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क्या आपने महिला सशक्तिकरण सुना है?

वैसे तो अक्सर सशक्त महिलाओं से मुलाकात होती रहती है मगर अभी हाल ही में हज़ार से ज़्यादा की तादाद में सशक्त महिलाओं को एक साथ, एक मुहीम में बंधा देखकर रोंगटे खड़े हो गए। करनाल ज़िले में अर्पणा ट्रस्ट द्वारा पिछले 20 सालों से गाँवों में महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह बनाने का काम जारी है। इन समूह की ताकत का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि आज इनकी बचत राशि 35 करोड़ से ज्यादा है l

 

आज 50 से ज़्यादा गांवों से लगभग 1000+ महिलाएं एक साथ इकट्ठा हुईं ! उनमे से कुछ ने एक कार्यक्रम का प्रभावशाली रूप से आयोजन किया जिसके द्वारा अपने ही नेतृत्व में उन्होंने अपने गावों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए एक मुहीम की पहल भी करी। इन महिलाओं ने आज गांवों में एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक का अधिक उपयोग और गावों में बढ़ती अस्वच्छता के कारण उत्पन्न खतरनाक स्थिति के खिलाफ आवाज़ उठायी । संवाद इस बात के इर्द-गिर्द नहीं घूमा कि वे किससे और क्या मदद ले सकते हैं – बल्कि खुद अपने द्वारा समाधान ढूंढ़ने और उस पर अमल करने के लिए एक दूसरे को प्रेरित किया। इन महिलाओं ने रविवार की दोपहर अपने घरों और गांव से बाहर निकल कर इस कार्यक्रम में भाग लिया और सबसे महत्वपूर्ण बात कि अपने गांव के लिए व अपने

स्वयं के लिए नायक बनने की शपथ ली। भागीदारी लेना अपनी पहचान बनाने की दिशा में पहला कदम है । वहीं किसी सोच को अभियान में बदलना सशक्त होने की दिशा में अहम पदध्वनि है। ये महिलाएं केवल सशक्त ही नहीं, बल्कि एक बड़े बदलाव के अंजाम देने वाले किसी पावरहाउस के समान हैं।

कितना साहस, लगन और संकल्प चाहिए होता है अपने जीवन को किसी सोच या मिशन के लिए समर्पित करने के लिए। हम दुनिया को

तो पूरी तरह से नहीं बदल सकते लेकिन खुद से बदलाव की शुरुआत ज़रूर कर सकते हैं। आज का दिन बेहद सौभाग्यशाली रहा जो हमें ऐसे  प्रेरणादायक समूह के साथ अपना समय बिताने को मिला। बहुत कुछ सीखा ।अर्पणा ट्रस्ट और जनशक्ति महिला विकास संस्थान को उनके मिशन के लिए बहुत बहुत शुभकामनायें।

कार्यक्रम – जनशक्ति महिला विकास संस्थान (अर्पणा ट्रस्ट) की चौदवीं वार्षिक आम सभा

स्थान – गाँव अराईंपुरा

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