Site icon Youth Ki Awaaz

आंइस्टीन को चुनौती देने वाले भारतीय गणितज्ञ की सरकार को चिंता क्यों नहीं है?

कभी हमारे यहां एक गणितज्ञ हुआ करता था। माफ कीजिएगा था इसलिए कहना पड़ा है क्योंकि आज ज़िन्दा होते हुए भी वह हमारे बीच नहीं हैं। मैं बात कर रहा हूं भारतीय गणितज्ञ डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह की, जो गणित के मुश्किल-से-मुश्किल सवालों को देखते ही हल कर देते थे, जिसकी वजह से दुनियाभर से उन्हें बड़े-बड़े ऑफर मिलने लगे।

उन्होंने नासा में भी काम किया। उस दौरान नासा का कंप्यूटर डाउन हो गया था। तब वशिष्ठ नारायण के गणित हिसाबों के कारण नासा का मिशन आगे बढ़ पाया था। बाद में जब नासा का कंप्यूटर ठीक हुआ तब वशिष्ठ नारायण बाबू का हिसाब और कंप्यूटर का हिसाब मिलाया गया, तो दोनों एक जैसे ही थे।

वशिष्ठ नारायण बाबू। फोटो सोर्स- ANI

लेकिन क्या था कि वशिष्ठ नारायण बाबू को देशभक्ति का कीड़ा काट चुका था, जिसके कारण वह भारत चले आएं और यहां आईआईटी और विभिन्न संस्थाओं में काम किया। वशिष्ठ नारायण की ज़िन्दगी एक विशेष रूप में चली जैसे कि जब वह पांचवी में थे, तो दसवीं कक्षा के सवाल को हल करते थे और जब 12वीं में थे तो बीटेक और बीएसई के सवालों को हल कर लेते थे। इन्होंने आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती भी दी थी।

आप सोच रहे होंगे अगर इस इंसान में इतना टैलेंट है, अगर यह इतना जीनियस है तो ज़रूर यह आज एक बेहतरीन और कुछ ऊंचे पद पर होगा। ऐसा कुछ नहीं है, जब यह भारत आएं तो इनकी ज़िन्दगी ने एक अलग तरीके का मोड़ लिया और यह किस्मत का मारा बन गएं।

कुछ साल पहले एक खबर छपी कि यह कहीं किसी पुल के नीचे जूठा खाते हुए पाए गए थे, जिसके बाद बिहार सरकार ने इन्हें पागल करार देते हुए पागल खाने में रख दिया। वहां पर भी इन्होंने गणित बनाना नहीं छोड़ा।

अब सोचिए हम देशभक्ति की बात करते हैं लेकिन इनकी देशभक्ति तो इनकी जान का दुश्मन बन गया। बिहार सरकार तो छोड़िए इस मामले में भारत सरकार भी हाथ-पर-हाथ धरे बैठी रही।

वशिष्ठ नारायण बाबू। फोटो सोर्स- ANI

कुछ दिनों पहले एक शब्द हाइपर नेशनलिज़्म को ट्रेंड किया जा रहा था। हालात तो ऐसे हैं कि कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है, किसे सपोर्ट करें? करोड़ों रुपए लेकर भागने वाले को, या यह सब देखकर भी चुप रहने वाली सरकार को, या उन नेताओं को जो सेनाओं से सबूत मांगते हैं, या उन सेनाओं को जो देशवासियों के लिए शहीद होते हैं, या उन वशिष्ठ नारायण सिंह जैसे लोगों को जो नासा जैसी स्पेस एजेंसी को छोड़कर अपने देश आते हैं कि कुछ स्वदेशी करेंगे।

कहने को तो बहुत कुछ है। मौजूदा हालात को समझते हुए बस यह कहा जा सकता है कि खुद पर भरोसा कीजिए, सरकार पर नहीं क्योंकि यहां देशभक्ति की कोई कीमत नहीं है, बस आप दे सकते हैं तो अपनी जान। आज फिर यह बीमार हैं और ICU में ज़िन्दगी और मौत से लड़ रहे हैं।

Exit mobile version