आज प्रधानमंत्री 2 दिन के दौरे के लिए सऊदी अरब गए हैं। 30 तारीख तक वे वहीं रहेंगे और वहां पर वे क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान से भी मिलेंगे। कश्मीर से 370 हटाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह पहला दौरा होगा जो कि ना सिर्फ आर्थिक दृष्टि से बल्कि डिप्लोमेसी के लिहाज़ से भी बहुत ज़रूरी है।
وصلت إلى المملكة العربية السعودية في مستهل زيارة هامة تهدف إلى تعزيز العلاقات مع دولة صديقة نعتز بها كثيرا. سوف انخرط في برامج حافلة خلال الزيارة . pic.twitter.com/6R80ZCFTVF
— Narendra Modi (@narendramodi) October 28, 2019
सऊदी ने कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन किया है। 2 अक्टूबर 2019 को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सऊदी के प्रिंस और उप-प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान की मुलाकात हुई थी, जिसके बाद सऊदी विदेश मंत्रालय और खुद मोहम्मद बिन सलमान ने भारत के 5 अगस्त के फैसले का समर्थन किया था।
डिप्लोमेसी की दृष्टि से ज़रूरी मुलाकात
जब से धारा 370 हटी है तब से पाकिस्तान हर दिन पानी पी-पीकर भारत को कोस रहा है (हालांकि इसके पीछे की वजह उनके मुल्क में हो रही आर्थिक बर्बादी को छुपाना है) और जैसे 70 साल से उनकी नीति रही है वह इसे इस्लाम का मुद्दा बना कर दुनिया के इस्लामिक मुल्कों को भारत के खिलाफ करना चाहता है।
टर्की और मलेशिया तो पाकिस्तान के समर्थन में है, पर सऊदी अरब और संयुक्त राष्ट्र अमीरात का साथ भारत के साथ रहा और इसे बनाए रखने की भी ज़रूरत है।
एक काम की बात और भी है ऑरगनाईज़ेशन ऑफ इस्लामिक रिपब्लिक (Organisation of Islamic Republic) जो कि 57 इस्लामिक मुल्कों का समूह है, उसका मुख्यालय सऊदी के जद्दाह शहर में है। इसका इस्तेमाल हमेशा पाकिस्तान भारत के खिलाफ करता रहा है। ऐसे में उसके लिए सऊदी काफी ज़रूरी है।
पाकिस्तान या अन्य इस्लामिक मुल्कों को सऊदी की ज़रूरत सिर्फ इसलिए नहीं है कि ओआईसी (Organisation of Islamic Republic) का दफ्तर सऊदी में है। बल्कि इसलिए भी क्योंकि सऊदी का ओआईसी (OIC) में एक बड़ा और उच्च कद भी है। सिर्फ यही नहीं इस्लाम का सबसे बड़ा प्रतीत मक्का मस्जिद सऊदी में ही है। जिससे पूरी दुनिया के इस्लाम का केंद्र सऊदी है।
इसलिए अगर आज सऊदी भारत के साथ हैं तो बाकी इस्लामिक मुल्क भी आगे हमारे साथ हो सकते हैं। ऐसे में मलेशिया और टर्की की किसी को परवाह नहीं।
मोदी को इस्लामिक देशों से मिले हैं सम्मान
भारत के लिए साल 2016, सऊदी के साथ डिप्लोमेसी के लिए काफी ज़्यादा फायदेमंद रहा क्योंकि उसी साल 3 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी को सऊदी का सर्वोच्च सम्मान मिला था। जो है ऑर्डर ऑफ अब्दुलअजीज अल सऊद (Order of Abdulaziz al Saud) जिसके बाद पाकिस्तानी खेमों में बड़ा हड़कंप मच गया था।
ऐसा होना लाज़मी भी था क्योंकि आज तक किसी हिंदुस्तानी प्रधानमंत्री को यह सम्मान नहीं मिला था। खास तौर पर उस आदमी को जिसे पाकिस्तान सालों से मुसलमानों का दुश्मन बताता आया है। इसके अलावा और 5 इस्लामिक मुल्कों ने भी प्रधानमंत्री को अपने यहां का सर्वोच्च सम्मान दिया था। जिनमें अरब आमिरात का ऑर्डर ऑफ जायेद (order of zayed) भी शामिल था।
आर्थिक दृष्टि से भी है फायदेमंद
पिछले साल वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारत को हर साल 80 बिलियन डॉलर की कमाई सिर्फ विदेशो में बैठे हुए एनआरआई (NRI) जो देश में पैसा भेजते हैं उनसे होती है और भारत एनआरआई (NRI) से पैसा कमाने में नंबर एक पर है। इसमें 11 अरब हर साल सऊदी से आता है क्योंकि इस वक्त सऊदी में करीब 26 लाख भारतीय रहते हैं, जो हर साल इतनी रकम भारत को भेजते है।
भारत की पिछले 70 साल की प्रो-अरब पालिसी का एक कारण तेल भी है क्योंकि जितने भी अरब मुल्क हैं, वे तेल सम्पन्न है और भारत में तेल की काफी ज़्यादा मांग है। 1947 से 2017 तक सऊदी अरब भारत में सबसे ज़्यादा तेल भेजता था। हालांकि 2017 के बाद ईरान ने उसकी जगह ले ली थी।
इराक ने अप्रैल 2018-2019 के दौरान भारत को 46.61 मिलियन टन और 2017-18 के वित्तीय वर्ष में 45.74 मिलियन टन का कच्चा तेल बेचा था, जो सऊदी के 2018-19 के 40.33 मिलियन टन और 2017-18 के 36.13 मिलियन टन से ज़्यादा था।
पर आज अमेरिका और ईरान में परमाणु हथियारों को लेकर लड़ाई छिड़ी हुई है और उसकी वजह से भारत के कई राज्यों में तेल की कीमतें 70-71 रुपये लीटर से भी ऊपर आ गई है। ऐसे में अमेरिका के दोस्त सऊदी अरब को भारत को सबसे ज़्यादा कच्चा तेल सप्लाई करने में पहला क्रमांक मिल सकता है।
इसके साथ ही भारत सऊदी से अच्छी कीमत पर कच्चा तेल ले सकता है क्योंकि भारत में आज तेल के दाम बढ़ने से देश को काफी नुकसान हो रहा है।
हमारे दुश्मन मुल्क भी आज कल सऊदी के साथ दोस्ती बढ़ाने की फिराक में है लेकिन सबको किनारे करते हुए, भारत की सऊदी से अच्छी दोस्ती हो रही है। मुझे यह लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी जो आज तक डिप्लोमेसी में जीते हैं वो आज भी जीतेंगे।