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दो भतीजे, जिन्होंने बदला महाराष्ट्र की सत्ता का समीकरण

अजीत पवार, देवेन्द्र फडणवीस और धनंजय मुंडे

अजीत पवार, देवेन्द्र फडणवीस और धनंजय मुंडे

हिंदुस्तान के राजनीतिक इतिहास में 23 नवंबर का दिन हमेशा याद किया जाएगा इसलिए नहीं कि सत्ता के समीकरण को पलटकर कोई सीएम बन गया या जो सीएम बनने चला था वह खाली हाथ रह गया, बल्कि यह दिन सियासत के सबसे बड़े खेल के लिए जाना जाएगा। कल तक इस्तीफा देकर जो नेता महाराष्ट्र की सियासत में फ्लैशबैक में थे, वही नेता शनिवार को सियासत के सबसे बड़े सुरमा साबित हुए।

ये नेता कोई और नहीं, बल्कि अमित शाह के खासमखास और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हैं। जब उद्दव ठाकरे के लिए राजतिलक की तैयारी चल रही थी, उसी बीच देवेंद्र फडणवीस ने सियासी दुश्मन के पाले से एक प्यादे को अपनी ओर मिलाकर पूरी गेम पलट दी।

अभी आधे हिंदुस्तान की आंख भी नहीं खुली थी कि महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ उसने कई नेताओं की नींद हमेशा के लिए उड़ा दी।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार से लेकर शिवसेना के नेता तक किसी को यह यकीन नहीं हो रहा था कि राजभवन में देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की शपथ ले रहे हैं। उनके बगल में शरद पवार के भतीजे अजीत पवार भी खड़े थे, जो सबसे चौंकाने वाली बात थी।

पर्दे के पीछे से कौन कर रहे थे सेटिंग?

पहली पिक्चर में तो ये दो नेता ही नज़र आते हैं लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में हड़कंप मचाने वाले सिर्फ ये दो नहीं, बल्कि तीसरे कोई और भी हैं जो पर्दे के पीछे से इन दोनों की सेटिंग में लगे थे। उनका नाम है धनंजय मुंडे

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस। फोटो साभार- फेसबुक

मुंडे बीजेपी के पूर्व दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे के भतीजे और बीजेपी नेता पंकजा मुंडे के चचेरे भाई हैं। मुंड़े ने इस बार के विधानसभा चुनाव में अपनी चचेरी बहन पंकजा मुंडे को 30 हज़ार से ज़्यादा वोटों से हरा दिया था। कहा जा रहा है कि धनंजय ने बीजेपी और एनसीपी की सरकार बनाने में चाणक्य की भूमिका निभाई है। धनंजय ने शुक्रवार शाम को ही देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर बता दिया था कि विरोधी खेमे में सेंध लग गई है। इसलिए आप सुबह शपथ के लिए तैयार रहिए।

बता दें कि करियर की शुरुआत में धनंजय बीजेपी के यूथ विंग के नेता थे। हालांकि साल 2012 में वह बीजेपी छोड़कर एनसीपी से जुड़ गए थे और शायद इसलिए दोनों ही नेताओं के बीच वह आसानी से मिल बैठकर काम कर सके।

वहीं, अपने भतीजे से खार खाये बैठे एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार अब आरोप लगा रहे हैं कि अजित पवार ने धोखे से बीजेपी से हाथ मिला लिया है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी के सियासी दांव उल्टे पड़े हों लेकिन सबसे बड़ा सवाल उद्दव ठाकरे के सामने है, जो अब ना तो बीजेपी के रहे और ना ही विरोधियों के काम आ सके।

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