पूरी दुनिया लैंगिक भेदभाव की शिकार है। महिलाओं को हर स्तर पर पुरुषों से कम ही आंका जाता है। हमारे समाज में पितृसत्ता हर जगह हावी है। इसी पितृसत्तामक सोच से ग्रसित समाज महिलाओं की काबलियत को सिर्फ उसकी सुंदरता के तारजू पर नापता है। घर हो या कार्यस्थल महिलाओं पर सुंदर दिखने का सामाजिक और मानसिक दबाव बनाया जाता है। यह समाज यह भी तय करता है कि महिलाएं क्या पहनें क्या नहीं।
इस तथाकथित सुंदरता की सोच का ही ताज़ा मामला जापान का है। दरअसल, जापान में महिलाओं के चश्मा पहनने पर रोक लगाने का मामला खबरों में है। वहां के कई वर्क प्लेस में महिलाओं के चश्मा पहनने पर रोक लगा दी गई है। खासकर, उन वर्क प्लेस में जहां कस्टमर डीलिंग का काम होता है, जैसे- डिपार्टमेंट स्टोर, शो-रूम के रिसेप्शन, हॉस्पिटैलिटी स्टाफ, ब्यूटी क्लीनिक आदि।
सिर्फ महिलाओं पर ही लगा है प्रतिबंध
चश्मा पहनने पर प्रतिबंध सिर्फ महिलाओं के लिए ही है, पुरुषों पर ऐसा कोई भी प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। इस प्रतिबंध के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि चश्मा पहनने से महिलाओं का प्रेजेंस काफी ठंडा होता है। इस सोच को महिलाओं के आकर्षण से जोड़कर देखा जा सकता है। मतलब ऐसी सोच वालों का मानना है कि चश्मे में महिलाएं आकर्षित नहीं दिखती हैं, इसलिए उनके बिजनेस पर नकारात्मक प्रभाव होता है।
सोशल मीडिया पर विरोध
चश्मा पहनने पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ महिलाएं सोशल मीडिया पर अपना विरोध प्रकट कर रही हैं। #GlassesAreForbidden के साथ सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई है। कंपनी के खिलाफ महिलाएं सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ उठा रही हैं। महिलाओं की इस मुहिम को दुनियाभर से समर्थन भी मिल रहा है।
महिलाओं की प्रतिभा को नकारने की बात
अगर एक पुरुष अपने कार्यस्थल पर चश्मा पहनकर जा सकता है, तो फिर सिर्फ महिलाओं के लिए ये नियम क्यों? किसी भी व्यक्ति की प्रतिभा का आकलन उसकी तेज़ बुद्धि और उसके कार्यस्थल में किए गए कार्य से होने चाहिए। लेकिन हमारा समाज तो महिलाओं को उसकी खूबसूरती से ही आंकना चाहता है, जो कि बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। महिलाओं के लिए ऐसे नियम बनाना उनकी उपलब्धियों को नकारना है। दुनियाभर के ऐसे किसी भी नियमों का मिलकर विरोध करना चाहिए ।