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“बाप की उम्र का पति मुझे प्रताड़ित करता है इसलिए शादी से मेरा मोहभंग हो गया है”

घरेलू कामगार महिला

घरेलू कामगार महिला

जब मैं बच्ची थी तब शादी करके बच्चे पैदा करने का दबाव और पति की प्रताड़ना से अप्रत्यक्ष रूप से कई दफा मेरा सामना हुआ है। मैं बिहार के बेगुसराय ज़िले से हूं, जब मेरी उम्र यही कुछ 12 साल रही होगी तब दरवाज़े से चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें आती थीं। हर रोज़ चंदा (बदला हुआ नाम) की पिटाई होती थी। उसका पति उसे हर रोज़ मारता-पीटता था।

खैर, अब मेरी असल ज़िन्दगी की कहानी पर आती हूं, जिसे जानने के बाद हो सकता है आपको मुझपर तरस आ जाए, रहम करने की सोचे मुझपर लेकिन गुज़ारिश है कि ऐसा कुछ मत करिएगा। बस दिल हल्का करने के लिए आप सभी के साथ साझा कर रही हूं।

माँ-पापा ने खेलने-कूदने की उम्र में मेरी शादी मुझसे 30 साल बड़े आदमी से करवा दी। मुझे ना तो शादी के बारे में कुछ पता था और ना ही यह कि शादी के बाद बच्चे भी पैदा करने होते हैं। मैं आज भी अपने पति को ‘भैया’ ही कहकर पुकारती हूं कयोंकि पति के तौर पर मैं कभी उन्हें स्वीकार ही नहीं कर पाई और स्वाभाविक भी है कि बाप की उम्र का आदमी अगर जीवन साथी बन जाए तो क्या ही कहना।

मैं शादी करके असम चली गई, जहां मेरा ससुराल है। मैं काफी डरी और सहमी हुई थी क्योंकि कभी सोचा ही नहीं था कि शादी होगी और उसके बाद माँ-बाप का घर छोड़कर जाना पड़ेगा। मैं जैसे ही अपने ससुराल पहुंची, मेरे पति ने मुझे कॉन्डम (उस वक्त पता नहीं था) लाकर दे दिया। मैं समझी गुब्बारे हैं और मैं काफी खुश होकर सभी को बताने लगी कि देखो ना भैया क्या लेकर आए हैं मेरे लिए! फिर मैंने उन कॉन्डम्स को फुलाया और घर पर टांग दिया।

जब घर के अन्य सदस्यों को इस बारे में जानकारी मिली, तब उन्होंने मेरे पति को काफी डांट लगाई कि बच्ची को कुछ पता नहीं है, क्यों लाकर देते हो यह सब? इसके बाद कई  दफा उन्होंने मेरे साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की लेकिन मानिसक तौर पर मैं तो सेक्स के लिए तैयार ही नहीं थी। मुझे लगता था कि बाप की उम्र का आदमी या फिर जिसे मैं भैया बुलाती हूं, वह कैसे मेरे साथ यह सब कर सकता है।

धीरे-धीरे वक्त के साथ मुझे अंदाज़ा होता गया कि यही आदमी मेरा पति है और इसी के साथ मुझे ज़िन्दगी गुज़ारनी है। हमलोग असम में लगभग 8 सालों तक रहे फिर बिहार आ गए। अब यहां जो कुछ भी हुआ, वह अजीब ही है। आप सभी जानते हैं कि बिहार और यूपी के कई इलाकों में भाभियों के साथ मज़ाक के नाम पर क्या होता है।

मैं बेगुसराय में थी मगर अपने मायके में नहीं, पति के रिश्तेदार के घर पर। अब बड़ी हो चुकी थी थोड़ी। मसाला पीस रही थी और मेरे पति के भांजे ने पीछे से आकर मेरे स्तनों को पकड़ लिया। मुझे काफी गुस्सा आया और मैंने उसे थप्पड़ लगा दिए। वहां मौजूद महिलाओं ने कहा कि इसमें गुस्सा करने का क्या है, यह तो हक है उसका। उसने हक से मज़ाक किया। इस बारे में जब पति को जानकारी मिली तब उसने कहा कि यह तो रिवायत है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार: pixabay

इन सबके बीच मेरे साथ छोटी-मोटी हिंसात्मक घटनाएं होती रहीं और मैं दिल्ली आ गई। अब मेरे तीन बच्चे हो चुके थे जिनके लिए मैं ही माँ-बाप सब कुछ थी। दिल्ली के दल्लूपुरा में हमने एक किराये का मकान लिया और लोगों के घर चौका-बरतन का काम शुरू कर दिया। किसी के यहां झाडू-पोछा लगाना तो किसी के घर पर खाना बनाना।

इस दौरान हर 5-6 दिनों में हमारे बीच झगड़े होते थे। मेरा पति लगातार मुझपर आरोप लगाता था कि मैं फ्लैटों में जहां खाना बनाने जाती हूं, वहां पुरुषों के साथ मेरे अवैध संपर्क हैं। यह भी कहा जाता था कि वहां से शारीरिक संपर्क बनाकर आई है, अब कुछ दिनों के बाद बेटों से भी बनाना।

खैर, यहां तक तो ठीक था क्योंकि मुझे इन चीज़ों की आदत सी पड़ गई थी। पता होता था कि घर जाना है और पति की डांट सुननी है, मार खाना है। अभी हाल ही की बात बताती हूं जब हमारे बीच काफी ज़्यादा लड़ाई हुई। मैं घर के दरवाज़े के पास बैठी थी और तमाम बंगाली महिलाएं भी वहां मौजूद थीं। मेरे पति ने मेरे माथे पर जूठा हाथ धो लिया। जब मैंने विरोध किया तब उसने अपनी पैंट की चेन खोलकर मेरे माथे पर पेशाब कर दिया।

वहां मौजूद महिलाएं अचंभित रह गईं और वह लगातार मुझे गालियां देता रहा। अब बिल्कुल मेरा मोहभंग हो चुका है। मैं चाहती हूं कि वह हमसे और हमारे बच्चों से कहीं दूर चला जाए ताकि मेरे बच्चे एक ऐसे माहौल में अच्छी शिक्षा ले पाएं जहां उसकी माँ के कपड़े उसके सामने ना उतारे जाए, जहां बेटों के सामने उसकी माँ के सिर पर पेशाब ना कर दिया जाए और यह भी नहीं कहा जाए कि आने वाले वक्त में अपने बेटों से ही सेक्स करना।


नोट: यह कहानी प्रिंस मुखर्जी को बताए गए तथ्यों के आधार पर लिखी गई है।

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