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“अपने हक के लिए प्रोटेस्ट कर रहें JNU स्टूडेंट्स पर लाठी चार्ज लोकतंत्र पर प्रहार है”

बाबा साहब के दिए गए मंत्र “शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो” को तब-तब आवाज़ मिलती है, जब-जब स्टूडेंट्स अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतरते हैं।

जेएनयू में 28 अक्टूबर से स्टूडेंट्स प्रदर्शन पर बैठै हैं लेकिन 11 नवंबर को यह साफ हो गया है कि सरकार अब स्टूडेंट्स की मांगों को केवल अनसुना ही नहीं कर रही है, बल्कि उन्हें दंडित भी कर रही है। जिस तरह से मासूम स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज किए गए, उनके प्रोटेस्ट को रोकने के लिए वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया गया, वो बताता है कि लोकतंत्र की छवि कैसे धूमिल होती जा रही है।

प्रोटेस्ट कर रहे JNU के स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज की तस्वीर। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

क्या है पूरा मामला

28 अक्टूबर को हॉस्टल का मैनुअल आता है, जिसमें फीस का इज़ाफा होता है, वह भी नए कायदे कानून के साथ। ये सभी कायदे कानून ऐसे हैं, जैसे स्टूडेंट विश्वविद्यालय में नहीं किसी बंदी गृह में पढ़ाई कर रहे हों। आपका ड्रेस कोड कैसा होगा वह भी उस मैनुअल में है और वह उचित होने चाहिए यह भी आपको अब बताया जाएगा।

स्टूडेंट्स पर पाबंदियों की लिस्ट है-

प्रोटेस्ट कर रहे JNU के स्टूडेंट्स। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

इसके अलावा भी हुए हैं कुछ बदलाव-

इन सभी नियमों के विरोध में स्टूडेंट्स प्रदर्शन करते हैं और उनकी बात सुनना तो दूर वीसी उनकी मांगों को दरकिनार करते हैं। वे हज़ारों स्टूडेंट्स जो गरीब तबके से आते हैं, जिनके परिवार की आय सालाना 2 लाख से कम है वे क्या करेंगे? इस देश में टॉप की यूनिवर्सिटी बनाने का दावा किया जाता है लेकिन केंद्र और राज्य सरकार इसपर कोई बात नहीं करती है।

जेएनयू के स्टूडेंट्स की मांगों को सुना जाना चाहिए, क्योंकि वे देश के भविष्य के लिए लड़ रहे हैं। कोई भी लोकतांत्रिक सरकार उसके स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज करके अपने देश को विश्वगुरु तो नहीं बना सकती है।

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