मॉब लिंचिंग के खिलाफ पत्र लिखने के कारण देशद्रोह का मुकदमा दर्ज़ किए जाने के खिलाफ महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के समस्त न्याय व लोकतंत्र पसंद स्टूडेंट्स प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे।
उक्त आशय की अपील जारी करते हुए विश्वविद्यालय के स्टूडेेंट चंदन सरोज ने सूचना दी है कि लोकतंत्र का गला घोंटने के खिलाफ प्रधानमंत्री को पत्र लिखा जाएगा। 9 अक्टूबर को दर्ज़नों स्टूडेंट्स विश्वविद्यालय परिसर में एकत्र होंगे और मॉब लिंचिंग, एनआरसी व कश्मीर के सवाल पर पत्र लिखेंगे।
उन्होंने बताया है कि मॉब लिंचिंग पर रोक लगाने के आशय का पत्र प्रधानमंत्री को लिखने के कारण एक अदालत ने देशभर के लगभग 4 दर्ज़न विख्यात लेखकों, बुद्धिजीवियों, समाजिक कार्यकर्ताओं व फिल्मी हस्तियों पर देशद्रोह की धारा लगाते हुए एफआईआर दर्ज़ करने का आदेश जारी किया है।
यह कोई सामान्य घटना नहीं है, यह जनता के न्यूनतम लोकतांत्रिक अधिकारों पर गंभीर चोट है और न्यायपालिका के मनुवादीकरण का खुला संकेत है। यह इस बात का भी खुला संकेत है कि अदालतें अब संवैधानिक वसूलों के बजाय अलोकतांत्रिक चीज़ों को खुलेआम बढ़ावा देगी।
गला घोंटने की फासीवादी साज़िश
मॉब लिंचिंग, बलात्कार व न्याय का खुला उल्लंघन करने वाली घटनाओं पर अदालतें संज्ञान लेने व इंसाफ की गारंटी करने के बजाय लोकतंत्र व न्याय की आवाज़ बुलंद करने वाली आवाज़ों का ही गला घोंटने की मोदी सरकार की फासीवादी साजिश में सहभागी बन रही है।
सत्ता ने अंध राष्ट्रवाद, हिन्दू राष्ट्र और देशभक्ति का उन्माद खड़ा करके एक सम्प्रदाय विशेष के खिलाफ नफरत की आग में पूरे देश को झोंक दिया है। सत्ता एक तरफ झूठी देशभक्ति की बात कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ देश के संसाधनों, रेलवे, बैंक, जल, जंगल और ज़मीन आदि को देशी-विदेशी कॉरपोरेट घरानों के हवाले कर देश की बर्बादी का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
रिज़र्व बैंक, न्यायपालिका और सेना से लेकर तमाम संवैधानिक संस्थाओं के राजनीतिकरण व निजीकरण का नग्न खेल चल रहा है। असल में सरकार ही देशद्रोह कर रही है। सत्ता और भगवा संगठन जिन्हें देशद्रोही करार दे रहे हैं, वे ही सही मायने में देशहित की बात कर रहे हैं किंतु वास्तविक देश हितैषियों का तरह-तरह से दमन जारी है, जिसके घातक परिणाम सामने आ रहे हैं।
सत्ता इन कुकर्मों के खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ को देशद्रोह से जोड़कर संदिग्ध बनाने का षड्यंत्र रच रही है इसलिए इसे चुपचाप बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। ऐसी घटनाओं पर आपकी चुप्पी बचे-खुचे लोकतंत्र के खात्मे और अन्याय का साम्राज्य स्थापित करने का ही रास्ता साफ करेगी।
इंसाफ की मांग करना न्यूनतम लोकतांत्रिक हक है
इस लोकतंत्र व न्याय विरोधी कदम के खिलाफ उठ खड़े होने की अपील करते हुए हिंदी विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ने अपील जारी करते हुए कहा है कि किसी भी लोकतंत्र में आम जनता को देश के प्रधानमंत्री को अपनी भावनाओं से अवगत कराने और इंसाफ की मांग करने का न्यूनतम लोकतांत्रिक हक है इसलिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखने हेतु महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा महाराष्ट्र के गाँधी हिल पर जुटें।