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“हैदराबाद में सिर्फ एक लड़की की हत्या नहीं हुई है, पूरे समाज को ज़िंदा जला दिया गया है”

प्रतीकात्मक तस्वीर।

प्रतीकात्मक तस्वीर।

“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”

यानी कि जहां स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता वास करते हैं। यह सिर्फ किताबों में पढ़ने में ही सही लगता है, क्योंकि हम आज एक ऐसे परिदृश्य में रह रहे हैं जहां राह चलती बेटियों को ज़िंदा जला दिया जाता है। जी हां, आपने सही समझा। मैं हैदराबाद की एक महिला वेटनरी डॉक्‍टर की बात कर रही हूं, जिसके साथ गैंगरेप के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई।

रास्ते में स्कूटी खराब होने के बाद उस महिला डॉक्टर ने अपनी बहन को फोन किया और बताया कि स्कूटी सही नहीं हो रही है। उसके के आस-पास कुछ लड़के खड़े थे, जो उसको काफी देर तक घूर रहे थे फिर दो लड़के मदद करने के लिए आगे आए।

उसके बाद से उसका फोन स्विच ऑफ हो गया जिससे घर वाले बेहद परेशान हुए। उन्होंने गुमशुदगी की शिकायत पुलिस स्टेशन में दर्ज़ कराई। अगले दिन उनको अपनी बेटी तो नहीं मिली लेकिन बुरी तरह से जली हुई उसकी लाश ज़रूर मिली।

पहले महिला वेटनरी डॉक्टर के साथ गैंगरेप हुआ और बाद में उन्हीं लड़कों ने उसे ज़िंदा जलाकर सड़क पर फेंक दिया। यह सब कहीं ना कहीं सोची समझी साज़िश भी तो हो सकती है? हो सकता है पहले इन सब ने उसकी रेकी की हो, पीछा करते रहे हों और बाद में इन सबने ही स्कूटी पंक्चर कर दी हो।

सोचिए एक माँ-बाप ने कितनी मेहनत से अपनी लड़की को इस काबिल बनाया लेकिन कुछ दरिंदों की वजह से उनकी बेटी उनके लिए सिर्फ एक याद बनकर रह गई। इससे ज़्यादा घिनौना कृत्य शायद और कुछ नहीं हो सकता है।

महिला सशक्तिकरण के खोखले दावे

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

हम एक ऐसे देश में रह रहे हैं, जहां महिला सशक्तिकरण की बात होती है। कैसा सशक्तिकरण? कौन सा सशक्तिकरण? और किसके लिए है यह सशक्तिकरण? जिस समाज में हर वक्त महिला को यह डर सताए कि आखिर वह ठीक से स्कूल या ऑफिस से घर पहुंचेगी भी या नहीं, जहां माँ-बाप का पूरा ध्यान सिर्फ इस बात पर रहता हो कि आज मेरी बेटी सही से घर तो आ जाएगी ना, ये खौफ हमारे देश और समाज में दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।

अपराधी पकड़ तो लिए जाते हैं लेकिन उन्हें बाद में सिलाई मशीन से पुरस्कृत करके छोड़ दिया जाता है। जब हमारे देश में रातों रात सरकारें बन सकती हैं, रातों रात नोटबंदी हो सकती है, राम मंदिर के फैसले के लिए चौकसी बढ़ाई जा सकती है, अनुच्छेद 370 हटाई जा सकती है, सीमा पर सर्जिकल स्ट्राइक हो सकती है और यहां तक कि आधी रात में कोर्ट तक खुल सकता है, तो क्या रातों रात ऐसे दरिन्दों को बीच चौराहे पर खड़ा करके फांसी क्यों नहीं दी सकती?

अब आपको आखिर और कौन से सबूत चाहिए? ये अपराधी एक दिन में तो पैदा नहीं होते हैं। यही लोग लड़कियों को परेशान करते हैं, कभी भद्दी टिप्पणी करते हैं, उनको छूने की कोशिश करते हैं और बाद में अपराधी बनकर सामने आते हैं।

हमारे देश में कड़े कानून बनाकर सर्वाइवर्स को न्याय नहीं मिलता है। यहां सिर्फ कुछ वक्त तक हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर मुद्दों को ट्रेंड कराया जाता है फिर सभी भूल जाते हैं। अपराधी अगर हिन्दू है तो मुस्लिम रोना रोते हैं और अगर मुस्लिम है तो हिन्दू रोना रोते हैं। न्यूज़ चैनल पर धर्म के ठेकेदार डिबेट करते हैं तो कुछ कैंडल मार्च निकालते हैं। बस इनके इस कृत्य से सभी यह सोचते हैं कि सर्वाइवर को न्याय मिल गया।

मुझे घुटन होती है ऐसे समाज से

यहां सिर्फ एक लड़की का बलात्कार नहीं हुआ है और ना ही सिर्फ एक लड़की जलाई गई है, बल्कि यहां पर पूरी मानवता की हत्या हुई है। इस सोच के लोग समाज को कलंकित करने में अपना योगदान दे रहे हैं। ऐसे दरिंदों के लिए एक मात्र सज़ा फांसी होनी चहिए। जब तक समाज में इंसान के अंदर डर नहीं पैदा होगा, तब तक ऐसे कांड हर दिन होते रहेंगे।

हर एक अपराधी के मन में खौफ पैदा करने की ज़रूरत है। यदि हमने ऐसा नहीं किया तो हर दिन किसी ना किसी की बेटी और बहन को इसका शिकार होना पड़ेगा। आजकल जानवरों से भी ज़्यादा खतरनाक इंसान हो गया है। यह एक भयावय स्थिति है जिसे खत्म करने के लिए कड़े फैसले नहीं लिए जाएंगे तो लड़कियों का जीना मुश्किल हो जाएगा।

हम कैसे समाज का निर्माण कर रहे हैं, जो हमें कुंठित मानसिकता की ओर ले जा रही है। मुझे ऐसे समाज से घुटन होती है, जहां हम लड़कियों के कल को संवारने की बात तो करते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं जब वे रहेंगी ही नहीं तो कैसा भविष्य और कैसा वर्तमान?

कल निर्भया थी तो आज हैदराबाद की महिला वेटनरी डॉक्टर है। यहां सिर्फ नाम बदलते हैं, कानून या सरकार का रवैया नहीं। सरकार अपनी सहूलियत के मुताबिक काम करती है। आज के दौर में लड़कियों को खुद से खुद के लिए लड़ना होगा।

यहां कोई तुम्हारी मदद करने नहीं आएगा। सरकार और कानून का काम है केवल आश्वासन देना। तुम खुद पर भरोसा कायम रखो, क्योंकि तुमसे ज़्यादा बेहतर सुरक्षा तुम्हारी कोई नहीं कर सकता है। देश भी इस बात से अवगत है कि अगर तुम दुर्गा के रूप में क्षमा कर सकती हो, तो काली के रूप में वध भी कर सकती हो। सारी शक्तियां तुम में ही विद्धमान हैं।

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