अक्सर हमने सुना है कि कुछ नहीं बदलने वाला ।
सालों से ऐसे ही चलता आ रहा है और ऐसा ही चलता रहेगा । मगर समाज में बच्चों की उपस्तिथि को अगर देखा जाए तो एक सकारात्मक बदलाव है । इसका छोटा सा उद्हारण हरियाणा का लेते है : हरियाणा में कुछ दशक पहले अगर पिता घर आता था तो बेटा से बाहर निकल जाता था और अगर बेटा घर आता था तो पिता घर से बाहर निकल जाता था । पिता का बच्चों को गोद में लेकर खिलाना तो मजाक बन जाता था ।
मगर आज स्तिथि ऐसी नहीं है आज आप देखंगे कि बच्चे माता पिता दोनों से साथ ही उतना ही खेलते है ।अभी-अभी गावों की कुछ शादियाँ देखी l बड़ा अच्छा लगा कि शादी जैसे फंक्शन में बच्चों की जिम्मेदारियां पिताओं ने उठाई हुई है l वरना बच्चे रोते रोते मम्मियों के पीछे ही भागते थे।
ये समाज के एक बहुत बड़े बदलाव का हिस्सा है। ये कही ना कही पितृसत्ता की सोच पर प्रहार भी है। मैं गर्व से कह सकता हूँ कि घर पर बच्चों को एक अच्छा बचपन देने में मैं एक अहम् भूमिका निभा रहा हूँ और बाकी लोगों से भी अपील करता हूँ चलो आओ अपने बच्चों को और अपने भविष्य को एक अच्छी सोच से सीचें ।