यह महज़ संयोग नहीं कि दुनिया भर के स्टूडेंट्स अब अपने कैम्पसों से बाहर राजनीति को प्रभावित करने को तैयार हैं। वैसे तो हरेक समय में स्टूडेंट्स अपने कैम्पस से देश-दुनिया की राजनीति को प्रभावित करते रहे हैं लेकिन कुछ एक दशक से यह ठंडे बसते में पड़ा देखा गया है।
भारत के सम्बन्ध में कहा जाए तो 90 के दशक के बाद जवाहरलाल नेहरु विश्वद्यालय (जेएनयू) में 2016 की घटना से कैम्पसों की राजनीति सर-गर्मी में गज़ब का जोश देखने को मिला है, जिसने अपने पड़ोसी देशों को भी प्रभावित किया है।
सरहद पार भी है वही लड़ाई
एक तरफ जहां भारत के जेएनयू में फीस वृद्धि के खिलाफ लगभग महीने भर से स्टूडेंट्स सड़क से संसद तक की लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं सरहद पार पाकिस्तान के छात्र भी अलग-अलग समय में देश की 50 जगहों पर कॉलेजों में सरकार के कथित हस्तक्षेप, फीस वृद्धि और छात्रावास की कमी के खिलाफ मार्च उठा रहे हैं।
वैसे पिछले कुछ वर्षों में वहां की स्टूडेंट्स पॉलिटिक्रास की दिशा बदली है लेकिन माना जा रहा है कि यह सबसे बड़ा मार्च है। पाकिस्तानी स्टूडेंट्स बेहतर शिक्षा सुविधाएं, स्टूडेंट्स यूनियन पर प्रतिबंध हटाने, फीस में छूट, यौन समानता और परिसरों पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए मार्च कर रहे हैं।
पाकिस्तान के तमाम संस्थाओं में स्टूडेंट यूनियन बॉडीज के ऊपर प्रतिबन्ध लगे हुए हैं, जिसकी बहाली के लिए कल यानि शुक्रवार को देश भर के छात्रों ने मार्च किया। इसमें अलग-अलग संस्थाओं के छात्र, पार्टियों के सदस्य, मजदूर, मार्क्सिस्ट आदि थे। इस मार्च में “एशिया सुर्ख है” के नारे लगाए गए। छात्रसंघ के बहाली के नारे लगाई गए, तानाशाही तथा फासिज़्म के खिलाफ नारे लगाए गए।
यूनिवर्सिटी में प्रतिबंधित थी राजनीतिक गतिविधियां
पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जिया उल हक ने 1984 में छात्र संगठनों और विश्वविद्यालय परिसरों में राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद,
- छात्रों को पाकिस्तान के कॉलेजों में प्रवेश से पहले ही एक हलफनामे पर हस्ताक्षर करने होते हैं,
- जिसमें लिखा होता है कि वे कैंपस में किसी भी तरह की राजनीति गतिविधि में सक्रिय नहीं होंगे।
इस हलफनामे को ख़त्म करने तथा छात्र संघ को पुनः बहाल करने की मांगें भी मार्च में शामिल थे।
वहां के वाम रुझान वाले संगठन प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फेडरेशन (पीएसआरएफ) के अनुसार,
हम साफ पानी की मांग पर आतंकी करार दिए जाने के खिलाफ मार्च निकाल रहे हैं। हम प्रशासन के तानाशाही रवैये के विरोध पर जेल में डाल दिए जाने के खिलाफ मार्च निकाल रहे हैं। हम सम्मान के साथ जीने के अपने अधिकार की मांग कर रहे हैं।
आपको बता दें कि हाल ही में सिंध यूनिवर्सिटी में पानी की कमी का विरोध कर रहे 17 छात्रों पर देशद्रोह के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
प्रोटेस्ट को मिला पूरे पाकिस्तान का समर्थन
इस ‘छात्र एकता मार्च’ को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने ट्वीट कर स्टूडेंट्स को समर्थन दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि “पीपीपी ने हमेशा छात्र संघों का समर्थन किया है।
आज छात्र संघों की बहाली, शिक्षा के अधिकार का
The PPP has always supported Student unions. The restoration of student unions by SMBB was purposely undone to depoliticize society. Today students are marching in the #StudentSolidarityMarch for the restoration of unions, implementation of right to education, 1/2
— BilawalBhuttoZardari (@BBhuttoZardari) November 29, 2019
पाकिस्तानी मीडिया डॉन के अनुसार, पूरे मार्च के दौरान “हम क्या चाहते हैं? आज़ादी” जैसे नारे गूंजता रहा। मार्च में शामिल ज़िबरान नासिर ने मीडिया से बात करते हुए बताया,
मैं अपने देश के भविष्य का समर्थन करने आया हूं। स्टूडेंट्स हमारा भविष्य हैं। हमें यह महसूस करना चाहिए कि यदि हम अतीत के स्मारकों को बनाए रखेंगे तो हमारा भविष्य कभी भी उज्ज्वल नहीं होगा।
आगे वे कहते है,
देश में आगे आने वाला कोई भी वास्तविक और नया नेतृत्व, अबापारा और पिंडी के गलियारों से नहीं गुज़रेगा, बल्कि यह कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से आएगा।
मार्च में शामिल लोगों के हाथ में चे ग्वेरा और भगत सिंह के पोस्टर भी थे। स्टूडेंट के हकूक, लाल- इंकलाब के नारे से शहर के गलियारे गूंज रहे थे। मार्च को रिपोर्ट कर रहे अदील का कहना है,
पहली बार आपको यह देखने को मिल रहा है कि लोग अपने हकूक के लिए निकले हुए हैं। इनको कोई पकड़ कर नहीं लाया हुआ है। ये कोई पैसे देकेर आए हुए लोग नहीं हैं। कोई जाति-मफादके लिए नहीं हैं। ये स्टूडेंट्स अपने लिए निकले हुए हैं।
भारत सरीखा पाकिस्तान
इस मार्च को भारत से जोड़ते हुए वहां के स्टूडेंट एक्टिविस्ट कहते हैं,
हालही में भारत में भी स्टूडेंट्स ने फीसों में इज़ाफें के खिलाफ प्रोटेस्ट किया था और उनपर लाठी चार्ज भी हुआ था। भारत में इस वक्त जहां फैज़ को गया जा रहा है, वहीं पाकिस्तान में लोग भगत सिंह के पोस्टर लिये मार्च कर रहे हैं। ये है असल इंकलाब।
उनका कहना है,
हम मज़हबी इन्तेहा पसंदगी के अंदर नहीं आ रहें, हम फासिज़्म के अंदर नहीं आ रहें, वो तमाम तहरीके, जो हमें अलग करने के लिए शुरू की गई है, वे तमाम नारे, वे तमाम मीडिया का प्रोपगेंडा फ्लॉप हो रहा है, क्योंकि युवा चाहे वह पाकिस्तान की हो या इंडिया की, वो रिजेक्ट कर रहें हैं इस नैरेटिव को। वे इन्क़लाबियों को फॉलो कर रहे हैं।
छात्रों की इस मार्च को देश के विभिन्न संगठनों तथा पार्टियों का समर्थन मिला। जिसमें कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ पाकिस्तान, आवामी वर्कर्स पार्टी, प्रगतिशील स्टूडेंट फेडरेसन (PSF), सिंधी शागिर्द तहरीक, पाकिस्तान ट्रेड यूनियन डिफेंस काउंसिल (PTDC) और महिला डेमोक्रेटिक फ्रंट आदि शामिल हैं।