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PM मोदी ने माफी दिए बिना साध्वी प्रज्ञा को रक्षा मंत्रालय कमिटी की सदस्यता दे दी?

साध्वी पज्ञा ठाकुर

साध्वी पज्ञा ठाकुर

जिस व्यक्ति ने भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या की हो, क्या वह कभी देशभक्त हो सकता है? भारत के बहुत से लोग इसका जवाब ना ही देंगे मगर प्रज्ञा सिंह ठाकुर गोडसे को देशभक्त कहती हैं।

यह मुद्दा मीडिया में एक बार फिर चर्चा में आया है, क्योंकि प्रज्ञा सिंह ठाकुर को रक्षा मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति में सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। इस सलाहकार समिति में विपक्षी दलों के शरद पवार और फारूक अब्दुल्लाह जैसे कई बड़े चेहरे शामिल हैं।

लोकसभा चुनाव के समय जब प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने नाथुराम गोडसे को देशभक्त कहा था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम यह संदेश दिया था कि मैं कभी प्रज्ञा को दिल से माफ नहीं कर पाऊंगा।

मालेगाँव ब्लास्ट मामले में प्रज्ञा पर चल रहा है केस

साध्वी प्रज्ञा। फोटो  साभार- सोशल मीडिया

आपको बता दें कि प्रज्ञा ठाकुर पर मालेगाँव ब्लास्ट को लेकर केस चल रहा है। नासिक ज़िले के मालेगाँव में भिकू चौक के निकट 29 सितंबर 2008 को हुए बम विस्फोट में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस मामले में उनके अलावा लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और 6 अन्य लोग भी आरोपी हैं।

मालेगाँव ब्लास्ट की जांच उस वक्त के महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे ने की थी। 26/11 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में हेमंत करकरे शहीद हो गए मगर उन्हें लेकर भी प्रज्ञा सिंह ठाकुर विवादित बयान दे चुकी हैं। इस वक्त प्रज्ञा मेडिकल पेरोल पर जेल से बाहर हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा मालेगाँव मामले पर मीडिया कवरेज बंद करने की अर्ज़ी विशेष न्यायालय को दी गई थी, जो खारिज़ हो चुकी है।

क्या मोदी ने प्रज्ञा को दिल से माफ कर दिया है?

प्रज्ञा सिंह ठाकुर भोपाल से काँग्रेस के दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव जीती हैं। संसदीय समिति में अब उन्हें सलाहकार के तौर पर लिया गया है, तो क्या यह मानकर चलना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दिल के अंतःकरण से उन्हें माफ कर दिया है? इस बात की उम्मीद बहुत कम ही होगी कि इस फैसले में पीएमओ की सहमति ना हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही प्रज्ञा सिंह ठाकुर को माफ ना करने की बात करते हैं लेकिन प्रज्ञा सिंह के साथ-साथ अमित मालवीय, अनंत कुमार हेगड़े और साक्षी महाराज जैसे बड़बोले और गोडसे को देशभक्त कहने वाले लोगों पर बीजेपी ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

क्या ऐसे लोग लिखेंगे नए भारत की परिभाषा?

नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार- फेसबुक

बीजेपी का कोई नेता अगर भड़काऊ बयान देता है, उसे देशभक्त कह दिया जाता है जिसके कारण धार्मिक ध्रुवीकरण को हवा मिलती है। ऐसे समय में बीजेपी के प्रवक्ता या अन्य कोई नेता सिर्फ इतना ही कहते हैं कि यह उनका निजी बयान है और हम इसकी कड़ी शब्दों में निंदा करते हैं। क्या इसके लिए सिर्फ इतना ही काफी है? भड़काऊ नेताओं को बीजेपी पार्टी से बाहर क्यों नहीं करती?

ऐसी स्थिति में एक सवाल जो हर ज़हन में आता है, वो यह कि क्या यही लोग नए भारत की परिभाषा लिखने जा रहे हैं? प्रज्ञा सिंह की नियुक्ति पर अगर विवाद होता है, तो क्या सरकार अपना कदम वापस लेगी?

संसदीय समिति में पहली बार सांसद बनें व्यक्ति को सदस्य के रूप में लेना कितना उचित है, यह विचार करने का विषय है। प्रज्ञा सिंह को लोकसभा का टिकट देने से लेकर संसदीय समिति का सदस्य बनाने तक बीजेपी इतनी तेज़ी क्यों दिखा रही है?

क्या यह मानकर चला जाए कि प्रज्ञा सिंह के ज़रिए बीजेपी हिन्दुत्व का कार्ड खेल रही है? इस आर्टिकल के ज़रिए मैं पाठकों के लिए कुछ सवाल छोड़कर जा रहा हूं, जिस पर आपको चिंतन करने की ज़रूरत है।

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