क्या अंतरिक्ष में जाने के बाद इंसान की प्रजनन क्षमता या बच्चा पैदा करने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, क्या वाकई में इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन से आने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर पर कोई फर्क पड़ता है?
पहले के शोध इस बात को साबित कर चुके हैं कि अंतरिक्ष यात्रा के बाद इंसान के शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं और उनकी मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं।
इन्हीं सब सवालों के जवाब के लिए हाल ही में 12 चूहों को इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन में 35 दिन तक रखा गया और इन पर शोध के परिणाम चौंकाने वाले मिले।
अंतरिक्ष में गए चूहों की प्रजनन क्षमता पर क्या असर हुआ
इन्हीं सवलों के जवाब को लेकर हाल ही में साइंटफिक जर्नल रिपोर्ट्स में एक रिसर्च प्रकाशित हुई है, जिसमें बताया गया है कि इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन में विशेष पिंजरे में रखे गए चूहे जब पृथ्वी पर लाए गएं, तो उनसे स्वस्थ बच्चे पैदा हुए। रिसर्च में सामने आया कि पृथ्वी पर लौटने पर इन चूहों के शुक्राणु के उत्पादन की क्षमता और शुक्राणु निषेचन क्षमता सामान्य रही और किसी तरह के नुकसान होने के भी कोई सबूत भी नहीं मिले।
हालांकि, वैज्ञानिकों को पहले ऐसे संकेत मिले थे कि अंतरिक्ष में समय बिताने से शुक्राणुओं पर बुरा असर पड़ता है। अंतरिक्ष से लौटने के बाद प्रजनन क्षमता जांचने की यह इस तरह की पहली रिपोर्ट बताई जा रही है। इस नई रिसर्च में पहली बार चूहों पर अंतरिक्ष यात्रा के असर का आणविक स्तर पर परीक्षण किया गया।
इस रिसर्च में 12 चूहों को इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन में 35 दिन तक रखने के लिए खास डिज़ाइन के पिंजरे बनवाए गए थे। कुछ चूहों ने माइक्रोग्रैविटी या कम गुरुत्वाकर्षण में भारहीनता का अनुभव भी किया, जबकि बाकी चूहे उन पिंजरों में ही रहें, जिनमें कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण की व्यवस्था थी।
ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मासाहितो इकावा ने इस रिसर्च टीम का नेतृत्व किया। उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा करने वाले चूहों के प्रजनन अंगों का निरीक्षण भी किया और पाया कि बच्चों में उनके मां-बाप को हुए नुकसान का कोई चिन्ह नहीं था।
साइंटिफिक जर्नल रिपोर्ट्स में छपी रिसर्च रिपोर्ट में प्रोफेसर इकावा ने बताया,
हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कम समय के लिए अंतरिक्ष में रहने से नर प्रजनन अंगों की शारीरिक गतिविधियों, शुक्राणुओं के कामकाज और बच्चों की जीवनक्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है।
हालांकि, वैज्ञानिकों ने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि लंबे समय तक ऐसी स्थिति में चूहों पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसके लिए और रिसर्च की आवश्यकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि वे पता लगाना चाहते हैं कि अंतरिक्ष यात्रा का असर हार्मोन और जीन के स्तर पर कैसा होता है खासतौर से प्रजनन तंत्र में?
अब सवाल यह उठता है कि इस तरह की रिसर्च की क्यों आवश्यकता पड़ रही है?
इस रिसर्च में यह बताया गया है कि एक ऐसा युग आ रहा है कि जब इंसान अंतरिक्ष में कम लागत में जा सकेंगे। इसके लिए जेफ बेज़ोस की ब्लू ओरिजिन और एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी प्रयासरत भी हैं। तो ऐसे में यह जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है कि अंतरिक्ष में जाते समय इंसानों की प्रजनन क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ता है, कहीं यह प्रभाव नकारात्मक तो नहीं, जिससे आने वाली पीढ़ी को कोई नुकसान हो।
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सोर्स लिंक- sciencedaily , eurekalert, dw.com