प्रजातंत्र से जनता को,
देख मिली क्या सीख ,
मस्जिद मुल्ला बांग लगता,
मंदिर पण्डा चीख ।
मंदिर पण्डा चीख-चीख कर,
प्रभु गुणगान बतावै,
डम-डम बम-बम मस्त भक्तजन,
मदिरा भांग चढावै।
मदिरा भांग चढावै,
शिवभक्तों पर ना कोई रोक,
हुल्लड़, गुल्लड़, धूम धड़ाका, कोई ना पावै टोक।
कोई ना पावै टोक कि देखो,
अजब तंत्र का हाल,
दो बोतल पर वोटर बिकते,
ठुल्ले भी बेहाल।
ठुल्ले भी बेहाल कि कलुआ,
सरपट दौड़ लगाता,
यहां-वहां जहां पान मिले,
सड़कों पर पीक फैलता।
सडकों पर पीक फैलाता यही,
जनतंत्र का ज्ञान ,
कुत्ता , कलुआ बीच रोड में, करते हैं मूत्र दान।