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क्या सिर्फ सरकार को कोसने से भ्रष्टाचार दूर हो जाएगा?

भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार

कोई भी ऐसा कार्य जो न्याय एवं समाज के विरुद्ध किया जाए वह भ्रष्टाचार के अंतर्गत आता है। आज हमारे समाज का कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है। आज हर क्षेत्र भ्रष्टाचार में लिप्त है, बात चाहे स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, न्याय विभाग या किसी अन्य विभाग की हो।

हम समाज और देश को बदलने की बात करते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं कि यह बदलाव हमें खुद लाना होगा, क्योंकि बदलाव की शुरुआत हमेशा स्वयं से होती है।

भ्रष्टाचार के रूप

भ्रष्टाचार समाज में कई रूपों में व्याप्त है। जैसे,

जो भी कार्य बुरी प्रवृत्ति की ओर ले जाए वह भ्रष्टाचार को जन्म देता है।

इसके उन्मूलन के लिए हमें भ्रष्टाचार निरोधक नियम 1988 में सुधार करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें कड़े नियम लागू करने होंगे, जिसमें आरोपी को आजीवन कारावास या फांसी की सज़ा का प्रावधान होना चाहिए। जब तक हम अपराधी के अंदर डर पैदा नहीं करेंगें तब तक लोग अपराध करते रहेंगे।

सरकार की अनदेखी

गरीबी, बेरोज़गारी एवं आर्थिक कमज़ोरी लोगों को गलत काम करने के लिए मजबूर करती है। छोटे-छोटे बच्चों को पेट भरने के लिए दिन-रात मज़दूरी करनी पड़ती है। मासूम लड़कियों के साथ बलात्कार जैसी भयावह हिंसा होती है और अपराधी को सज़ा ना देकर, उसको कड़ी सुरक्षा के अंतर्गत रखकर, उसपर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं।

तब तक ना जाने कितनी और लड़कियां इस हिंसा को झेल चुकी होती हैं मगर सब कुछ देखते हुए सरकार इसको अनदेखा कर देती है।

कड़े कानून की आवश्यकता

बड़े पैमाने में होने वाले घोटाले, सरकारी नौकरी में चलने वाली लाखों की घूस, बेनामी संपत्ति या अघोषित संपत्ति जैसे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़े कानून की आवश्यकता है। जहां किसी इंसान के पास 10 घर हैं, वहीं किसी इंसान को छप्पर तक नहीं नसीब है।

बड़े-बड़े पदों पर बैठे नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं लेकिन सरकार उन पर कोई कड़ी कार्यवाही नहीं करती है। यहां भी पैसा देकर काम रफा-दफा कर दिया जाता है। भाई-भतीजावाद चरम पर है, जिससे योग्य व्यक्ति को मौका ना देकर अपने परिवार के लोगों को सत्ता में लाया जाता है।

छोटे-छोटे कदम बेहतर होंगे

भ्रष्टाचार उन्मूलन में हर व्यक्ति को अपनी आवाज़ बुलंद करनी होगी। अगर जन मानव शांत रहेगा तो समाज का ढांचा चरमरा जाएगा। हमें गलत को गलत और सही को सही कहने की हिम्मत होनी चाहिए।

छोटे-छोटे कदम उठाने से समाज एवं राष्ट्र से भ्रष्टाचार उन्मूलन को सफल बनाया जा सकता है। अगर हर व्यक्ति अपनी गलत आदतों को त्यागने का संकल्प ले तो बेहतर एवं सुनियोजित समाज का निर्माण हो सकता है। हमें समझना होगा कि सिर्फ सरकार को कोसने से भ्रष्टाचार का खात्मा संभव नहीं है, खुद में भी बदलाव लाने होंगे।

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