यातायात नियमों के पालन एवं सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से ज़िला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, क्षेत्रीय परिवहन विभाग, विभिन्न सामाजिक संगठन साथ ही स्कूली स्टूडेंट्स वाहन चालकों को यातायात के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। लेकिन कई वाहन चालक आज भी यातायत के कई नियमों के प्रति जागरूक नहीं हैं। पिछले महीने आगरा में न्यूरोट्रॉमा में हुई अंतरराष्ट्रीय कॉंफ्रेंस में विशेषज्ञों ने भी यातायात के नियमों का पालन करना मानवहित में ज़रूरी बताया। प्रायः देखने में यह आता है कि ज़्यादातर सड़कों पर होने वाले हादसों में स्वयं वाहन चालकों की ही लापरवाहियां होती हैं, जो उनके जीवन को खतरे में डाल देती हैं। वाहन चालक आज भी जागरूकता के अभाव में सिर्फ अपना चालान बचाने के लिए हल्के व घटिया हेलमेटों का प्रयोग कर रहे हैं।
यदि प्रतिदिन होने वाले हादसों पर नज़र डालें तो सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में एक बड़ा प्रतिशत उन दोपहिया वाहन चालकों का होता है, जिन्होंने हेलमेट का प्रयोग नहीं किया था या फिर सही हेलमेट का प्रयोग नहीं किया था। अचानक होने वाली दुर्घटनाओं में सर पर लगी गंभीर चोट और चोट की वजह से हुए रक्तस्राव की वजह से वाहन चालक गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं। ऐसी स्थिति में अगर उन्हें सही उपचार मिल भी जाता है तो शरीर का कोई ना कोई अंग निष्क्रिय होने की संभावना बनी रहती है और व्यक्ति सिर्फ ज़िन्दा लाश व परिवार पर बोझ बनकर रह जाता है।
सड़क सुरक्षा का मुख्य उद्देश्य यातायात के नियमों के प्रति जनसामान्य में जागरूकता पैदा करना है, ताकि सड़क हादसों की संख्या में कमी आ सके और वाहन चालक व पैदल चलने वाले राहगीर दोनों ही सुरक्षित रहें।
सावधानियां
- वाहन चलाते समय वैद्य प्रपत्रों के साथ-साथ सदैव हेलमेट का प्रयोग करना चाहिए।
- बिना बीमा के वाहन नहीं चलाना चाहिए।
- चार पहिया वाहनों में सीट बेल्ट का प्रयोग करना चाहिए।
- निर्धारित गति से अधिक गति एवं नशे या नींद की हालत में वाहन नहीं चलाना चाहिए।
- चकाचौंध वाली तथा अनाधिकृत लाइटों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- समय-समय पर अपनी आंखों का परीक्षण योग्य चिकित्सक से करवाते रहना चाहिए।
- दुपहिया वाहनों पर कभी भी दो से अधिक सवारी नहीं बैठनी चाहिए।
- ट्रैक्टर-ट्रॉली या ट्रक में अवैध रूप से सवारी को नहीं बैठाना चाहिए।
- सड़क की बाईं तरफ चलना चाहिए और सुरक्षित स्थान मिलने पर ही अपने दाई हाथ की तरफ से ही ओवर टेक करना चाहिए।
- रात में डिपर का प्रयोग करना चाहिए।
- वाहन मोड़ते व रोकते समय स्पष्ट संकेत देना चाहिए।
- 18 वर्ष से कम आयु वाले युवाओं को पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- पैदल यात्रियों को सड़क पार करने का अवसर देना चाहिए और स्टॉप व जेब्रा क्रॉसिंग का प्रयोग करना चाहिए।
- प्रेशर हॉर्न, सायरन एवं अचानक चौंकाने वाले हॉर्न का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- वाहन खड़ा करते समय हमेशा पार्किंग एवं लॉक का ध्यान रखें।
- साथ ही पर्यावरण हित में समय-समय पर अपने वाहनों से निकलने वाले धुएं की जांच अवश्य कराते रहना चाहिए।
ट्रैफिक पुलिस के निर्देश
- वाहन खराब होने पर उसे बीच में ना छोड़ें।
- वाहन के नंबर प्लेट साफ व सही लिखवाएं साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि लेटर कलात्मक या चमकीली धातु के ना हों।
- निर्धारित सीट पर क्षमता से अधिक सवारी ना बैठाएं।
- निर्धारित भार क्षमता से अधिक माल की ओवर लोडिंग ना करें।
- कोहरा होने पर फॉग लाइट का प्रयोग करें।
- यात्रा के दौरान वाहन से उतरते समय सदैव आगे की तरफ मुंह करके उतरें।
- कभी भी चलते हुए वाहन में चढ़ने या उतरने का प्रयास ना करें।
मानवता की सेवा के लिए हम सभी को आगे आना चाहिए और दुर्घटना में घायल हुए व्यक्तियों को तुरंत ही नज़दीक के अस्पताल पहुंचाकर उसके जीवन की रक्षा करनी चाहिए। यदि संभव हो सके तो दुर्घटना करके भागने वाले वाहन का नंबर नोट करके पुलिस को 112 पर अवगत करा दें। नेशनल हाईवे पर दुर्घटना में हुए घायलों की मदद के लिए निशुल्क हेल्पलाइन नंबर 1033 व 102 पर सूचित कर एम्बुलेंस की सेवा ले सकते हैं। मानव जीवन की रक्षा को गंभीरता से लेते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकारों को निर्देशित किया है कि दुर्घटना में घायलों की मदद करने वाले व्यक्ति से पुलिस कानूनी प्रक्रिया में अनावश्यक पूछताछ नहीं करेगी।
रेड टेप मूवमेंट के संस्थापक, सहायक निदेशक (बचत)/सलाहकार जल शक्ति अभियान फिरोज़ाबाद एवं पर्यावरण विद प्रभात मिश्र ने जनसामान्य से अपील करते हुए कहा है कि वाहनों से निकलने वाले विषैले धुएं के कारण विश्व के कई देशों में ऑटोमोबाइल से अधिक साइकिल का उपयोग किया जाता है। भारत में भी पर्यावरण सरंक्षण के लिए यह ज़रूरी है कि हम ज़्यादा-से-ज़्यादा बैट्री चलित वाहनों या साइकिल का इस्तेमाल करें। आज के दौर में साइकिल सिर्फ प्रदूषण रहित वाहन ही नहीं बल्कि यातायात का यह एक सुगम साधन है और सेहतमंद बने रहने के लिए भी आवश्यक भी है। तेज़ गति पर यदि नियंत्रण रहेगा तो दुर्घटनाओं में भी अप्रत्याशित रूप से कमी स्वतः ही दिखाई देगी।