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50 फीसदी से भी ज़्यादा भारतीय युवा नौकरी के योग्य नहीं हैं

स्टूडेंट्स

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पढ़कर भी अगर कोई किसी काम का ना बने तो ऐसी पढ़ाई को तो लोग बेकार ही कहेंगे मगर इसके साथ कई लोगों पर उंगलियां उठेंगी। इसमें अगर स्टूडेंट्स को दोषी माना जाएगा, तो शिक्षकों पर भी दोष मढ़ा जाएगा। दोष मढ़ने का तरीका तो पुराना है मगर जो सबसे गंभीर बात सामने आई है, वह है यूनिसेफ की रिपोर्ट। इस रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि भारतीय स्टूडेंट्स में 21वीं सदी का कौशल नहीं है।

हाथ में स्मार्ट फोन मगर कौशल नहीं

जी हां, यह बात आपको चौंका सकती है और साथ में आपके मन में कई सवाल भी पैदा कर सकती है, क्योंकि आज हर भारतीय स्टूडेंट टेक्नोलॉजी को जानता है। ऐसे में यह रिपोर्ट एक पल के लिए सोचने पर मजबूर करती ही है कि आखिर इन स्टूडेंट्स के लिए ऐसी बातें क्यों कही जा रही हैं?

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

इसमें ग्लोबल बिज़नेस कोएलिशन फॉर एजुकेशन, शिक्षा आयोग और यूनिसेफ ने दक्षिण एशियाई देशों के युवाओं को लेकर आंकड़ा जारी किया है। इसके अनुसार आने वाले दशक में 54% दक्षिण एशियाई युवक अच्छी नौकरी के लिए आवश्यक कौशल के बिना ही स्कूल पास कर लेंगे।

दक्षिण एशियाई देशों की लगभग आधी जनसंख्या (1.8 अरब) 24 वर्ष से कम आयु की है। इसके साथ ही साल 2040 तक दक्षिण एशियाई देशों के पास विश्व की सबसे ज़्यादा युवा श्रम शक्ति होगी।

इतनी ज़्यादा युवा शक्ति के बावजूद भी अगर देश पीछे रहे तो देश की तरक्की का पहिया आगे कैसे बढ़ेगा? यह बात गंभीर और ध्यान देने योग्य है। आंकड़ों के अनुसार 21वीं सदी में काम के लिए आवश्यक कौशल वाले युवाओं की अगली पीढ़ी तैयार करने में दक्षिण एशिया कई अन्य क्षेत्रों से पीछे है। इन देशों की सूची में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल हैं।

नौकरी ना मिलने से निराश युवा

इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक, हेनरिटा फोर ने बताया कि रोज़ाना करीब एक लाख दक्षिण एशियाई युवा श्रम बाज़ार में नौकरी के लिए आते हैं मगर उसमें से लगभग आधे युवा निराश लौट जाते हैं।

इतनी ज़्यादा संख्या में अगर युवा बिना रोज़गार लिए वापस आएंगे तो यह किसी भी देश के लिए खतरे की घंटे साबित होगी। अगर युवा ही निराश हो जाएंगे तो देश की क्या स्थिति होगी, इस बात का अंदाज़ा आप भली भांति लगा सकते हैं।

वॉयस ऑफ यूथ को सुनना ज़रूरी

इसके साथ ही अभी हाल में 32,000 युवाओं पर यूनिसेफ के ‘वॉयस ऑफ यूथ’ द्वारा किए गए सर्वेक्षण में एक बात सामने आई है, जिसमें 24 साल से कम उम्र के बच्चों के बीच चिंता है कि वे आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए कितने तैयार हैं। इसका मतलब है कि बच्चे स्वयं ही इस चिंता में हैं कि क्या वे आधुनिक अर्थव्यवस्था से होने वाले बदलावों को संभाल पाएंगे?

प्रतिकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

एक पोल के अनुसार, दक्षिण एशिया में ज़्यादातर युवा महसूस करते हैं कि उनकी शिक्षा प्रणाली पुरानी है और उन्हें रोज़गार के लिए तैयार नहीं किया गया है। इसका मतलब यह है कि युवा स्वयं मानते हैं कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली उन्हें आने वाले कल के लिए पूर्ण रूप से तैयार नहीं कर पा रही है।

ऐसे में यहां एक सवाल उठता है कि क्या वर्तमान शिक्षा प्रणाली को अपग्रेड करने की ज़रूरत है?

शिक्षा की निम्न गुणवत्ता और खराब व्यावसायिक प्रशिक्षण

यूनिसेफ द्वारा कमीशन की एक अलग रिपोर्ट में युवाओं के बीच बढ़ते कौशल के अंतर को संबोधित करने के लिए मुख्य बाधाओं की पहचान की गई है। रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा की निम्न गुणवत्ता और खराब व्यावसायिक प्रशिक्षण इसके मुख्य कारण हैं। अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया द्वारा संकलित की गई इस रिपोर्ट में युवाओं को कौशल संकट से निपटने के लिए 30 समाधान दिए गए हैं।

उम्मीद है इन समाधानों के ज़रिये ना सिर्फ युवाओं में जोश का संचार होगा, बल्कि बड़े पैमाने पर बदलाव भी देखने को मिलेंगे।

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