Site icon Youth Ki Awaaz

“मैंने मनोरंजक माध्यमों के ज़रिए राजस्थान के गाँव में प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करवाया”

समाज में पॉप कल्चर की भूमिका संवाद स्थापित करने की होती है। यह समाज के विभिन्न वर्गों, सत्ता केन्द्रों, व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच पुल का कार्य करता है।

इसी को ध्यान में रखते हुए, हमने गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर कुछ प्रयोग किये, जिसका परिणाम काफी अच्छा दिखा है। पॉप कल्चर के विभिन्न रूपों जैसे नुक्कड़ नाटक, रैली, चौपाल गोष्ठी, वॉल पेंटिंग, कविता, कहानियों के माध्यम से ऐसे प्रयोग करने की कोशिश की, जो लोगों में जागरूकता लाए।

पॉप कल्चर के ज़रिये जलवायु परिवर्तन की दिशा में लोगों को जागरूक करने की पहल

दिल्ली में नुक्कड़ नाटक करते हुए अभिषेक। फोटो सोर्स- अभिषेक

जलवायु परिवर्तन ना सिर्फ हमारे देश के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए संकट बन चुका है लेकिन अभी भी यह मुद्दा राजनैतिक रूप नहीं ले पाया है। जलवायु परिवर्तन को लेकर हमारी सरकारें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमिनार एवं गोष्ठियां करती रही हैं, नीतियां भी बनाती रही हैं लेकिन धरातल पर ये सब बेमानी सा लगता है। इसके लिए यह ज़रूरी है कि जलवायु परिवर्तन जैसे गम्भीर मुद्दों को सड़क से संसद तक लाया जाए।

इस दूरी को पाटने में पॉप कल्चर एक सटीक मार्ग हो सकता है। इसके ज़रिए लोग कठिन-से-कठिन सवालों को बड़े ही आसानी के साथ लोगों के सामने रख सकते हैं। इसके साथ-साथ लोगों का विश्वास भी जीत सकते हैं।

शयोलपूरा राजस्थान प्लास्टिक फ्री अभियान। फोटो सोर्स- अभिषेक

इसका सटीक उदहारण देने के लिए मैं अपने गाँधी फेलोशिप की यात्रा का ज़िक्र करना चाहूंगा। जब मैं राजस्थान के गाँव में गया तो मुझे पता चला कि जानवर प्लास्टिक खाकर मर रहे हैं, तब मैंने ठाना कि इसके लिए कुछ करना चाहिए।

मैं हर सुबह स्कूल के बच्चों के साथ निकलकर गाँव की सफाई करता। कभी वॉल पेंटिंग, तो कभी रैली, तो कभी नुक्कड़ नाटक के ज़रिए प्लास्टिक की समस्या पर बात करता कि किस तरीके से गायें प्लास्टिक खाकर मर जाती हैं, थोड़े सी वर्षा होने पर गाँव की नालियां बंद हो जाती हैं। देखते-ही-देखते उस गाँव के लोगों ने प्लास्टिक ना उपयोग करने के लिए कदम उठाया। इस पहल की आसपास के गाँव के लोगों ने भी खूब सराहना की।

मयूर विहार में वॉल पेंटिग के ज़रिए जलवायु परिवर्तन की दिशा जागरूकता अभियान। फोटो सोर्स- अभिषेक

इस कदम ने मुझे पर्यावरण को लेकर काम के लिए प्रेरित किया और मैं पर्यावरण पर काम करने वाली संस्था से जुड़ा, जहां पर मैंने कई रैलियां, नुक्कड़ नाटक एवं वॉल पेंटिंग के ज़रिये जागरूकता लाने का प्रयास कर रहा हूं। खासकर युवा वर्ग काफी उत्साहित होकर बड़े ही क्रिएटिव तरीके से जलवायु परिवर्तन की समस्या को सड़क से संसद तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसका उदाहरण पूरी दुनिया में चल रहे फ्राइडे फॉर फ्यूचर अभियान के तहद क्लाइमट स्ट्राइक से लिया जा सकता है।

इस तरह हमें पॉप कल्चर को बढ़ावा देते हुए, लोगों के बीच एक समझदारी के साथ-साथ लोगों की जवाबदेही तय करनी होगी, तभी जलवायु परिवर्तन की इस गम्भीर समस्या से निकलने का रास्ता तय हो पाएगा।

Exit mobile version