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नरेंद्र मोदी की सोशल मीडिया तकनीक और आधुनिक राजनीति में उसके मायने

मई में एक खबर आई कि दुनिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया पर सबसे ज़्यादा फॉलो किए जाने वाले दूसरे नेता बन गए हैं। फेसबुक, इंस्टग्राम और ट्विटर, इन तीनों माध्यमों पर आज के समय में करीब 126 मिलियन फॉलोअर्स हैं।

उनके आगे पहले नंबर पर अभी सिर्फ अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा हैं। वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फॉलोवर्स की संख्या भी नरेंद्र मोदी से कम ही है। इस रेस में मोदी, कॉंग्रेस अध्यक्ष राहुल गॉंधी से 10 गुना आगे हैं। इसकी जानकारी डिजिटल मार्केटिंग प्लैटफॉर्म एसइएमरश ने अपनी रिपोर्ट में दी है।

नरेंद्र मोदी। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

इस तरह मोदी संभवत: देश के पहले ऐसा नेता तथा प्रधानमंत्री हैं, जो मीडिया ही नहीं, सोशल मीडिया के भी सभी प्लैटफॉर्म्स पर मौजूद हैं। ज़ाहिर है कि इन सबका ज़बर्दस्त फायदा भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिल भी रहा है। उनकी लोकप्रियता में लगातार इज़ाफा होता जा रहा है।

लोग एक राजनेता के तौर पर पीएम मोदी को काफी पसंद कर रहे हैं और उनके बारे में जानना चाहते हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि पीएम मोदी राजनीति के ही नहीं सोशल मीडिया के भी किंग हैं।

चाहे प्रत्येक रविवार को सोशल मीडिया पर कोई बड़ी घोषणा करने के लिए लोगों के साथ प्रत्यक्ष संवाद करना हो या फिर मानवीय संवेदनाओं के छूने वाले हल्के-फुल्के क्षणों को शेयर करना हो, नरेंद्र मोदी किसी-ना-किसी बहाने से हमेशा सोशल मीडिया की सुर्खियों में बने रहते हैं, जिसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव जनता पर भी पड़ता है।

कहां, कितने फॉलोवर हैं मोदी के

पीएम मोदी के फॉलोअर्स की बात करें तो मोदी के फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर कुल मिलाकर 126 मिलियन के करीब फॉलोअर्स हैं।

फेसबुक

फेसबुक पर नरेंद्र मोदी के वर्तमान में 44,001,247 (44 मिलियन) के करीब फॉलोवर्स हैं।

इंस्टाग्राम

इंस्टाग्राम पर मोदी के फॉलोअर्स की संख्या 31 मिलियन से अधिक पहुंच गई है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फॉलोअर्स करीब 15.1 मिलियन ही हैं। मोदी इस प्लैटफॉर्म का उपयोग अक्सर अपने जीवन के हल्के-फुल्के या अनछुए पहलुओं को शेयर करने के लिए करते रहते हैं। इससे आम जन के साथ वह आसानी से कनेक्ट हो पाते हैं।

ट्विटर

ट्विटर पर मोदी का पर्दापण वर्ष 2014 में लोकसभा चुनावों से पूर्व हुआ। इकोनॉमिक्स टाइम्स द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार, वर्ष 2014 के अंत तक ट्विटर पर मोदी के फॉलोअर्स की संख्या 5.3 मिलियन के करीब थी, जो कि पांच वर्षों में बढ़कर 50 मिलियन के करीब पहुंच गई है। मोदी खुद मात्र 2299 लोगों को ही फॉलो करते हैं।

नरेंद्र मोदी ऐप

फोटो सोर्स- नरेंद्र मोदी ऐप

गूगल प्ले स्टोर से नरेन्द्र मोदी ऐप डाउनलोड करने वालों की संख्या एक करोड़ से ज़्यादा हो गई है। यह आम लोगों के साथ प्रधानमंत्री के सीधा संवाद का एक बड़ा और अहम मंच है। प्रधानमंत्री मोदी इस ऐप के ज़रिए देशवासियों के साथ सीधा संवाद करते हैं। इस ऐप के ज़रिए लोग अपनी शिकायतें और सुझाव भी प्रधानमंत्री के साथ साझा कर सकते हैं।

लिंक्डइन

लिंक्डइन पर प्रधानमंत्री मोदी के 32 मिलियन के करीब फॉलोअर हैं।

यू-ट्यूब चैनल

प्रधानमंत्री मोदी के यू-ट्यूब चैनल के सब्सक्राइबरों की संख्या 3.67 फॉलोवर्स है।

सोशल मीडिया पर मोदी की सर्वव्यापी उपस्थिति का सारा श्रेय उनकी सुदृढ़ टीम को जाता है, जो मोदी और आम जनता के मध्य संचार पुल निर्मित करने का कार्य करती है। इस टीम द्वारा बेहद सावधानी और सूझबूझ से निर्मित की गई सोशल मीडिया स्ट्रैटजी की बदौलत ही मोदी का नाम आज वैश्विक पटल पर बुलंदी से लहरा रहा है।

आज केवल देश ही नहीं, विदेशों में भी अगर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर कोई जानता और पहचानता है, तो इसके लिए मोदी की टीम वाकई तारीफ के काबिल है। आखिर पीएम मोदी का सोशल मीडिया अन्य नेताओं से कैसे अलग है और वे किस तरह से इसका उपयोग करते हैं, यह जानना भी बेहद दिलचस्प है।

हर भाषा और धर्म के लोगों तक है मोदी की पहुंच

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गूगल की ज़्यादातर चीज़ें अंग्रेज़ी या हिंदी भाषा में उपलब्ध हैं लेकिन नरेंद्र मोदी के बारे में अगर आपको कोई जानकारी चाहिए, तो वे इन दो भाषाओं सहित कुल 13 भाषाओं (असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मनिपुरी, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल और तेलगू) में उनकी बेवसाइट https://www.narendramodi.in/ पर मौजूद हैं।

दरअसल, नरेंद्र मोदी और उनकी टीम इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि ‘अनेकता में एकता’ वाले भारत देश में अगर लोगों के दिलों पर राज करना हो, तो तमाम मुद्दों को उन्हें उनकी स्थानीय भाषा में समझाना होगा। उनकी स्थानीय संस्कृति और परिवेश का चोला ओढ़ना होगा, तभी तो मोदी जिस राज्य या जिस देश में जाते हैं, वहां की वेशभूषा, पहनावा और संस्कृति को ओढ़ लेते हैं।

यही नहीं, इन भाषाओं में ही लोगों को उनके साथ संवाद करने की भी सुविधा है और जो लोग कार्यकर्ता के तौर पर बीजेपी से जुड़ना चाहते हैं, वे भी अपनी स्थानीय भाषा में सदस्यता फॉर्म भर सकते हैं। मोदी टीम की इस रणनीति का पार्टी को काफी फायदा मिला है।

पॉप कल्चर पर भी रखते हैं नज़र

अक्षय कुमार के साथ इंटरव्यू के दौरान नरेंद्र मोदी। फोटो सोर्स- Youtube

हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार को दिए अपने एक इंटरव्यू में मोदी ने वर्तमान सोशल मीडिया के मीम्स कल्चर पर टिप्पणी करते हुए कहा,

पहले मुझे लगता था कि इस तरह का काम अक्सर धनी और संपन्न परिवारों के बच्चे ही टाइमपास के लिए किया करते हैं, क्योंकि आम आदमी के पास इतनी फुर्सत कहां रहती है, लेकिन जब मैं खुद इंटरनेट यूज़ करने लगा, तो जाना कि यह आम आदमी के दिमाग की ही उपज है और अब मैं उनकी इस क्रिएटीविटी को एंजॉय करता हूं।

मोदी अक्सर अपनी भाषणों में भी पॉप कल्चर में प्रचलित शब्दों या वाक्यों को यूज़ करते देखे जाते हैं, जैसे कि पबजी या हाउ इज़ द जोश! इस तरह की बेबाक आत्म स्वीकृति ही उन्हें लोगों के करीब लाती है। मोदी हमेशा इंटरनेट पर अपने बारे में लोगों की राय पढ़ते रहते हैं, इससे उन्हें आमजन की विचारधारा को समझने और उसके अनुरूप पॉलिसी बनाने में मदद मिलती है।

हर माध्यम का है विशेष उपयोग

मोदी की सोशल मीडिया रणनीति की एक खास बात यह भी है कि इसके तहत हर प्लैटफॉर्म का विशेष उपयोग किया जाता है, जैसे- मोदी के ट्विटर का उपयोग प्रमुख हस्तियों के साथ उनकी बातचीत या उनके द्वारा की गई घोषणाओं को शेयर करने के लिए किया जाता है।

जब मोदी किसी क्षेत्र विशेष के किसी विशिष्ट व्यक्तित्व से मिलते हैं, तो उनके साथ राजनीतिक मुद्दों पर हुई बातचीत को एक अलग ट्वीट के माध्यम से पोस्ट किया जाता है, ना कि उनके द्वारा किए गए ट्वीट के जबाव के रूप में। वहीं इंस्टग्राम पर नरेंद्र मोदी के निजी जीवन से संबंधित विज़ुअल डॉक्यूमेंट्स शेयर किए जाते हैं।

दूसरी ओर, फेसबुक और यूट्यूब का उपयोग उनके भाषण और आमजन के साथ किए गए उनके बात-व्यवहार की खबरों या वीडियोज़ को शेयर करने के लिए किया जाता है। इन वीडियोज़ पर प्राप्त प्रतिक्रियाओं को अक्सर वैसे लोगों द्वारा संदेश के रूप में प्रसारित किया जाता है, जो एक राजनीतिक नेता के रूप में मोदी को बेहद पसंद करते हैं। इससे वे लोग भी प्रभावित होते हैं, जो मोदी के बारे में नहीं जानते या फिर कम जानते हैं।

इसके अलावा, कई सोशल मीडिया यूज़र्स उनके कार्यों तथा उनके विचारों के बारे में अक्सर उन्हें लिखते भी रहते हैं लेकिन उनमें से किसी का भी जबाव उनकी प्रोफाइल से सार्वजनिक तौर पर नहीं दिया जाता, बल्कि उन्हें व्यक्तिगत संदेश भेजे जाते हैं। इससे लोग खुद को सम्मानित महससू करते हैं और मोदी के प्रति उनका झुकाव स्वत: हो जाता है।

कमज़ोर विपक्ष है नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी ताकत

नरेंद्र मोदी और अमित शाह। फोटो सोर्स- Getty

शक्ति सत्ता का स्वभाव होती है, अगर इस स्वभाव से जवाबदेही और आलोचना हट जाए तो यह स्वभाव तानाशाह बन जाता है। किसी भी लोकतंत्र की सफलता के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि उसमें कड़ी आलोचना और जवाबदेही की गुंजाइश हमेशा बनी रहे।

आधिकारिक तौर पर उस पार्टी को विपक्ष का नेता बनाने का मौका मिलता है, जिसके पास कम-से-कम 10 फीसदी सीटें हो, यानी 543 सीटों वाले लोकसभा में विपक्ष का नेता उस पार्टी का होगा, जिसके पास कम-से-कम 55 सीट हो।

मगर 17वीं लोकसभा चुनावों में कॉंग्रेस तो इस आंकड़ें को छू पाने में असफल रही है। उसके पास मात्र 52 सांसद हैं, ऐसे में भारतीय राजनीति में विपक्ष का संकट गहरा है। सदन में सरकार के सामने कई विपक्षी पार्टियां होंगी लेकिन विपक्ष का नेतृत्व करने वाला कोई नहीं।

यह स्थिति ना तो नरेन्द्र मोदी के लिए अच्छी है और ना ही लोकतंत्र के लिए। लोकतंत्र के लिए कमज़ोर विपक्ष या विपक्षी नेता की अनुपस्थिति घातक सिद्ध होगी। संशय नहीं है कि आने वाले वक्त में इस स्थिति से मोदी की तानाशाही-प्रवृत्ति को बल मिला है, चाहे नोटबंदी की बात हो, असहिष्णुता या फिर विपक्ष का राफेल वार, हर मुद्दा मोदी सरकार में सुर्खियां बना।

वर्तमान में मोदी मैजिक की जो हवा बह रही है, उसमें नरेंद्र मोदी की सोशल मीडिया टीम के साथ-साथ कमज़ोर विपक्ष की भी बेहद अहम भूमिका है और उपरोक्त तक्ष्यों के आधार पर इस बात का आंकलन आसानी से किया जा सकता है।

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