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शिक्षा में संगीत का महत्त्व बताने के लिए NCERT ने दिया निर्देश

म्यूज़िक

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हाल ही में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने सभी शिक्षण संस्थानों को एक दिशा निर्देश देते हुए कहा है कि ब्रेक या मिड डे मील के समय बच्चों के उम्र के हिसाब से संगीत बजाया जाए ताकि बच्चों का मन पढाई से ना उबे और उनका ध्यान स्कूल में अच्छी तरह से लगा रहे।

आज कल बच्चों को मिट्टी से जुड़े खेल पसंद नहीं आते क्योंकि उन्हें मोबाइल आसानी से मिल जाता है, जिसके लिए खुद उनके माता-पिता ही ज़िम्मेदार हैं। कई बार तो बच्चा माता-पिता से नाराज़ होता है, तो बच्चे को मनाने के लिए माता-पिता ही मोबाइल दे देते हैं और बच्चा गेम खेलने लगता है। गेम खेलते समय उसके ऊपर बुरा प्रभाव पड़ रहा होता है और यह धीरे-धीरे गंभीर बीमारी का भी रूप ले सकता है।

कभी शिक्षण संस्थानों में खेल-कूद का रिवाज़ था

आज़ादी के कुछ साल तक हमारे शिक्षण संस्थानों में खेल-कूद का रिवाज था, जिसमें खेल-कूद और संगीत के लिए एक दिन रिज़र्व रहता था। जिसकी तैयारी बच्चे एक सप्ताह पहले से शुरू कर देते थे और उनमें इसके लिए काफी हर्ष पहले से ही रहता था। ऐसे आयाजनों में वह भाग लेते और उसको पूरा भी करते थे। 

इसी प्रकार और कई सारे आयोजन किए जाते थे, जैसे- निबंध लेखन, पत्र लेखन, चित्र लेखन और कबड्डी आदि। इनका आयोजन होता ही रहता था लेकिन राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के इस कदम से स्कूलों को फिर से संगीतमय बनाया जा सकता है। 

संगीत की मनुष्य जीवन में भूमिका

संगीत मनुष्य के जीवन का एक अभिन्न अंग होता है, जिससे हम अपने स्मरण शक्ति को बढ़ाते हैं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के इस पहल को सराहा जाना चाहिए और स्कूलों को लागू करने के लिए उनको प्रोत्साहित भी करना चाहिए। अतिरिक्त राशि का आवंटन भी करना चाहिए, जिससे संगीत के लिए स्कूल मसौदा तैयार कर सके और उसे लागू भी कर सके।

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