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पीरियड्स के दौरान ‘अचार मत छुओ’ और ‘मंदिर मत जाओ’ जैसी भ्रांतियां कब टूटेंगी?

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

आज के समय में हम अलग-अलग मुद्दों को लेकर बात करते हैं लेकिन जब पीरियड्स का ज़िक्र होता है, तब सब चुप्पी साध जाते हैं। पीरियड्स आज के समय में एक गंभीर समस्या है। समाज में इसे लोग माहवारी, एमसी, रजोधर्म, मेंस्ट्रुअल साईकल या फिर पीरियड्स के नाम से जानते हैं। आमतौर पर लड़कियों में पीरियड्स की शुरुआत 11 से 17 साल के बीच हो जाती है लेकिन आज कल के बदलते खान-पान की वजह से लड़कियों को पीरियड्स कम उम्र में भी होने लगा है।

हमारे समाज में कुछ लोग अभी भी पीरियड्स के दौरान लड़कियों को अपवित्र मानते हैं। अचार मत छुओ, मंदिर में प्रवेश मत करो, बिस्तर पर मत बैठो फलाना-ढिमकाना मगर इस दौरान महिलाओं के साथ सेक्स ना करने की बात शायद ही समाज के ज़हन में आती हो। सामान्य तौर पर यह माना गया है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को सेक्स से दूर रहना चाहिए।

लोगों को इस बात से अवगत करा दूं कि यह समय महिलाओं की उपेक्षा का नहीं, बल्कि ऐसे समय में हमें उनके साथ रहकर उनकी भावनाओं को समझने की ज़रूरत है। हमें उनके साथ अच्छा बर्ताव करना चाहिए।

आज की तारीख में भले ही हम मंगल ग्रह पर पहुंचने का दावा करते हैं मगर हकीकत तो यह है कि अधिकांश महिलाएं आज भी पीरियड्स के दौरान कपड़े का प्रयोग करती हैं। शायद उन्हें यह जानकारी नहीं होती कि हर साल इससे कितनी बीमारियां जन्म लेती हैं लेकिन अक्सर पर्याप्त साधन एवं पैसों की तंगी के कारण महिलाएं सैनिटरी पैड नहीं खरीद पाती हैं। ऐसे में जगह-जगह कैंपेन की शुरुआत करनी चाहिए जिसके ज़रिये हर महिला को मुफ्त में सैनिटरी पैड उपलब्ध हो सके।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

यह भी ज़रूरी है कि समय-समय पर सेमिनार के माध्यम से भी महिलाओं को पीरियड्स से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध कारनी चाहिए, क्योंकि जानकारी ना होने की वजह से महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। महिलाएं अभी भी पीरियड्स के बारे में बात करने में संकोच

महसूस करती हैं लेकिन जब तक खुलकर बात नहीं होगी, तब तक इससे होने वाली समस्याओं से पार पाना मुश्किल होगा। हमें विद्यालयों से लेकर अलग-अलग जगहों पर जाकर पीरियड्स के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए जिससे उनके अंदर की हिचक दूर हो।

कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां हमें हर एक महिला से सांझा करनी चाहिए। जैसे-

पीरियड्स के संदर्भ में सरकार को भी जागरूकता अभियान चलाने की ज़रूरत है। संक्रमण से बचाव के लिए सैनिटरी पैड डिस्पोज़ करने वाली मशीन की उपलब्धता पर ज़ोर देने की ज़रूरत है। शहरों में जहां बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल हैं, वहां सैनिटरी पैड की मशीन इंस्टॉल करानी चाहिए जिससे महिलाओं को ज़रूरत पड़ने पर पैड उपलब्ध कराया जा सके। इन छोटे-छोटे कदमों से महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

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