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“ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन बिल से दिख गया है कि केंद्र में समाज सुधारक सरकार है”

2 दिन पहले 26 नवंबर 2019 को जब देश संविधान दिवस मना रहा था, तब ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन बिल को पास कराकर केंद्र की मोदी सरकार ने इस दिन को और खास बनाया।

2014 में ट्रांसजेंडर्स को भारत की सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे जेंडर के रूप में मान्यता दी थी। मर्द और औरतों के बाद उन्हें इस कानून में खास रियायतें मिली हैं। केंद्रीय मंत्री गहलोत साहब के मुताबिक यह बिल ट्रांसजेंडर समाज को केंद्र और राज्य की सरकारों की सेवाओं में भागीदार बनाएगा।

जब इस बिल पर वोटिंग हुई, तो इसके समर्थन में 74 ओर विरोध में 55 वोट पड़े थे। विरोध में वोट करने वालो में एक तमिलनाडू की द्रुमक भी शामिल थी और साथ में बंगाल की टीएमसी, तेलंगाना की टीआरएस भी शामिल थी, जो इन्हें सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग कर रही थी। हालांकि लोकसभा से यह बिल 5 अगस्त 2019 को ही पास हो गया था और लोक सभा में जो सिफारिशें दी गईं थीं, उन्हें भी इस बिल में शामिल किया गया।

पिछले कई सालों से जैसा मज़बूत रवैया भारत की न्याय व्यवस्था ने LGBTQ+ समाज के हितों को मज़बूत करने में दिखाया है, वह वाकई में काबिल ए तारीफ है और इसका सारा श्रेय हमारी न्याय व्यावत्थाओं और हमारी सरकारों को ही मिलना चाहिए।

फोटो साभार- Getty Images

अरुण जेटली ने ड्राफ्ट किया था यह बिल

अगर इस बिल का इतिहास पढ़ा जाए, तो देश के महान वकीलों में गिने जाने वाले देश के पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली ने बतौर कानून मंत्री रहते हुए, इस बिल को ड्राफ्ट किया था, क्योंकि जेटली जी भी भारत के उन समाजवादियों में से एक थे, जिन्होंने LGBTQ+ समाज की समाज में बराबरी को माना था।

आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने इस बात को साबित कर दिया है कि वे समाज सुधारों को लेकर कितनी मुस्तैद हैं।अपने सबसे बड़े मित्र को इतना बड़ा तोहफा देकर मोदी ने दोस्ती का हक अदा किया है।

हर खुशी में बुलाया जाता है इन्हें, तो क्यों ना मिले बराबरी का अधिकार

हमारे यहां ट्रांसजेंडर समाज को किन्नर समाज के नाम से भी पुकारा जाता है। जब भी कोई महान और शुभ कार्य किया जाता है, तो इन्हें बुलाया जाता है। हमारी मान्यतोओं में इनका आना शुभ माना गया है। हालांकि यह दुख की बात है कि जो अधिकार उन्हें आज से 70 साल पहले संविधान सभा से मिलने चाहिए थे, वे आज मिले हैं।

इन 70 सालो में कई महान समाज सुधारकों की सरकारें आईं, यहां तक की सुप्रीम कोर्ट ने 5 साल पहले भी ट्रांसजेंडर समुदाय के हक में फैसला दिया लेकिन फिर भी इनके उत्थान की दिशा में कोई काम नहीं हो पाया लेकिन अब सब सही होगा।

कहते हैं कि हमारा इश्वर हम सबको एक ही नज़र से देखता है, वैसा ही हमारा संविधान भी है, जो हर नागरिक को  एक नज़र से देखता है। हम सब उस ऊपरवाले की संताने हैं और कानून की नज़र में बराबर हैं लेकिन जिस दिन हम इन बातों को कहने से ज़्यादा मानने लग जाएंगे, उस दिन समाज में नई क्रांति का आगाज़ होगा, जो हमें नई राह दिखाएगा।

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