज़रिये खासकर मुस्लिमों में भय क्यों पैदा किया जा रहा है?
- रेलवे और बीपीसीएल आदि जैसे राष्ट्रीय महत्व की चीज़ों का निजीकरण क्यों? विभिन्न बैंकों से लेकर रिज़र्व बैंक व एलआईसी तक की ऐसी हालत क्यों?
- अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ आदिवासियों, दलितों और वंचितों के हक व अधिकार की आवाज़ बुलंद करने वाले आदिवासी-दलित नेताओं व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों का दमन क्यों?
- जल, जंगल और ज़मीन बचाने के लिए आवाज़ उठाने वालों का दमन क्यों?
- प्रधानमंत्री जी, यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि उपर्युक्त सारे सवाल देश के लोकतंत्र को अक्षुण्ण बनाए रखने हेतु अहम सवाल हैं। देश संवैधानिक मर्यादा और मूल्यों के अनुरूप चले, केंद्र सरकार के मुखिया होने के नाते इसकी सबसे अधिक जवाबदेही आपकी ही है।
हम जानते हैं कि आप देश-विदेश की रैलियों व यात्राओं के साथ-साथ संवैधानिक दायित्वों के निर्वाह में काफी व्यस्त रहते हैं। किंतु देश के वर्तमान व भविष्य को देखते हुए हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप उक्त सवालों का संतोषप्रद उत्तर हम नागरिकों को देने का कष्ट करेंगे।
अंत में हम यह भी उम्मीद करते हैं कि उक्त ज़रूरी सवाल पूछने के कारण हमें देशद्रोही नहीं ठहराया जाएगा, क्योंकि उपर्युक्त सारे प्रश्न देश हित से जुड़े हुए हैं और आपसे इन सवालों का जवाब मांगने का हमें संवैधानिक हक है।
मैं उम्मीद करता हूं कि प्रधानमंत्री जी तक मेरी यह बात पहुंचे ताकि उन्हें ना सिर्फ देश के हालातों के बारे में जानकारी मिले, बल्कि उन्हें यह भी ज्ञात हो कि अब देश का युवा जाग रहा है जो नेताओं से सवाल करने की हिम्मत रखता है। हमारे प्रधानमंत्री जी बड़े गर्व से कहते हैं कि आज भारत की पहचान पूरे विश्व में बनी है, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि इस पहचान को लेकर हमलोग भला करेंगे क्योंकि हमारे देश में आज भी गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा और खराब शिक्षा व स्वास्थ बड़ी चुनौती है।
देश के बेहतर वर्तमान व भविष्य की परवाह करने वाला एक आम नागरिक।