हम सब जानते हैं कि दुनिया में ऐसे 4 मुल्क हैं, जो एटॉमिक हथियार से लैस हैं और एक दूसरे के दुश्मन हैं। इसमें पहला नाम अमेरिका और रूस है और दूसरी दुश्मन जोड़ी है, भारत और पाकिस्तान की जो 1998 में एटॉमिक शक्ति बने थे।
एक मुल्क के पास ‘नो फर्स्ट यूज़’ पॉलिसी है, जो कि भारत है। पाकिस्तान के पास यह पॉलिसी नहीं है। अगर दोनों देशों में युद्ध हुआ, तो 12 करोड़ से भी ज़्यादा लोग मारे जाएंगे।
परमाणु शक्ति भारत और पाकिस्तान
एक अनुमान के अनुसार आज भारत और पाकिस्तान के पास लगभग 150 परमाणु हथियार हैं और 2025 तक ये संख्या 200 से भी ज़्यादा हो जाएगी।
ये खबर अमेरिका के साइंस एडवांस जर्नल मैं प्रकाशित हुई थी। वह भी कोलोराडो बोल्डर्स यूनिवर्सिटी और रटगर्स यूनिवर्सिटी के शोद्धकर्ताओं द्वारा। उनमें से एक शोधकर्ता प्रोफेसर ब्रायन तून ने भारत पाकिस्तान के परमाणु युद्ध के बारे में कहा,
परमाणु हथियारों का असर काफी चौंका देने वाले हैं। इनका असर ना सिर्फ युद्ध कर रहे दो देशों पर पड़ता है, बल्कि इससे दुनिया पर काफी बुरा असर पड़ेंगा।
उनका कहना है,
इस तरह के युद्ध से होने वाली मृत्युओं का दर औसतन मृत्यु दर से भी ऊपर होगा। इससे पृथ्वी के मौसम पर भी भयानक प्रभाव पड़ेंगे।
वैसे तो भारत नो फर्स्ट यूज़ पालिसी पर है इसलिए भारत तो शुरुआत करेगा नहीं, पर यह उम्मीद पाकिस्तान सरकार से नहीं की जा सकती है क्योंकि ऐसी कोशिश पहले भी पाकिस्तान कर चुका है।
कब की थी पाकिस्तान ने ये कोशिश
हुआ यूं था। 1999 को जब कारगिल युद्ध चल रहा था, तब भारत में अटल बिहारी वाजपयी, पाकिस्तान में नवाज़ शरीफ और अमेरिका में बिल क्लिंटन की सरकार थी।
पाकिस्तान के कुछ सैनिकों ने मुजाहिद्दीनों की शक्ल में कारगिल पर कब्ज़ा कर लिया था। जब कारगिल युद्ध हुआ और पाकिस्तान हारने लगा, तब उसने भारत पर परमाणु आक्रमण का प्लान बनाया था। इस बात का खुलासा खुद पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने पत्रकार सांघवी के हाइव शो में किया था।
इसका सबूत 1999 में अमेरिकी खुफिया विभाग के बड़े अधिकारी ब्रूस रिडल ने अपनी किताब के द्वारा भी दिया है। रिडल साहब के मुताबिक,
4 जुलाई 1999 को सीआईए ने अपने टॉप सिक्रेट डेली ब्रीफ में लिखा कि पाकिस्तान तैनाती और संभावित उपयोग के लिए अपने परमाणु हथियार तैयार कर रहा था। खबर बहुत मज़बूत थी और ओवल ऑफिस में मनोदशा गंभीर थी।
जब नवाज़ शरीफ ने अमेरिका में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से बात की तो क्लिंटन ने नवाज़ शरीफ के सामने कुछ तस्वीरें रखीं, जो इस बात को पुख्ता करती थी। रिडल की बात पर इसलिए भी यकीन करना चाहिए क्योंकि नवाज़ शरीफ और बिल क्लिंटन के बीच अकेले में बात हुई थी और तब ब्रूस रिडल भी वहीं मौजूद थे।
वैसे तो ये भी उमीद है कि अब पाकिस्तान एटॉमिक हमले की नहीं सोचेगा और जब तक भारत भी ऐसा नहीं करेगा तब तक उनकी तरफ से बड़ा युद्ध होने के कोई संभावना नहीं है।