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“बॉम्ब ब्लास्ट की आरोपी प्रज्ञा निभाएंगी देश की रक्षा के दायित्व”

आज भारत की राजनीति फिर तपी हुई है और अभी इसकी वजह भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर है, जिन्हें कुछ लोग साध्वी जी कहते हैं क्योंकि वे एक आश्रम चलाती हैं।

हालांकि हिन्दू धर्म में साधू संत साध्वियों को सांसारिक मोह माया का त्याग करने वाला बताया गया है लेकिन आज कुछ साधु संत, सांसारिक मोहमाया वाले कामो में लगे हुए हैं। कोई मुख्यमंत्री है तो कोई सांसद इसलिए मेरा यह मानना है कि इन्हें अपने नाम के संत या साध्वी नहीं लगाना चाहिए क्योंकि वे अपने असल काम को नहीं कर रहे हैं।

खैर, जहां तक प्रज्ञा ठाकुर का ज़िक्र है, उनके ऊपर इस वक्त मालेगाँव बम धमाकों में शामिल होने का आरोप है। यहां तक एक भाजपा के नेता की हत्या का भी आरोप है और आज उन्हें  रक्षा मंत्रालय की कमेटी का सदस्य बनाया गया है, इस कमेटी की अगुवाई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे हैं।

भारत की संसद ने रक्षा मंत्रालय के लिए बनाई गई मेंम्बर की समिति का हिस्सा बनाया गया है, जिसका नेतृत्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी करेंगे।

मुझे याद आता है कि बीजेपी नेता उमा भारती ने एक बार सोनिया गाँधी के प्रधानमंत्री बनने के खिलाफ जब उनका विदेशी मूल का मुद्दा उठाया था, तब ये कहा गया था कि किसी विदेशी के सामने हम अपने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के राज़ कैसे खोल सकते है? हालांकि,

क्या है यह पूरा बॉम्ब ब्लास्ट का मामला

29 सितंबर 2008 को गुजरात और महाराष्ट्र में तीन बम विस्फोट हुए थे।

महाराष्ट्र में नासिक ज़िले के मालेगाँव में खौफनाक बम ब्लास्ट हुआ था। उस धमाके में 7 बेगुनाह लोगों की जान चली गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

महाराष्ट्र के मालेगाँव में दो बम विस्फोट हुए, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि गुजरात के मोडासा में एक और विस्फोट हुआ, उसमें एक व्यक्ति की मौत हुई थी। इसमें मालेगाँव में जिस बाइक का इस्तेमाल हुआ था, वह बाइक प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। ये RTO के ज़रिए पता चला।

प्रज्ञा ठाकुर के अलावा शिव नारायण गोपाल सिंह कलसांगरा और श्याम भवरलाल साहू को भी गिरफ्तार किया गया था और तीनों को नासिक के मुख्य न्यायायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था। इनको गिरफ्तार करने वाले शक़्स थे ATS के पूर्व प्रमुख और 2008 के मुम्बई हमले में शहीद हुए हेमंत करकरे साहब थे।

उस वक्त हेमंत करकरे पर भी कुछ लोग यह इल्ज़ाम लगा रहे थे, जसमें खुद प्रज्ञा ठाकुर ने भी आरोप लगाया था कि वे हद से ज़्यादा प्रज्ञा ठाकुर और उसके साथियों को टॉर्चर कर रहे थे। ताकि उनसे गुनाह कबूल कर सके, जिसकी वजह प्रज्ञा ठाकुर कुछ साल के लिये अपाहिज भी हो गई थी और साथ में उन्हें कैंसर भी हो गया था।

हम सब ने उनकी तस्वीरें देखी हैं, तो ज़ाहिर है कि उनके साथ काफी मारपीट हुई है लेकिन वह सब हेमंत करकरे ने ही किया था या किसी और ने इसकी कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि उसी साल हेमंत करकरे की मुम्बई आतंकी हमलों में मृत्यु हो गयी थी। उन्हें अजमल कसाब ने मारा था।

हालांकि, इसमें भी कुछ मूर्ख लोगों ने आरएसएस और भाजपा को कोसा था। कई साल जेल में रहने के बाद सन 2017 में मेडिकल बेस पर प्रज्ञा सिंह ठाकुर को रिहाई मिल गई पर मामला चलता रहा। अभी 2018 मैं NIA ने कोर्ट में कहा था कि प्रज्ञा सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं है लेकिन जज ने कहा कि थोड़े सबूत हैं इसलिए उनकी जांच करो।

विवादों के बाद भी बनाया सांसद

2019 में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह साहब ने सबको हैरान कर दिया था, जब उन्होंने लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की भोपाल सीट से काँग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी के खिलाफ प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मैदान में उतारा था, क्योंकि वे दिग्विजय सिंह थे, जिन्होंने प्रज्ञा सिंह ठाकुर के जेल जाने का समर्थन किया था और वे दिग्विजय सिंह ही थे, जिन्होंने ये इल्ज़ाम लगाया था कि प्रज्ञा ठाकुर के समर्थक हेमंत करकरे साहब को जान से मारने की धमकी दे रहे थे।

जब चुनाव पूरे हुए तो प्रज्ञा ठाकुर ने दिग्विजय सिंह जी को 3 लाख वोटों से हरा दिया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं उन्हें कभी माफ नहीं करूंगा

जब प्रज्ञा ठाकुर को लोक सभा का टिकट मिला तो उन्होंने एक के बाद एक विवादित बयान दिए पहला बयान हेमंत करकरे जी पर ही था जहां उन्होंने कहा था,

मैंने उससे कहा था कि तेरा सर्वनाश हो जाएगा। सुतक एक महीने और महीने के एक महीने के भीतर लागू होती है। यह उस दिन लागू हुआ जब मुझे गिरफ्तार किया गया था और ठीक डेढ़ महीने बाद उसे आतंकवादियों ने नष्ट कर दिया।

इस एक बयान ने इतना बवाल मचाया की शहीदों और सेनिको की वकालत करने वाली भाजपा खुद सवालों के कटघरे में आ गयी लोग सवाल पूछने लागे की क्या देश के शहीद का अपमान करने वाले सेना का सम्मान कैसे करेगे। हालांकि बाद में प्रज्ञा ठाकुर ने माफी मांग ली पर फिर प्रज्ञा ठाकुर की ज़बान फिसली।

इस बार प्रज्ञा ठाकुर ने देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त कह दिया पर इस एक बयान के बाद बीजेपी के बाहर क्या बीजेपी के अंदर भी बवाल खड़ा हो गया और प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ भाजपा के अंदर आवाज़ उठने लगी और आवाज़ उठाने वालों में से एक थे।

खुद प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी जी जिन्होंने रिपब्लिक भारत न्यूज़ चैनल के इंटरव्यू में प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ बयान दिया था मोदी जी ने कहा था,

ये अलग बात है की उन्होंने माफ़ी मांग ली है लेकिन मैं उन्हें गांधी जी की बेइज़्जती करने के लिए मन से कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।

प्रधामंत्री के इस बयान के बाद गांधी जी को देश का बेटा कह कर खुद को बचाने की कोशिश की प्रज्ञा ठाकुर ने पर जो नुकसान होना था वो हो गया था।

नरेन्द्र मोदी

आज काँग्रेस और अस्सादउदीन ओवैसी साहब की पार्टी AIMIM दोनों प्रज्ञा ठाकुर पर उंगली उठा रही है पर AIMIM से मेरा भी एक सवाल है कि 1993 के मुम्बई बम ब्लास्ट दोषी याकूब मेमन की फांसी का विरोध करने वाले और उसमें मुस्लिम होने की वजह से याकूब को फांसी मिली ऐसी घटिया बात करने वाले बड़े ओवैसी साहब और AIMIM को कोई जायज़ हक़ बनता है क्या प्रज्ञा ठाकुर का विरोध करने का? इसका भी जवाब इन्हें सोच लेना चाहिए।

संसद को भी सोचना चाहिए राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बनाई गई इस समिति में इस वक़्त क्या प्रज्ञा ठाकुर जी को होना चाहिए हालांकि की अगर वो भविष्य में अपने ऊपर लगे आरोपो से आज़ाद हो कर बेगुनाह साबित होती है तो फिर उन्हें इस समिति में रखे जाने कम से कम में विरोध नहीं करूंगा पर अभी के लिए विरोध है।

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