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क्यों प्लास्टिक को सरकार पूरी तरह बैन नहीं कर सकती?

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हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक के इस्तेमाल को खत्म करने की मुहिम छेड़ी है। इन्होनें साल 2022 तक पूरे देश को सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्त बनाने की योजना रखी है। इस योजना की शुरुआत 02 अक्टूबर 2019 से हो चुकी है।

सिंगल यूज़ प्लास्टिक किसे कहते हैं?

सिंगल यूज़ प्लास्टिक उन प्लास्टिक्स को कहते हैं जिसका इस्तेमाल सिर्फ एक बार करने के बाद फेंक दिया जाता है। इसे डिस्पोज़बेल प्लास्टिक भी कहते हैं। इससे हमारी प्रकृति को सबसे ज़्यादा नुकसान हो रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रोडक्टस कई प्रकार के होते हैं जैसे कि प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक के चाकू, कोल्ड ड्रिंक की बोतल, स्ट्रॉ, गिफ्ट रैपर्स, थर्मोकोल के सभी सामान, कॉफी के डिस्पोज़बेल कप और प्लेट्स इत्यादि।

प्लास्टिक मुक्त भारत क्यों जरुरी है?

हमारे देश में जितनी तेज़ी से आबादी बढ़ रही है, उतनी ही तेज़ी से सिंगल यूज़ प्लास्टिक कचरा भी बढ़ रहा है। पूरे विश्व में लगभग हर एक मिनट में 10 लाख पानी की बोतलें खरीदी जाती हैं, जिनको एक बार यूज़  करके फेंक दिया जाता है।

इसी प्रकार हर साल 5 ट्रिलियन प्लास्टिक की थैलियां भी इस्तेमाल की जाती हैं। इसके अलावा डिस्पेन्सर्स, बिस्किट ट्रे ,शैम्पू की बोतलें, दूध की थैलियां, फ्रिज़र बैग्स ,फूड पैकेजिंग, बोतलों के ढक्कन, आइस्क्रीम के कंटेनर ये सब सामान घातक कैमिक्लस से बनते हैं जिसका इस्तेमाल करके फेंकना, पूरे पर्यावरण के जीवों के लिए खतरनाक साबित होता है।

इससे धरती और जल दोनों प्रदूषित होते हैं। सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मात्र 7.5 प्रतिशत ही रिसाइक्लिंग हो पाता है और बाकी मिट्टी या पानी में मिल जाता है, जिससे समुद्र के सारे जीवों को नुकसान पहुंचता है। साथ ही फैक्टरी के रसायन के पानी से ज़मीन भी बंजर हो जाती है। इसी प्रदूषित पानी से इंसान अपने जीवन में कई प्रकार के बिमारियों जूझता है।

क्या है सरकार द्वारा उठाए गए कदम?

मोदी सरकार प्लास्टिक की थैली समेत 12 चीज़ों पर बैन लगाने की योजना बना रही है। आपको बता दें कि सरकार ने स्वच्छ भारत के ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए बताया कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पूरी तरह से बैन नहीं किया जाएगा, यह केवल लोगों में जागरूकता लाने के लिए सिंगल यूज़ प्लास्टिक को रोकने का आंदोलन चलाया गया है।

इसकी वजह यह माना जा रहा हैं कि सरकारी अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लोगों को नौकरी गवानी पड़ रही है। दरअसल, कुछ कम्पनियां पूरी तरह से प्रोडक्ट की पैकेजिंग जैसे दूध की थैली, सोडा, बिस्किट, जूस ,कैचअप ,शैम्पू इत्यादि के लिए प्लास्टिक कंपनियों पर निर्भर हैं।

इसी तरह ई-कामर्स कम्पनियां भी 40 प्रतिशत प्लास्टिक का इस्तेमाल प्रोडक्ट पैकेजिंग के लिए करती हैं। ऐसे में सरकार अगर प्लास्टिक के उत्पादन पर रोक लगा देती है तो भारत की अर्थव्यवस्था और भी बिगड़ सकती है।

पूरे विश्व में एक साल में 300 मीलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसमें से सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल 150 मीलियन टन होता है। वहीं कुछ 15 % प्लास्टिक री-साइकल होता है। यह हमारे देश के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

सिंगल यूज़ प्लास्टिक मुक्त भारत बनाना ना सिर्फ सरकार की ज़िम्मेदारी है बल्कि हमारी ज़िम्मेदारी भी है जिसका समाधान हम सबको मिलकर निकालना है।

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