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“सुशील मोदी आप लोगों ने पटना विश्वविद्यालय को तो डूबा दिया, अब JNU पर कमेंट ना करें”

माननीय सुशील कुमार मोदी,

उप मुख्यमंत्री, बिहार राज्य सरकार,

माननीय महोदय छोटका मोदी जी, JNU पर आपके ट्वीट को वायरल फीवर हो गया है, वैसे ही जैसे पिछले दिनों पटना में जलजमाव के कारण भाजपा के पार्षद, विधायक एवं सांसद तीनों को डेंगू हो गया था।

बिहार का “सो कॉल्ड पॉश” इलाका बोरिंग रोड, कंकड़बाग, राजेन्द्र नगर समेत पूरा पटना डूबा हुआ था, यहां तक कि सत्ता के घुड़सवारों का घोड़ा भी भारी जलजमाव में बिदक के बुडको हो गया।

कहा जाता है कि पड़ोसियों के साथ आपके संबंध अच्छे होने चाहिए, ताकि कभी देर रात चाय-पत्ती या नमक की ज़रूरत पड़ जाए तो आप उनसे ले सकते हैं। अब मोदी जी आप अपने पड़ोसियों से नमक या चाय-पत्ती लिए होंगे कि नहीं यह तो मैं नहीं जानता लेकिन वोट तो ज़रूर लिए होंगे। फिर भी खुद की जान बचाने के लिए अपने पड़ोसियों को डूबते छोड़ निकल लिए। अब जो व्यक्ति अपने पड़ोसियों का ख्याल नहीं रख सकता है, वह भला राज्य का क्या ही ख्याल रखेगा?

अब ज़रा कैमरा घुमाते हैं इनके ट्वीट की तरफ-

सुशील कुमार मोदी। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

माननीय सुशील मोदी जी आपको JNU स्टूडेंट्स की लड़ाई बेतुकी लग रही है लेकिन यह बताइए कि क्या आपने अपने राज्य में बेहतर शिक्षा का माहौल बनाया है? चलिए बात करते हैं आपके राज्य के पटना विश्वविद्यालय की।

आप खुद ABVP के सक्रिय सदस्य रह चुके हैं। आपने भी राजनीति का ककहरा उसी पटना विश्वविद्यालय से सीखा है, जिसका अब नया नामकरण पतन विश्विद्यालय कर देना चहिए। वह इसलिए क्योंकि आज पटना विश्वविद्यालय के पटना कॉलेज की NAAC ग्रेडिंग C आई है।

जिस तरह से पटना में सड़े हुए पानी से हज़ारों लोगों को डेंगू का इंफेक्शन हो गया, उसी तरह यह भाजपा-जदयू गठजोड़ की सड़ी हुई सरकार के कारण पटना कॉलेज को C ग्रेडिंग नामक डेंगू हो गया है। यह वही डेंगू है, जो बिहार के शिक्षा विभाग को भी हुआ है।

आप यहां छात्रसंघ में भी रह चुके हैं। आपके भगवा कुनबे के कई दिग्गजों ने भी इसी पटना विश्वविद्यालय से इतिहास, भूगोल एवं रसायन शास्त्र समेत कई विषयों में पारंगत हासिल किया है। उस दौर में जितने भी प्रोफेसर पटना विश्वविद्यालय में रहें, मुझे भरोसा है कि वे आपको सही शिक्षा ज़रूर देते होंगे।

एक सवाल कौंधता है कि आखिर आप ऐसी अनर्गल बातें क्यों कर रहे हैं?

मेरे ख्याल से इसका उत्तर यही होगा कि जब प्रोफेसर आपको सही शिक्षा दे रहे होंगे, तब आप ज़रूर पीछे के दरवाज़े से निकलकर संघ के दंडवत-उठक-बैठक-कूदक में शामिल होने के लिए भाग जाते होंगे। आप इसमें पारंगत हैं, इसका उदाहरण यह है कि आप बिहार में मौजूदा सरकार भी इस तरह से पीछे के दरवाज़े से जाकर ही चला रहे हैं।

माननीय आपको ज्ञान कोष में इज़ाफा करते चलें कि इस बिहार में लोगों के पास एक वक्त का खाना भी नहीं है और कइयों ने तो भूखे जान दे दी है।

अब आपको स्पष्ट करते हुए बता दूं कि जेनएयू में 40% ऐसे छात्र हैं, जिनकी पिछली पीढ़ियों को शिक्षा से वंचित रखा गया लेकिन उस पीढ़ी ने तय कर लिया है कि अखबार सब्ज़ी बेचकर, दिहाड़ी कमाकर, चाहे जो करना पड़े अपने बच्चों को पढ़ाएंगे ज़रूर।

जेएनयू वाले बच्चे, आपके संघ-भाजपा द्वारा सर्टिफाइड व्हाट्सऐप विश्विविद्यालयों की अफवाहों का तथ्य से जवाब देते हैं।

माननीय आपसे कोई उम्मीद तो नहीं है लेकिन वह कहते हैं ना कि लोकतंत्र है, लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार की तरफ उंगली करके सवाल पूछ सकते हैं। इस लेख का इतना ही सन्दर्भ है कि सत्ता के हनक में पागल हाथी मत बनिए, यहां सैकड़ों ऊंट हैं, जो कान चबाकर आपको ठीक कर सकते हैं।

विकाश यादव
पटना विश्वविद्यालय

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