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“प्रदूषित दिल्ली-एनसीआर में हमने अब तक 5000 से ज़्यादा पेड़ लगाए हैं”

जीवन के लिए हमें ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, जो हमें पेड़ों से मिलती है लेकिन वर्तमान समय में हम विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुन कटाई कर रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण अमेज़न और अरावली के जगंलों से हम ले सकते हैं।

पेड़ ना सिर्फ ऑक्सीजन देता है, बल्कि यह पूरे पर्यावरण में इकोलॉजिकल संतुलन को भी बनाने में अहम भूमिका निभाता है।

पेड़ लगाने की मेरी मुहिम

विवेक श्रीवास्तव। फोटो सोर्स- विवेक

लोगों में पेड़ों के प्रति संवेदनशीलता जगाने के लिए मैं कुछ सालों से लगातार प्रयास कर रहा हूं। दिल्ली और नोएडा के विभिन्न इलाकों में हम अब तक हज़ारों पेड़ लगा चुके हैं। इसी कड़ी में हमने स्कूलों, कॉलेजों में युवाओं का एक सक्रिय समूह बनाया है।

अब यह समूह अपने-अपने क्षेत्र में वृक्षारोपण कर रहा है। इस अभियान के तहत हम नेटिव पेडों की संख्या को लगाने पर ज़्यादा फोकस करते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि नेटिव पेड़ों की जगह सजावटी पेड़ नहीं ले सकते हैं।

विवेक श्रीवास्तव। फोटो सोर्स- विवेक

नेटिव पेड़ भूजल स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये पेड़ विभिन्न प्रजातियों जैसे पक्षी, जानवर, कीड़े आदि के लिए आवास का काम करते हैं। इस तरह पेड़ एक चेन है और यह चेन टूटनी नहीं चाहिए। इसके लिए निरंतर एकजुट होकर कार्य करना होगा।

मैं पेड़ लगाता हूं, क्योंकि यह हमें ऑक्सीजन, फल, सब्जियां देते हैं, यहां तक ​​कि दवाईयां भी विभिन्न झाड़ियों और जड़ी-बूटियों और पेड़ों के माध्यम से ही बनाईं जाती हैं।

एक अच्छी नौकरी छोड़कर इस दिशा में काम करने का फैसला आसान नहीं था

अपनी टीम के साथ पेड़ लगाते विवेक श्रीवास्तव। फोटो सोर्स- विवेक

पेड़ों को बचाने की इस मुहीम के दौरान मैंने बहुत सारे उतार-चढ़ाव को करीब से देखा है। एक अच्छी पैकेज वाली नौकरी छोड़कर, बैग में जब लैपटॉप की जगह खुरपी ने ले ली तो लोग मुझे पागल समझने लगे, बावजूद, मैं अपने कामों में लगा रहा।

मैं जानता हूं कि अगर पेड़ नहीं बचेंगे, तो हमारा भी कोई अस्तिव नहीं बचेगा। मैंने इस काम की शुरुआत यमुना बैंक मैट्रो स्टेशन से की, जहां पर लोग नाक पर रुमाल रखकर भागते थे। वहीं आज लोग वहां पर बैठकर देश-दुनिया में चल रही घटनाओं की चर्जा करते हैं।

इस काम को करने के लिए पहले लोगों ने मेरा साथ नहीं दिया। लोग मुझपर हंसते और कहते कल फिर से सब वही हो जाना है। जब लोगों को लगा कि मैं हार नहीं मानने वाला हूं, तो लोगों ने मेरी मदद करनी शुरू कर दी। देखते-ही-देखते आज हम वहां पर 50 से अधिक पेड़ लग चुके हैं।

मैंने विभिन्न EDMC प्राथमिक विद्यालय जैसे गाज़ीपुर, आनंद विहार, कल्याणपुरी में वृक्षारोपण किया और बच्चों को पेड़ों के रख रखाव की ज़िम्मेरदारी दी और बच्चों ने पर्यावरण को बचाने की प्रतिज्ञा ली।

मेरा मानना है कि प्रकृति से हमारा अस्तित्व है और इसी अस्तित्व में हमारा कल्याण निहित है। अतः लोगों को, संस्थाओं को इसको बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए। चाहे वे कदम छोटे ही क्यों ना हो।

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