सुमन और अभय जिनकी उम्र 22 और 24 साल थी। इस उम्र में उन्होंने बच्चे के बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा लेकिन जब सुमन को पीरियड नहीं आया तो गर्भपात कराने की नौबत आ गई। क्या बिना शादी किए गर्भपात कराना संभव था? उन्हें ठीक-ठीक मालूम नहीं था। सुमन और अभय ने सोचा कि डॉक्टर के सामने ऐसे पेश आएंगे जैसे शादीशुदा हों। इसी बारे में उन्होंने लव मैटर्स इंडिया के साथ अपनी कहानी साझा की है। (अभय और सुमन दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हैं।)
मेरा घर या तेरा घर
अभय: सुमन से मेरी मुलाकात कॉलेज के एक वर्कशॉप में हुई थी। वह ज़िन्दादिल, सुंदर और आत्मविश्वास से भरी लड़की थी, उसे देखते ही मैं उसकी ओर आकर्षित हो गया। वर्कशॉप के बाद हम संपर्क में नहीं रहें, इसलिए कुछ महीनों बाद जब उसका फोन आया तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। उसने मुझे एक सेमिनार में आमंत्रित करने के लिए फोन किया था और हम फिर से बातचीत करने लगे।
सुमन: कुछ ही हफ्तों में हम एक-दूसरे के करीब आ गए और अच्छे दोस्त बन गए। एक दिन जब हम साथ बैठकर अपने कमरे में टीवी देख रहे थे, तो मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास खींच लिया। हम एक-दूसरे को चूमने लगे और जल्द ही हमने सेक्स भी कर लिया। हम कभी उसके घर तो कभी अपने घर मिलते और हमें बहुत मज़ा आता।
कंडोम फट गया
अभय: एक शाम मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर जाने वाला था, तभी सुमन का फोन आया। वीकेंड वाले दिन वह घर पर थी, इसलिए मुझे आश्चर्य हुआ। जब मैंने फोन उठाया तो मुझे उसका रोना सुनाई दिया।
सुमन: मैंने अभय को बताया कि मेरा पीरियड रुक गया है और होम प्रेग्नेंसी किट से पता चला कि मैं गर्भवती हूं।
अभय: यह सुनकर मैं एकदम चौंक गया लेकिन फिर भी धैर्य बनाए रखा। मुझे अब याद आया कि पिछली बार जब हमने सेक्स किया था तो कंडोम फट गया था। मैं उसकी योनि के अंदर स्खलित नहीं हुआ था लेकिन अगर दुर्भाग्य से कुछ वीर्य अंदर चला गया हो तो मैं जोखिम नहीं उठाना चाहता था।
मैंने सुमन को आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली लेने के लिए कहा। हालांकि तीन दिन के बाद हमें इसका ध्यान आया और तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
समय नहीं था
सुमन: हम दोनों जुनून में आकर किए गए इस काम के नतीजे से डर गए। हम इस उम्र में माता-पिता बनने के लिए तैयार नहीं थे। इससे पहले की बहुत देर हो जाए हमें गर्भपात करवाना ज़रूरी था। मुझे चिंता थी, क्या भारत में गर्भपात कानूनी है और क्या गर्भपात कराने के लिए शादीशुदा होना ज़रूरी है?
अभय: मैंने गूगल पर सर्च किया तो पता चला कि भारत में गर्भपात वैध है और गर्भपात कराने के लिए शादीशुदा होने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन मुझे पता था कि यह इतना भी आसान नहीं होगा, यह देखते हुए कि हमारा समाज शादी से पहले सेक्स के बारे में क्या सोचता है।
लेकिन गर्भपात कराना बहुत ज़रूरी था, इसलिए मैंने पहला कदम उठाया और अपने आसपास ही एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क किया। डॉक्टर ने हमें जल्द-से-जल्द मिलने के लिए कहा और हम उसी शाम वहां गए। किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए हमने वहां शादीशुदा होने का नाटक किया।
अपराध नहीं है
सुमन: डॉक्टर हमारा चेहरा देखकर ही पहचान गईं कि हमने शादी नहीं की है और हम बहुत तनाव में हैं। वह समझ रही थीं कि हम पर क्या बीत रही है, इसलिए उन्होंने हमें आश्वस्त किया है कि हमने कोई अपराध नहीं किया है। उसने हमें बताया कि उपचार गुप्त रखा जाएगा और सभी जानकारी हम तीनों के बीच रहेगी। उनके आश्वासन से हमने बहुत राहत महसूस की।
अभय: डॉक्टर ने गोली से गर्भपात की सलाह दी। उसने हमें आश्वासन दिया कि इससे गर्भपात हो जाएगा और उसने सुमन को कुछ गोलियां दी। दवा खाने के बाद उसका जी मिचलाने लगा और सुस्ती महसूस हुई। मैंने उसके साथ एक हफ्ते तक रहने का फैसला किया। हमने अपने माता-पिता को इसमें शामिल नहीं किया, क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि हमारे निजी जीवन में उनकी दखलंदाज़ी हो। दवा लेने के एक हफ्ते के बाद डॉक्टर ने बताया कि गर्भपात सफल रहा और हम रोज़मर्रा के जीवन में वापस लौट सकते हैं।
ज़रूरी नहीं कि सब इतने भाग्यशाली हों
सुमन और अभय भाग्यशाली थे कि उन्हें गर्भपात के लिए एक मददगार और उनके बारे में बिना कोई धारणा बनाने वाली डॉक्टर मिल गईं लेकिन ऐसी ज़्यादातर अविवाहित भारतीय महिलाएं, जो अपना गर्भपात कराना चाहती हैं, उन्हें ऐसी डॉक्टर कभी नहीं मिलती। अक्सर उनके पास कोई विकल्प नहीं बचता है और मजबूर होकर वो गर्भपात कराने के लिए असुरक्षित तरीके और जगहों का चयन करती हैं।
लैंसेट शोध के अनुसार भारत में लगभग 60% गर्भपात असुरक्षित तरीके से किए जाते हैं। साथ ही भारत में सभी मातृ मृत्यु का लगभग 8.5% असुरक्षित गर्भपात के कारण होता है और इसके चलते रोजाना 10 महिलाओं की मौत होती है।
इसके बावज़ूद कि भारत में पिछले 46 वर्षों से गर्भपात वैध है। इतनी भारी संख्या में असुरक्षित गर्भपात का मुख्य कारण जागरूकता की कमी (गर्भपात वास्तव में वैध है और इसमें सहायता प्रदान की जाती है) और गर्भपात को लेकर सामाजिक कलंक साथ ही शादी से पहले सेक्स को गलत मानना है।
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नोट- दोनों के नाम बदल दिए गए हैं।
लेखक- अर्पित छिकारा
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