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26/11 के हमलों के असली गुनहगारों को आज तक सज़ा क्यों नहीं मिल पाई है?

आज 26 नवंबर 2019 है। आज से करीबन 11 साल पहले इसी दिन मुम्बई की सड़कें खून से लाल हो गई थी। आज ही के दिन अजमल आमिर कसाब और उसके 9 साथियों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई शहर, जिसे लोग

मुम्बई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल जो कभी लोगों से भरा रहता था, आज ही के दिन 11 साल पहले वह उन्हीं लोगों की लाशों से भरा पड़ा था। जहां कभी सुनहरे संगीत गूंजा करते थे वही ऑबेरॉय होटल लोगों की चीखों से गूंज रहा था। इसी के साथ एक यहूदी धर्मस्थान पर हमला हुआ जहां मोशे नाम के एक मासूम बच्चे के सामने उसका पूरा परिवार खत्म हो गया।

मुंबई ब्लास्ट, फोटो साभार-सोशल मीडिया

160 से ज़्यादा मासूम मारे गए और 10 सिपाही शहीद

वहीं इसी हमले में  160 से ज़्यादा लोग मारे गए और सैंकड़ो ज़ख्मी हो गए। इस हमले में हमने श्री हेमन्त करकरे, श्री विजय सालस्कर, श्री अशोक काम्टे, श्री संदीप उनिकृष्णन और श्री तुकाराम ओंबले को मिलाकर 10 बहादुर सिपाही खो दिए थे।

इन सब पर गोलियां चलाने वाले 9 आतंकवादियों को तो पहले ही मार दिया गया था लेकिन एक को पकड़ लिया गया था। यह था कसाब जिसे 2013 में फांसी पर लटका दिया गया था।

आज सवाल यह है कि क्या इनके मरने से इंसाफ हो गया है? मुझे लगता है कि नहीं, क्योंकि इन्होंने तो गोलियां चलाई थी लेकिन उनका क्या जिन्होंने इनके हाथ में गोलियां पकड़ाई थी। जिन्होंने इनकी गरीबी का फायदा उठाकर, इन्हें पैसे का लालच देकर इनसे पाप करवाया था क्योंकि कसाब ने खुद माना था कि उसने पैसों के लिए ये सब किया था।

कुछ लोगों के नाम में यह लेना चाहूंगा जो मशहूर आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हैं, जो मुम्बई हमले के असली गुनहगार है।

मुंबई ब्लास्ट, फोटो साभार-सोशल मीडिया

मुम्बई हमले के असली गुनहगार

हाफिज़ सईद एक ऐसा आतंकी है, जिसे UN तक खतरनाक लोगों में गिनता है। हाफिज़ सईद का विभाजन से पहले भारत में रहता था और उसके बाद पाकिस्तान चला गया। पाकिस्तान के लाहौर में ही हाफिज़ सईद पला बढ़ा।

हाफिज़ सईद रात दिन भारत के खिलाफ जिहाद की धमकी देता रहता है लेकिन वह जाहिल जिहाद का मतलब भी नहीं जानता। सबसे दिलचस्प बात यह है कि वह एक आतंकी है और उसके बावजूद पाकिस्तान में चुनाव लड़ता है लेकिन हमेशा हारता है।

शेख ओमर

कहने को तो यह आदमी मशहूर पत्रकार डेनियल पर्ल को अगवाह करके उनकी हत्या करवाने वाला आतंकी है। यह सन 2002 से एक हैदराबाद की जेल में बंद है। गिरफ्तार आतंकवादियों ने अल-कायदा के इस शीर्ष नेता (उमर शेख) को छुड़ाने के लिए हैदराबाद जेल को तोड़ने की भी योजना बनाई थी।

डेविड हेडली

डेविड हेडली उर्फ दाऊद एक ऐसा आतंकवादी है, जो बॉम्ब ब्लास्ट से पहले मुम्बई जाकर पूरी रेकी करता है, सब जगह की तस्वीरें लेता है और फिर वह सारी तस्वीरें और सूचनाएं जाकर अपने आकाओं को देता है।

ये आका तय करते हैं कि कहां हमला और कैसे हमला करना है। आज वही दहशतगर्द जेल में है लेकिन हिंदुस्तान की नहीं अमेरिका की जेल में।

ज़की उर रहमान लखवी

ज़की उर रहमान लखवी उर्फ चाचा। आतंक का यह चाचा हमले के वक्त सिंध में इन आतंकवादियों का हैंडलर था, जो भारतीय न्यूज़ चैनल की खबरों को देख-देखकर बताता था कि अब कहां हमला करना है, फौज कहां से घुस रही है और भारत सरकार क्या कर रही है।

उसके हुकूम पर ताज होटल में आग लगाई जाती है। आज यह भी जेल में इसी मामले में सड़ रहा है लेकिन हिंदुस्तान की नहीं, पाकिस्तान की जेल में, जहां उस पर कोई कार्यवाही नही होगी यह सब जानते हैं।

सारे सबूत है लेकिन इंसाफ नहीं

कहने को पाकिस्तान की सरकार इनके गुनाह जानती है। वहीं FBI और CBI जैसी संस्थाएं भी इनके खिलाफ सबूत दे चुकी है। पाकिस्तान की सरकार यह मानती है कि हमले की पूरी तैयारी उनकी ज़मीन पर हुई है लेकिन जो मासूम मारे गए, उनको इंसाफ कब मिलेगा?

कुछ साल पहले एक मूवी देखी थी, जिसका नाम था फैंटम। इसमें अभिनेता सैफ अली खान, रॉ के एजेंट होते हैं। वे और उनकी साथी कैटरीना कैफ, सारे आतंकियों को एक के बाद एक मार डालते हैं। फिल्म में एक मशहूर डायलॉग आता है जो दरअसल एक जवाब होता है, हाफिज़ सईद के उस सवाल का कि “क्या चाहता है इंडिया?” तो जवाब है “इंडिया चाहता है इंसाफ”।

कहानी के अंत में जब कैटरीना कैफ मुम्बई की सड़कों पर निकलती है, तो वह लोगों को खुश देखती है, क्योंकि लोग कह रहे होते हैं कि आज हमारे साथ ऊपर वाले ने इंसाफ किया है। इस सीन को देखकर मैं सोचता हूं कि पता नहीं ये सीन कब सच होगा।

मुंबई ब्लास्ट, फोटो साभार-सोशल मीडिया

जब इज़रायल के लोगों ने हिटलर के सबसे खास अडॉल्फ एचमेन (जिसने हिटलर के कहने पर कई बेगुनाह यहूदियों की हत्या की थी) को फांसी दी थी, तो उस वक्त दुनिया के यहूदियों के अंदर जिस खुशी और राहत की अनुभूति हुई थी, क्या वह अनुभूति भारतीयों को भी मिलेगी?जवाब है, पता नही। बस यही जानना है कि इंसाफ कब होगा?

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