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गुजराती मोदी-शाह के राज में, अंबानी-अडाणी सबसे अमीर

देश का वक्त गुजरात की मुट्ठी में है।

यह हम नहीं फोर्ब्स की रिपोर्ट कह रही है। एक तरफ गुजरात के दो लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी व अमित शाह पूरे देश की जनता के दिलो-दिमाग पर छाते हुए, राष्ट्रीय राजनीति के शिखर पर हैं। तो वहीं दूसरी तरफ व्यवसाय के क्षेत्र में भी दो गुजराती श्री मुकेश अम्बानी (रिलायंस इंडस्ट्रीज) और श्री गौतम अडाणी (अडाणी ग्रुप्स) राष्ट्रीय पटल पर छाए हुए हैं ।

अमीर भारतीयों में नंबर एक पर अंबानी और अडाणी

फोर्ब्स द्वारा जारी ताज़ा रैंकिंग के अनुसार सर्वाधिक अमीर भारतीयों में नंबर एक पर गुजरात से आने वाले मुकेश अम्बानी का कब्ज़ा है, तो दूसरे नंबर पर गुजरात से ही वर्तमान सत्ता के चहेते माने जाने वाले गौतम अडाणी पहुंच गए हैं।

सत्ता और व्यवसाय की इस रेस में गुजरात के वर्चस्व की कहानी काफी कुछ एक जैसी ही है। राष्ट्रीय राजनीति के शिखर पर जहां नरेंद्र मोदी 2013-14 से चमक रहे हैं, तो वहीं अमित शाह पहली बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए और सीधे बड़े-बड़े महारथियों को पीछे छोड़ते हुए गृहमंत्री बने।

ठीक इसी प्रकार मुकेश अम्बानी लगभग दशकों से देश के सबसे अमीर व्यक्ति बने हुए हैं लेकिन अहमदाबाद से ताल्लुक रखने वाले गौतम अडाणी, 2014 तक इस लिस्ट में कही नहीं थे। वे तेज़ी से ऊपर आए हैं। 2018 की फोर्ब्स लिस्ट के अनुसार वे आठवें पोज़ीशन पर थे और वहां से लम्बी छलांग के साथ सीधे इस वर्ष नंबर 2 बने हैं ।

इस सफलता का विश्लेषण होना चाहिए

सफलता स्वागतयोग्य है लेकिन इसका विश्लेषण होना चाहिए। सत्ता और व्यवसाय के शिखर पर इतनी समानता निश्चित तौर पर क्षेत्रीय विषमता को लेकर संदेह पैदा करती है। विशेषकर ऐसे वक्त में जब देश एक घोर आर्थिक संकट से घिरा हुआ है।

सकल घरेलू उत्पाद 5% से भी नीचे आ रहा है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तो सबसे बुरे दौर में गुज़र रहा है। बड़ी-बड़ी कंपनियां बंद होने के कगार पर हैं। करोडों लोग बेरोज़गार हो गए हैं, उनकी आय समाप्त हो गई है, बैंकिंग सिस्टम तबाह हो गया है, व्यावसायिक क्षेत्र के हर आकड़ें गिर रहे हैं, कंपनियों के शेयर, निवेशकों के पैसे डूब रहे हैं लेकिन एक व्यक्ति ना गिर रहा था, ना संभला हुआ था बल्कि ऊपर जा रहा था। समझना मुश्किल है कि यह करिश्मा है या कुछ और?

सब कुछ पूरी ईमानदारी से हो रहा है। कोई भ्रष्टाचार नहीं, कोई भेद-भाव नहीं है। सबके लिए बराबर के मौके हैं, वगैरह-वगैरह के बावजूद एक व्यक्ति खुद को अम्बानी के बगल में ला खड़ा करता है, वाकई कबीले तारीफ है। सरकार करे, अम्बानी-अडाणी की यह गुजराती जोड़ी ऐसे ही देश की पूंजी बटोरती रहे, बशर्ते ये दोनों भी दलों/नेताओं/अधिकारियों के बैंक अकाउंट भी याद रखें।

जोड़ी से याद आया, पहली बार ‘आप’ ने पिछले विधानसभा चुनाव में इस जोड़ी को एक साथ पुकारना शुरू किया था। आज उनकी मन मुराद भी पूरी हो गयी।

बाकि हमें टेंशन लेने की कोई जरुरत नहीं है, गुजराती अच्छे बिजनेसमैन तो पहले से ही रहे हैं और अब तो अच्छे, ईमानदार, सुशील, जुझारू, कर्तव्यनिष्ट नेता भी बन चुके हैं। देश का नेतृत्व वे नहीं करेंगे तो कौन करेगा? कहीं कोई अनियमितता नहीं है, सब-कुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो रहा है। हां, दूध वाला भी अपना है और पानी वाला भी अपना ही है।

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