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ढूंढ लाओ तुम!

मेरे सिक्के बिखर गए है राह में कहीं
चिराग हो तुम ढूंढ लाओ उन्हें
वो सिक्के
जो मेरे स्नेह ने कमाए थे
किसी और के नाम
जिनके पलकों की सिहरन
सुबह को रौशनी लेकर आती थी
वो भी खो गई कहीं
तुम चिराग हो न
ढूंढ लाओ वो पलकें
बड़ी एहतियात से रखा था मैंने
वो मुस्कान भी लाना
जो खो गए है उसके
मेरे नाम होते होते
बिगड़ गए है जिसके
तुम चिराग हो न
ढूंढ लाओ वो मुस्कान
मेरी चीख चीरती उल्काओं को
तुम्हारी स्केल नहीं नाप सकेगी
मेरी सारी अक्लो होश की एहसाहिसे
खो गई है उन्ही पथरीली पगडंडियों में
सुनो,
तुम चिराग हो न
ढूंढ लाओ वो हसीं
नही नही मेरी नही
मेरे उस मेहबूब की
जिसके लिए गुल्लक भर कर
जमा किये गए थे
वो सारे सिक्के
जो खो गए
चिराग हो न तुम
ढूंढ लाओ इन्हें भी!

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