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“पटना बाढ़ पर नक्षत्र को दोष देकर हमारे नेता कब तक बचते रहेंगे?”

फोटो साभार- Twitter

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लगभग एक हफ्ते से बिहार डूबा है, जहां बिजली और पानी पूरी तरह से नदारद हैं। खाने के लिए लोग दुकानों के बंद शटर निहार रहे हैं। कंकरबाग, बेली रोड, बोरिंग रोड और राजेन्द्र नगर जैसे सारे रिहायशी इलाकों में पानी भरा है। शहर के अधिकांश घरों का ग्राउंड फ्लोर जल समाधि ले चुका है, मौतें हो चुकी हैं लेकिन शासन और प्रशासन है कि कभी नक्षत्र को तो कभी प्रकृति को दोष दे रहा है। वह तो शुक्र है, गंगा मईया का जिन्होंने जल जमाव को खुद में बटोर लिया। 

गंगा यानि पटना का एक अपना प्राकृतिक ड्रेनेज सिस्टम जो माननीय मुख्यमंत्री से शायद यही कह रही है कि साहेब, मौसम विभाग के बावजूद हाई अलर्ट के नालों, गटर और जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त रखना आपका काम था, प्रकृति का नहीं।

पटना एनआईटी घाट की कुछ तस्वीरें वायरल हुई, जिसमें गंगा का विकराल जलस्तर देखकर मुंह से अपने आप निकल गया “अरे बाप रे।” चार दिन तक किसी ने पूछा तक नहीं, ना प्रधानमंत्री का ट्वीट आया और ना ही मुख्यमंत्री का कोई बयान आया।

अचानक जब केरल, मुंबई, चेन्नई और असम की बारिश याद आई, उसके बाद हमने पलट कर अपना बिहार देखा। फोन के पेटीएम में हमें पटना बाढ़ को लेकर कोई सेक्शन नहीं दिखाई पड़ा।

रिक्शे वाले का वह मार्मिक दृष्य

बिहार के कुछ फोटोग्राफर ग्रुप्स के अलावा कुछ मीडिया चैनलों ने डूबे हुए 15 ज़िलों को दिखाना मुनासिब समझा और बाकी चैनल पाकिस्तान को मोदी बम से भूखे मारते रहे तो कुछ लोग मोदी को अमेरिका का राष्ट्रपति बनाने की मुहिम में हाउडी मोदी चिल्लाते रहे।

इन नारों और जयकारों के शोर में किसी ने देखा ही नहीं कि शहर की सड़क पर बाढ़ में डूबा एक रिक्शावाला एक दिन की मज़दूरी के लिए फुट-फुटकर रो रहा है। दोष सरकार का नहीं, बल्कि लोगों का है जिन्होंने प्राथमिकताओं पर सरकार चुनी हैं इसलिए भुगतान भी उसी रूप में होगा। इस बार दशहरे में बिहार के राम पानी पानी रहेंगे, क्योंकि सीता की मिथिला डूबी रहेगी, हो भी क्यों ना आखिर अपने लिए रावण चुना भी तो बिहार वालों ने ही है।

नामी हस्तियां हुई रेस्क्यू

मामले में चौकन्नापन तब आया जब शारदा सिन्हा और कई बड़े नाम वाले हस्तियों ने सोशल मीडिया पर सरकार से गुहार लगाई लेकिन कैसी सरकार और काहे की सरकार। यहां तो खुद सरकार के उप मुखिया 72 घंटे के बाद रेसक्यू कराए गए।

नीतीश कुमार। फोटो साभार- Getty Images

सरकार की बात मत पूछो, अब तक दूसरे प्रदेश के बड़बोले नेताओं से श्राप और गोबर से कैंसर और हीरा वाले बयान सुनकर हंसते थे कि क्या चुना है मध्यप्रदेश वालों ने लेकिन अब बिहार के एक केंद्रीय मंत्री ने भी कह दिया कि यह हथिया नक्षत्र का दोष है, सरकार का कोई दोष नहीं है। पटना बाढ़ पर नक्षत्र को दोष देकर हमारे नेता आखिर कब तक बचते रहेंगे?

चुनाव के लिए सहायता राशि

केरल में चुनाव के वक्त बाढ़ के दौरान केंद्र की पोटली से 100 करोड़ की सहायता राशि तुरंत निकल गई थी, क्योंकि केरल में विपक्ष की सरकार थी और इमेज अच्छी बनानी थी। चुनाव जीतने के लिए आरएसएस की टोली भी राहत सामाग्री बांटने निकल पड़ी थी।

जितनी सामग्री बंटी उससे ज़्यादा सोशल मीडिया पर फोटो बंटे। शायद बिहार को टेकन फॉर ग्रांटेड ले लिया गया है और उन्हें नज़रअंदाज़ करके शायद उनसे यही कहा जा रहा है, “तुम्हारे पास और ऑप्शन ही क्या हैं?”

छोटे शहरों को अपने श्रम और कौशल से दिल्ली-मुंबई बनाने वाले बिहारियों का घर आज डूब रहा है। आखिरी में प्रीमियम रेस्टोरेंट में बैठकर आई लव बिहार लिखने वालों के लिए बस चंद पंक्तियां-

परदेशी तेरे दिलाशों की कोई खबर नहीं आई,

तू तो नज़र आया पर तेरी नीयत नज़र नहीं आई।

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