Site icon Youth Ki Awaaz

सामाजिक भेदभाव से परे है छठ पर्व

छठ पर्व। फोटो साभार- Flickr

छठ पर्व। फोटो साभार- Flickr

मैं दिल्ली में ही पला-बढ़ा हूं मगर इस साल छठ पूजा की महानता को सामने से महसूस करने के लिए बिहार में ही रुका हूं। लगभग 4-5 साल से यहां हूं मगर कभी मौका ही नहीं मिला इतने करीब से छठ को देखने का।

इस साल सोचा कुछ भी हो, यही रहूंगा और इस महापर्व की पवित्रता खुद इन आंखों से देखूंगा। कल सुबह ही पटना पहुंचा और  सच बताऊं तो वहां का नज़ारा बेहद खूबसूरत था।

दिल को जो खुशी मिली उसे शब्दों में पिरोना शायद मेरे बस की बात ही नहीं है लेकिन शुरुआत करने के लिए इससे बेहतर बात और क्या हो सकती है कि जो सफाई अभियान सरकार साल भर में नहीं कर पाती, जिस सफाई का ध्यान हम पूरे साल नहीं रख पाते, छठ के दिनों में हर गली, नुक्कड़, चैराहे और यहां तक कि हर नदी, पोखर, नहर सब के सब एकदम से स्वच्छ होकर समाज की मानसिक और आध्यात्मिक शुचिता को परिभाषित कर देते हैं।

स्वच्छता का परिचायक है छठ पर्व

कोई दबाव नहीं, कोई आदेश नहीं लेकिन अकसर देखा गया कि सभी लोग सफाई में स्वतः लग जाते हैं, क्योंकि स्वच्छता कार्यक्रम का परिचायक है यह महापर्व छठ। अपनी इच्छाशक्ति से मनाए जाने वाले इस अदभुत आस्था एवं परम्परा को शत-शत नमन।

छठ करती महिलाएं। फोटो साभार- Flickr

बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश की सीमाओं से परे जा चुके इस महापर्व की जितनी बात हो, उतनी कम है।
सिर्फ औरतों तक सीमित ना होते हुए, मर्दों द्वारा भी भूखे रहकर इस परम्परा को आगे बढ़ाते हुए किया जाने वाला यह महापर्व सच में बेहद पवित्र है।

इसकी पवित्रता का बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता है। शर्म आती है उन लोगों पर जो इसे पाखंड का नाम देते हैं। खैर, अपनी समझ से जितना समझा, वो बस यही है कि हर तरह के भेदभाव से परे है यह महापर्व।

छठ की गरिमा को बनाए रखने की ज़रूरत

अतः एक निवेदन ज़रूर है कि इसकी गरिमा को बनाए रखें। स्वच्छता की ऐसी सोच हमें केवल कुछ दिनों के लिए ही नहीं, बल्कि हर दिन अपनानी चाहिए। भले ही यह कुछ दिनों का महापर्व है मगर इसकी श्रद्धा और भक्ति, आस्था और परंपरा तो हमारे दिलों मे प्रतिदिन होनी चाहिए।

तो बस कुछ दिन नहीं, बल्कि हर दिन महापर्व समझिए और यह महापर्व हमें क्या सीख देती है, इसे दिल से समझिए। तभी तो भारत आगे बढ़ेगा और भारत आगे बढ़ेगा तो आप, मैं और हम सब आगे बढ़ेंगे। देश की खूबसूरती से ज़्यादा खूबसूरत कुछ भी नहीं है।

Exit mobile version