भारत सरकार द्वारा साल 2015 में पहली बार संविधान दिवस मनाया गया था। 26 नवंबर 1949 को जब सबसे पहले संविधान मसौदे को अपनाया गया था, तब से लेकर अब तक लगातार स्कूलों, कॉलेजों और दफ्तरों में आज के दिन को संविधान दिवस के रूप में में मनाया जाता है।
- संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में हुई थी।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में ड्राफटिंग कमिटी का गठन हुआ था।
- 24 नवंबर 1950 को 284 सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर करके इसे अपनाया था।
संविधान सभा द्वारा 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों में भारतीय संविधान को पूरी तरह से तैयार किया गया, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसकी मूल प्रति को हिंदी और अंग्रेज़ी में लिखकर प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने तैयार किया था।
संविधान के मूल के साथ छेड़छाड़ दुर्भाग्यपूर्ण है
भारत विश्व का एकमात्र देश है, जहां इतनी विविधताएं हैं। इसके बावजूद अगर देश में समता से लेकर समानता की बात होती है, तो यह भरतीय संविधान की देन है।
अरुंधति रॉय ने अपनी किताब ‘The Doctor and The Saint’ में बताया है, “अंबेडकर का मानना था कि संविधान एक ऐसा दस्तावेज़ है, जो निरंतर प्रगतिशील रहना चाहिए।”
थॉमस जेफरसन की तरह उनका मानना था,
जब तक हर पीढ़ी को खुद के लिए एक नया संविधान लिखने का अधिकार नहीं होगा, तब तक पृथ्वी पर अधिकार ‘मृतकों का होगा ना कि जीवितों का।
अर्थात बदलते समय के साथ संविधान को अपडेट किया जा सकता है लेकिन इसके मूल स्वभाव के साथ छेड़छाड़ करना ना सिर्फ संविधान का अपमान करने जैसा होगा, बल्कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण भी कहलाएगा। बीते दो सालों में खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे हिंदी पट्टी राज्यों में गरीब सवर्णों के आरक्षण को लेकर काफी आंदोलन चर्चा में रहे, जिन्हें देखते हुए 10% आरक्षण का प्रावधान भी किया गया।
संवैधानिक अधिकारों से अनभिज्ञ है युवा पीढ़ी
वहीं, इतिहास की ओर पलटकर देखने पर हमें मालूम होता है कि उस वक्त के तत्कालीन बिहार से 36 सदस्य संविधान सभा के सदस्य थे, जिन्होंने दलितों और आदिवासियों के हित में आवाज़ बुलंद की थी।
अफसोस यह है कि आज हमारे बच्चों के सरकारी टेक्स्ट बुक्स के पीछे संविधान का प्रिम्बल छपवा देते हैं, संविधान दिवस के दिन स्कूल या कॉलेज में परिचर्या करवा देते हैं और सरकारी कार्यालयों में भी फोटो सेशन के साथ कुछ चर्चा हो जाती है लेकिन संविधान क्या है, हमारे संवैधानिक अधिकार क्या हैं इससे हमारी युवा पीढ़ी अनभिज्ञ है।
तभी इस देश में कुछ गलत ताकतों ने संविधान को जलाने का कृत्य किया है और आज संविधान दिवस के दिन ट्विटर पर #आरक्षण_हटाओ ट्रेंड करता नज़र आता है। आज के दौर में बहुत ज़रूरी है कि किसी एक दिन संविधान दिवस मनाने के अलावा स्कूल के सिलेबस में संविधान की वृहद रूप से शिक्षा दी जाए, जिससे संविधान की समझ के साथ हमारी आने वाली पीढ़ी संवेदनशील और न्यायसंगत एवं व्यवहारकुशल नागरिक बने।