इन दिनों देश बहुत बड़ी मुसीबतों से गुज़र रहा है, जिसका कारण नरेंद्र मोदी सरकार है। जगह-जगह धर्म को लेकर चर्चाएं ज़ोरों पर हैं। गली- गली में बस धर्म को लेकर बहस जारी है और लगातार लोग अपनी-अपनी बातों में धर्म के बीच उलझते चले जा रहे हैं, जिसका सीधा-साधा उदाहरण देश के अंदर फैली धर्म के लिए नकारात्मकता है।
जबकि कोई भी धर्म किसी भी प्रकार के खतरे में नहीं है। नरेंद्र मोदी सरकार धर्म की राजनीति करके देश को गुमराह कर रही है। हिंदुत्व के नाम पर देश के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे पूरे देश में हर वर्ग का व्यक्ति अत्याचार सह रहा है। आए दिन तरह-तरह की नई घटनाओं का आना चिंतन का विषय बनता जा रहा है।
आज माहौल ऐसा बन गया है कि हर तरफ बहकावे की राजनीति खेली जा रही है, जहां जनता को हिंदू धर्म नामक अफीम चटाकर मूर्ख बनाया जा रहा है।
राजनाथ सिंह ने देश को किया शर्मशार
अभी कुछ दिनों की घटनाओं की बात करें तो भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा राफेल जहाज की उड़ान से पहले शास्त्रों द्वारा पूजा-पाठ ने देश को शर्मसार कर दिया। पहले कभी ऐसा नहीं देखा गया क्योंकि यह देश सिर्फ एक धर्म के लिए नहीं बना है। सभी धर्मों को एक समान देखना आवश्यक है।
कुछ लोगों का यह कहना है कि हमलोग कोई भी वाहन घर में लेकर आते हैं, तो सबसे पहले पूजन करते हैं। मैं उन लोगों को बताना चाहूंगा कि पर्सनल वाहन और देश की सुरक्षा के वाहन में ज़मीन-आसमान का अंतर है। देश के साथ हर धर्म के लोगों की भावना जुड़ी हुई है।
परंपरागत आस्थाएं वहां पर मायने रखती हैं, जहां पर एक समुदाय और एक धर्म की बात हो परंतु इस देश के अंदर सभी धर्मों का समावेश है इसलिए हर धर्म को मान्यता देते हुए केंद्र सरकार को कदम उठाने चाहिए। सरकार को अंधविश्वास दूर भगाने के लिए कदम उठाने चाहिए ना कि देश के अंदर ऐसी स्थिति पैदा की जाए कि लोग एक-दूसरे को धर्म की निगाह से देखने पर मजबूर हो जाएं।
नींबू-मिर्ची और ॐ बनाकर राजनाथ सिंह जी ने यह दिखा दिया कि नरेंद्र मोदी सरकार सिर्फ एक मानसिकता को लेकर आगे चल रही है, जो देश के अंदर भयानक रूप लेते जा रही है। देश के हर व्यक्ति को अपनी स्वतंत्रता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो। इन गतिविधियों से देश की धर्मनिरपेक्षता पर खतरा बढ़ता ही जा रहा है।
अमित शाह की मानसिकता
हाल ही में अमित शाह द्वारा भी एक बयान काफी चर्चा में रहा, जिसमें उन्होंने नागरिकता की बात पर एक धर्म को छोड़ दिया। अमित शाह का बयान ‘मैं बंगाल के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि एनआरसी लागू किया जाएगा लेकिन इस तरह का कुछ भी नहीं होने जा रहा है। मैं सभी हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन शरणार्थियों को आश्वस्त करता हूं कि उन्हें देश छोड़ना नहीं पड़ेगा, उन्हें भारतीय नागरिकता मिलेगी और उन्हें एक भारतीय नागरिक के सभी अधिकार मिलेंगे।’
अब आप यह बताइए कि मुस्लिम समुदाय का नाम आखिर क्यों नहीं लिया गया? मुसलमानों के प्रति नफरत दिखाने की कोशिश क्यों की गई? यही ज़हर जनता के अंदर नफरत फैला रहा है, जो कि ऊपरी स्तर से लेकर ज़मीनी स्तर तक प्रभावशाली बनता जा रहा है और देश की धर्मनिरपेक्षता को खतरे में ढकेल रहा है।
कुल मिलाकर देश को धर्म की आड़ में फंसाकर शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को दबाने की कोशिश नरेंद्र मोदी सरकार कर रही है, क्योंकि हर तरीके से विकास में विफल यह सरकार हर वर्ग के लिए विफलताएं ला रही हैं। शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा ना कर पाना नरेंद्र मोदी सरकार की नाकामी है।