सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर 40 दिनों से लगातार चल रही सुनवाई पूरी करते हुए 9 नवंबर के लिए फैसले को सुरक्षित रखा था। आज फैसले के दौरान जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अखाड़े का दावा लिमिटेशन से बाहर है।
आपको बता दें कि 16 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान विवादित मोड़ तब आया, जब बफ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने विरोध में नक्शा फाड़ दिया, जिसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि यदि ऐसा ही रवैया रहा तो इसे ही फैसला मान लिया जाएगा।
जानिए अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट की बड़ी बातें-
- कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक ज़मीन दी जाए।
- इस फैसले में कोर्ट ने विवादित ज़मीन का हक रामजन्मभूमि न्यास को दिया है। जबकि मुस्लिम पक्ष यानी सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही दूसरी जगह 5 एकड़ तक की ज़मीन देने का आदेश दिया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार तीन महीने में स्कीम के ज़रिये ट्रस्ट बनाए। यह ट्रस्ट राम मंदिर का निर्माण करेगा।
- कोर्ट ने यह भी कहा कि आस्था के आधार पर कोई मालिकाना हक नहीं।
- मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, “हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन फैसले में कई विरोधाभास हैं, लिहाज़ा हम फैसले से संतुष्ट नहीं है। हम फैसले का मूल्यांकन करेंगे और आगे की कार्रवाई पर फैसला लेंगे।”
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा, “एएसआई ने इस तथ्य को स्थापित किया कि गिराए गए ढांचे के नीचे मंदिर था।”
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सबूत है कि बाहरी स्थान पर हिन्दुओं का कब्ज़ा था लेकिन मुस्लिम अंदरूनी भाग में नमाज़ अदा करते रहे। बाबर ने मस्जिद बनाई थी लेकिन वे कोई सबूत नहीं दे सके कि इस पर उनका कब्ज़ा था और नमाज़ की जाती थी। जबकि यात्रियों के विवरण से पता चलता है कि हिन्दू यहां पूजा करते थे।
- कोर्ट ने कहा कि हिन्दुओं की आस्था और विश्वास है कि भगवान राम का जन्म गुंबद के नीचे हुआ था।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थल पर ईदगाह का मामला उठाना आफ्टर थॉट है, जो मुस्लिम पक्ष द्वारा ए.एस.आई. की रिपोर्ट के बाद उठाया गया।
- कोर्ट ने राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक विवादित भूमि को सरकारी बताया।
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं। मामले की सुनवाई करने वाले पांचों जजों में सिर्फ अब्दुल नज़ीर ही मुस्लिम है।
क्या है राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का इतिहास?
लगभग एक सदी से भी ज़्यादा वक्त से अयोध्या में बाबरी मस्जिद और राम मंदिर को लेकर विवाद चल रहा था। हिन्दुओं के मुताबिक बाबरी मस्जिद की जगह राम जन्मभूमि थी। 16वीं सदी में एक मुस्लिम आक्रांता ने हिन्दू मंदिर को गिरावर वहां मस्जिद बनाई थी। जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि दिसम्बर 1949 में कुछ लोगों ने जब रात के अंधेरे का फायदा उठाकर मस्जिद में राम की मूर्ति रख दी थी, तब तक वे वहां प्रार्थना करते थे।
हालांकि मस्जिद में राम की मूर्ति रखे जाने के बाद ही वहां राम की पूजा शुरू हो गई। इसके बाद अगले चार दशक तक हिन्दू और मुस्लिम पक्षों ने संरक्षण और प्रार्थना के अधिकार के लिए कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। साल 1992 में इस पूरे मामले ने एक बार फिर से विवादित मोड़ ले लिया जब 6 दिसंबर को भीड़ ने मस्जिद गिरा दी।
साल 2010 की बात है जब इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यों वाली पीठ ने कहा कि भारत में इस इमारत को मुगल शासन की नींव रखने वाले ने बनाया था। यह मस्जिद नहीं थी, क्योंकि ‘इस्लाम के सिद्धातों के खिलाफ इसे एक गिराए गए मंदिर की जगह बनाई गई थी।
उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यों वाली पीठ में एक मुस्लिम जज भी थे, जिन्होंने कहा था कि कोई भी मंदिर नहीं गिराया गया था और मस्जिद खंडहर पर बनी थी।
कैसे गिराई गई थी बाबरी मस्जिद?
6 दिसंबर 1992 की बात है जब विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं, भाजपा के कुछ नेताओं और इससे जुड़े संगठनों ने कथित रूप से विवादित जगह पर एक रैली आयोजित की, जिसमें डेढ़ लाख वालंटियर शामिल हुए थे। देखते ही देखते रैली हिंसक हो गई और भीड़ ने बाबरी मस्जिद को धवस्त कर दिया।
उस वक्त के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया और विधानसभा भंग कर दी। केंद्र सरकार ने 1993 में एक अध्यादेश जारी कर विवादित ज़मीन को अपने नियंत्रण में ले लिया। नियंत्रण में ली गई ज़मीन का रकबा 67.7 एकड़ है।
बाद में इस घटना की जांच के आदेश दिए गए, जिसमें पाया गया कि इस मामले में 68 लोग ज़िम्मेदार थे, जिसमें बीजेपी और वीएचपी के कई नेताओं का भी नाम था। गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार, उमा भारती और कई अन्य नेताओं पर विशेष सीबीआई जज एसके यादव की अदालत में सुनवाई चल रही है।