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क्या एक खास स्ट्रेटजी के तहत हर बार लोगों से मुलाकात करते हैं नरेंद्र मोदी?

Modi and Abhijit Banerjee

“निंदक नियरे राखिए”, हाल के वक्त में नरेंद्र मोदी ने इस पंक्ति का शानदार उदाहरण पेश किया है। भारत के मूल निवासी एक शख्स (अभिजीत बनर्जी) जिनको अर्थशास्त्र में नोबेल से नवाज़ा गया है, वह अतीत में बीजेपी की आर्थिक नीतियों की मुखालफत करते रहे हैं। हालिया दोनों के बीच यह टेंशन तब ज़्यादा बढ़ गई, जब नोबेल पुरस्कार के बाद की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सरकार की आर्थिक नीतियों से खुलकर असहमति जताई।

चूंकि पिछले आम चुनावों में चर्चा का विषय रही कॉंग्रेस की ‘न्याय योजना’ के सूत्रधार भी यह ही महाशय हैं, इस वजह से बीजेपी वालों का अटैक ज़्यादा तीखा दिखा। कॉंग्रेस ने भी ज़्यादा देर नहीं की। कुछ ट्वीट किए गए, ये बताने के लिए कि हम आपके साथ हैं, यानी कि आप हमारे पाले में हैं।

इससे पहले भी बीजेपी पर विषय विशेषज्ञों से दूरी बनाकर रखने के इल्ज़ाम लगते आए हैं। रिज़र्व बैंक और दूसरे कई संवैधानिक संस्थाओं के शीर्ष पर बैठे लोगों के इस्तीफों को इसी नज़रिये से देखा गया था। एक खास तरह के बुद्धिजीवी हल्के में इसको बीजेपी की कमज़ोरी मानी जाती है।

बीजेपी को गर्म दिमाग के लोगों की पार्टी का रूप देने के कोशिश विपक्ष करता रहा है। उनकी नीतियों की तुलना नाज़ी और फासीवाद से की जाती रही है। यह बात अलग है कि इस बात का कितना असर बीजेपी पर पड़ता है।

इन सबके बीच नरेंद्र मोदी का सही फैसला

अपनी कैबिनेट के मंत्रियों की बयानबाज़ी और नोबेल विजेता के बीच बढ़ती तकरार पर मोदी ने सही वक्त पर सही फैसला लिया। बौद्धिक हलकों में प्लांट की जा रही एक बहस को शुरू में ही खत्म कर दिया।

मोदी ने नोबेल विजेता से मुलाकात की। इस मुलाकात के बारे में लिखते हुए ट्वीट भी किया। इस ट्वीट में उन्होंने अभिजीत बनर्जी की काफी तारीफ भी की। मुलाकात के बाद जो बयान बाहर आएं, वह हालिया गैर ज़रूरी बयानबाज़ी की सारी कड़वाहट बहा ले गएं। सरकार उस उल्हाने से भी बच गई कि एक भारतीय मूल के शख्स की इतनी बड़ी उपलब्धि पर भी कोई गर्मजोशी नहीं दिखाई गई।

इससे पहले फेमस हो चुकी हैं मोदी की कई मुलाकातें

मोदी इससे पहले बॉलीवुड की कई दिग्गज हस्तियों से भी मुलाकात कर चुके हैं। इसरो चीफ को दी गई ‘मोदी झप्पी’ को अभी देश भूला नहीं है। ज़्यादा तामझाम और शोर-शराबे वाली चुनावी सभाओं से इतर ये मुलाकातें किसी भी देश की स्वस्थ तरक्की के लिए बहुत ज़रूरी है। मोदी वक्त-वक्त पर ऐसे फैसले लेते हैं, जो उनको ‘ब्रॉन्ड मोदी’ बनाता है।

खामियां अभी भी कई गिनाई जा सकती हैं। सवाल हो सकते हैं कि क्या हाथी उन्हीं दांतों से खाता भी है, जिनको दिखाता है। पर ये कदम मोदी को बीजेपी और देश में नंबर वन पर बनाए रखने में सहायक हैं। यहां समझ आता है कि क्यों अमित शाह बीजेपी में नंबर दो पर हैं। कॉंग्रेस इससे ज़्यादा कुछ नहीं तो जनसंपर्क तो सीख ही सकती है।

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