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“अयोध्या विवाद में फैसला देने वाले पांच जजों के नाम मेरा पत्र”

आदरणीय रंजन गोगोई व बेंच के अन्य सदस्य न्यायाधीश गण, सादर नमस्कार।

सबसे पहले आप की अदालत अर्थात सुप्रीम कोर्ट में ही अकेले करीब 9 साल से लटके इस विवाद पर फैसला सुनाने के लिए बधाई। किसी की भावनाओं से जुड़े मुद्दे में लोगों को संतुष्ट करना आसान नहीं होता मगर आपके फैसले में अपनाए गए तरीके व उसकी निष्पक्षता की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।

आपकी दो बातें काबिल-ए-तारीफ हैं

सबसे बड़ी बात यह है कि आपने आस्था को किनारे रख विवादित स्थल पर मालिकाना हक को तरजीह दी। आपके द्वारा न्याय देने के लिए वैज्ञानिक तरीके का अपनाया जाना, लोगों के न्यायिक प्रक्रिया में भरोसे को मज़बूती देगा।

दूसरी सबसे अच्छी बात यह कि आपने अपने फैसले की समीक्षा के दरवाज़े खुले रखे हैं। अब जब दरवाजे खुले हैं तो लोगों ने प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया, कोई कहता है कि आप सुप्रीम है मगर गलती आपसे ना हो यह ज़रूरी नहीं, तो कोई कह रहा है कि अल्पसंख्यकों के साथ गलत हुआ।

कहने वाले को कोई रोक नहीं सकता मगर जिस तरह से आपने हारे हुए को भी जिता कर मिसाल पेश की है, वह इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज़ होगी।

प्रतिक्रिया देने वालों को भूल जाएं

आप भी पहले इंसान हैं, न्यायाधीश बाद में, तो लोगों की प्रतिक्रिया का प्रभाव तो पड़ता ही होगा। इसलिए एक बात बताना चाहता हूं कि

महोदय इस देश की न्यायपालिका ने शाहबानो प्रकरण व अपने राजनीतिक फायदे के लिए न्यायालयों के फैसले को कूड़ेदान में डालकर इस देश को आपातकाल के मुंह में धकेलने वाले मुद्दों को भी देखा है। कम से कम इस दौर में आपके फैसले को, जो कि न्याय की मिसाल बना, सहर्ष स्वीकार तो किया गया।

मुझे पूरी उम्मीद है कि न्यायपालिका आने वाले दौर में भी पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति का भी न्यायिक प्रक्रिया में भरोसा बरकरार रखेगी। एक बार फिर से आप न्यायाधीशों को शानदार फैसले के लिए बधाई, आप सभी स्वस्थ रहें, खुश रहें।
धन्यवाद।

संजय दुबे

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